केन्या में चीन के बनाए रेल नेटवर्क का क्यों हो रहा है विरोध
३ दिसम्बर २०१९चीन ने केन्या में नया रेल नेटवर्क बनाया है. इससे वहां व्यवसाय में तेजी आ सकती है. 3.3 अरब डॉलर की लागत से बने इस रेल नेटवर्क ने बंदरगाह शहर मोम्बासा से राजधानी नैरोबी तक की यात्रा के समय को कम कर दिया है. लेकिन कुछ आयातकों का कहना है कि इसे उनकी माल ढुलाई की लागत 50 प्रतिशत तक बढ़ गई है. नैरोबी ट्रेन डिपो में सामान के क्लियरिंग में अधिक समय खर्च करना पड़ रहा है और वहां से माल इकट्ठा करने के लिए ट्रक भेजने की जरुरत पड़ रही है. ये आयातक बंदरगाह से अपना माल ट्रकों से लाते थे. लेकिन बंदरगाह अधिकारियों का कहना है कि अब नैरोबी और अपकंट्री में स्थित व्यवसायों को नई लाइन का उपयोग करना चाहिए. अधिकारियों का कहना है कि मोम्बासा बंदरगाह पर उतरने वाले माल को नई रेल लाइन से ले जाने के लिए समझौता किया गया है.
सरकार द्वारा संचालित केन्या बंदरगाह प्राधिकरण (केपीए) के प्रमुख डैनियल मानडुकु कहते हैं, "केपीए का दायित्व है कि वह रेल के खर्च को पूरा करे. हम रेल के कर्ज की गारंटी दी है." रेल को लेकर जो समस्या हो रही है, वह एक चेतावनी देने वाली कहानी है. यह विकासशील देश केन्या के लिए भी है क्योंकि उसके ऊपर चीन का काफी कर्ज है. और चीन के लिए भी क्योंकि यह अपने वैश्विक व्यापार लिंक का विस्तार करना चाहता है. अपनी क्षमता को बढ़ाने के लिए चीन सड़कें भी बनवा रहा है.
विरोध-प्रदर्शन
अमेरिका में वर्जीनिया के विलियम और मैरी विश्वविद्यालय में डेवलपमेंट फायनांस पर नजर रखने वाली शोध इकाई ऐडडाटा के कार्यकारी निदेशक ब्रैडली स्पार्क्स कहते हैं, "चीन के विदेशी खर्चों का आर्थिक विकास पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है." चीन ने उन आशंकाओं को दूर करने की कोशिश की है जिसमें कहा गया है कि उसकी बुनियादी ढांचा परियोजनाएं देशों पर कर्ज बढ़ाती है. पिछले साल इथियोपिया द्वारा लिए गए 12 अरब डॉलर कर्ज की अदायगी पर फिर से सहमति बनी है. यहां चीन के पैसे से बनाए गए रेलवे की स्थिति भी सही नहीं है.
केन्या के कुछ नेता अब सवाल उठा रहे हैं कि क्या नए रेलवे लाइन के लिए पैसे खर्च करने की जरुरत थी. सैकड़ों की संख्या में स्थानीय निवासी, व्यवसायी और नेता चीन द्वारा बनाए गए रेल से सामान ले जाने को अनिवार्य बनाए जाने पर हर सप्ताह प्रदर्शन कर रहे हैं. इस महीने की शुरुआत में प्रदर्शनकारियों ने खून से लाल अक्षरों में "रिप चाइना कॉलोनाइजेशन" लिखा हुआ एक ताबूत निकाला. सांसद मोहम्मद अली के प्रदर्शन को लेकर कहा, "यह एक क्रांति है."
दबाव में व्यवसाय
चीन के एक्जिम बैंक, केन्या पोर्ट्स अथॉरिटी और केन्या रेलवे के बीच हुए अनुबंध के तहत केपीए को प्रति वर्ष 10 लाख टन सामान ढोना है. यह 2024 तक बढ़कर 60 लाख टन हो जाएगा. केपीए का कहना है कि पिछले साल तक 40 लाख टन माल की ढुलाई हुई और इस साल तक 50 लाख टन ढुलाई का अनुमान है.
मोम्बासा से इस साल तीन करोड़ 40 लाख टन सामान लाने और ले जाने का अनुमान है. इसमें से अधिकांश रेल से नहीं जाता है. मोम्बासा या केन्या के अलावा अन्य देशों के लिए सामान अभी भी सड़क से ही ले जाया जा सकता है. लेकिन नैरोबी और उसके आसपास रहने वाले केन्याई आयातक कहते हैं कि पिछले साल अक्टूबर महीने से उन्हें रेल लाइन का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर किया जा रहा है. बंदरगाह ने अगस्त महीने में इस नीति को लागू करने की पुष्टि की थी लेकिन भारी विरोध के बाद अक्टूबर महीने में इसे रद्द कर दिया गया.
