एक अकेला हाथी आखिर कितना नुकसान कर सकता है? कैमरे में कैद हुए इस एक हाथी का कारनामा देखने के बाद शायद आप अपना जवाब बदलना चाहें. एक बार फिर से केरल में ही हाथी के अपने आपे से बाहर होकर सड़कों पर तबाही मचाने की घटना सामने आई है. एक अकेले हाथी ने नियंत्रण से बाहर होने पर इलाके की कई तरह की छोटी-बड़ी गाड़ियां तोड़ डालीं. केरल में पालाकाड जिले के कोंगाड में आपा खोने वाले हाथी ने पहले तो मोटरसाइकिल तोड़ी, फिर ऑटो रिक्शा और फिर चार पहिया टैम्पो ट्रक को भी नहीं छोड़ा.
यह घटना 25 फरवरी की बताई जा रही है. इस वीडियो को कई लोगों ने यूट्यूब और फेसबुक जैसी सोशल मीडियो साइटों पर अपलोड किया है. लगातार शेयर किए जाने के कारण वायरल हो चुके इस वीडियो को अब तक अनगिनत लोग देख चुके हैं. एक बार इस हाथी को बांधने में सफलता भी मिल गई थी लेकिन उसने फिर से खुद को मुक्त करा लिया. इसके बाद आसपास के लोगों को भी थोड़ी चोटें आईं. हाथी पर सवार होकर महावतों ने भी उसे शांत करने की कोशिश की लेकिन इसमें बहुत कामयाबी नहीं मिली.
जनवरी में ही कोजिकोडे में एक जंगली हाथी आपे से बाहर हुआ था और कुछ महीने पहले पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था. जंगलों के पास के इलाकों में ऐसी घटनाएं होती रहती हैं लेकिन हर बार कैमरे में कैद नहीं हो पाती.
जर्मनी में भी अक्सर भालू, भेड़िए या लोमड़ी देखने के लिए आपको चिड़ियाघर या जंगल में जाने की जरूरत नहीं. कई शहरों में ये आते जाते रहते हैं...
तस्वीर: picture-alliance/dpaदफ्तर में बारहसिंघा दिखना किसी को भी चौंका सकता है. यह घटना जर्मन शहर ड्रेसडेन की है जब एक 800 किलो का बारहसिंघा कांच का दरवाजा तोड़ अंदर घुस गया. यह दीवार और खिड़की के बीच फंस गया. कई घंटो के इंतजार के बाद इसे यहां से बाहर निकालने में कामयाबी मिली.
तस्वीर: picture-alliance/dpaबारहसिंघे को बाहर निकालने में पुलिस और चिड़ियाघर के कर्मचारियों को खासी मशक्कत करनी पड़ी. उसे एक बड़े से कंटेनर में डालकर वापस जंगल में छोड़ा गया.
तस्वीर: picture alliance/dpaउत्तरी अमेरिकी मूल का यह प्राणी रकून कहलाता है. इसे 1934 में कासेल के पास जंगल में छोड़ा गया था. आज जर्मनी में हजारों रकून मौजूद हैं. कई सड़कों पर फिरते भी नजर आ जाते हैं, जैसे इस तस्वीर में यह मंजर बर्लिन का है.
तस्वीर: Florian Möllersजर्मनी में अक्सर इस तरह के जंगली सुअर सड़कों पर नजर आ जाते हैं. ये मिनटों में मैदान को खोद कर रख देते हैं, लोगों के सजे सजाए गार्डन को इससे कई बार नुकसान होता है. अनुमान है कि सिर्फ बर्लिन में ही करीब 10,000 जंगली सुअर हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpaशहरों तक लोमड़ियों के पहुंच जाने के कई कारण माने जाते हैं. इन्हें इंसानी ठिकाने ठंडे जंगलों से ज्यादा आरामदेह महसूस होते हैं. शहरों में इन्हें खाने पीने की चीजें भी आराम से मिल जाती हैं और ये शिकारियों से भी बचे रहते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpaब्रूनो नाम का यह भालू तब मशहूर हुआ जब 2006 में यह आल्प की पहाड़ियों से निकल कर बवेरिया पहुंचा. सात हफ्तों तक आजादी से