खर्चीला है रेलवे परिवहन
व्यवसायियों का कहना है कि नियमों में मामूली बदलाव हुआ है और उन्हें आज भी अधिक खर्चीले रेल का इस्तेमाल करना पड़ रहा है. नैरोबी के रहने वाले कस्टम क्लियरेंस एजेंट ने कहा कि बंदरगाह के अधिकारी माल से लदे जहाज को नए रेलवे के पास भेज रही है. वे कहते हैं, "आप चाहो या न चाहो, आपको इसके लिए भुगतान करना होता है."
केन्या ट्रांसपोर्टर्स एसोसिएशन के लिए मुख्य संचालन अधिकारी मर्सी इररी कहते हैं, "40 फुट के कंटेनर को नैरोबी ले जाने में रेल से कुल आठ सौ डॉलर का खर्च लगता है. ट्रक से ले जाने में भी करीब उतनी ही लागत आती है." तीन व्यवसायियों ने बताया कि लेकिन आयातकों को नैरोबी डिपो से माल इकट्ठा करने के लिए ट्रक की जरुरत होती है. इसके लिए 250 डॉलर का खर्च करना होता है. साथ ही डिपो शुल्क के लिए अलग से 150 डॉलर देने होते हैं.
कर्ज का भुगतान
मानडुकू केन्या रेलवे बोर्ड के सदस्य भी हैं. वे कहते हैं कि लिए गए कर्ज के भुगतान के लिए ज्यादा शुल्क लेना जरूरी है. केन्या के ऊपर रेलवे और अन्य परियोजनाओं के विकास के लिए चीन के एक्जिम से लिए गए 660 अरब शिलिंग का बकाया है. यह देश के कुल कर्ज का करीब 10 प्रतिशत है. हालांकि इस मामले में सवाल किए जाने पर चीन ने किसी तरह की प्रतिक्रिया नहीं दी. केन्या रेलवे ने भी कोई जवाब नहीं दिया.
चाइना रोड एंड ब्रिज कॉर्पोरेशन ने रेलवे का निर्माण किया और अब इसे केन्या की सहायक कंपनी अफ्रीका स्टार ऑपरेशंस के माध्यम से चलाता है. कॉर्पोरेशन का कहना है सामान ढुलाई को लेकर इसने कोई नीति नहीं बनाई है. हालांकि इस नीति और नियम में क्या-क्या है, इसकी जानकारी सार्वजानिक नहीं की गई है.
नई लाइन की शुरुआत 2017 में की गई थी. इससे पहले ब्रिटिश शासन के समय बनाई गई सैकड़ों साल पुरानी रेल लाइन थी. इस पुरानी रेल लाइन के साथ बनी नई लाइन आम लोगों के लिए यात्रा का समय 12 घंटे से कम होकर चार घंटे हो गया और सामान ढुलाई में पहले जहां 24 घंटे लगते थे, वह अब आठ घंटे हो गया.
सर्कस है या क्रांति?
नैरोबी में चीन के राजदूत वू पेंग कहते हैं, "आयातकों को रेल के इस्तेमाल करने के निर्देश का हम समर्थन करते हैं. यह केन्याई सरकार द्वारा लिया गया एक सही और जिम्मेदार फैसला है." हालांकि निर्देश हटाए जाने के बाद चीनी दूतावास ने कहा कि नई लाइन से यात्रा करने और सामान ढुलाई करने में एक नई क्रांति आई है.
संसद ने नवंबर में सामान ढुलाई की नीति के बारे में सवालों के जवाब देने के लिए संबंधित मंत्री को तलब किया, लेकिन वे उपस्थित नहीं हुए. परिवहन विभाग के प्रमुख सचिव एस्तेर कोइमेट ने बताया कि सरकार अब आयातकों को रेल का उपयोग करने के लिए दबाव नहीं बना रही है. लेकिन केन्या के कंटेनर लादने वाले स्टेशन एसोसिएशन के अध्यक्ष डैनियल नेजेकी और और केन्या ट्रांसपोर्टर्स एसोसिएशन के इरेरी ने कहा कि मोम्बासा में बंदरगाह सुरक्षाकर्मी ट्रकों में माल ले जाने से रोक रही है. नेजेकी कहते हैं, "यह एक सर्कस है."
आरआर/एमजे (रॉयटर्स)
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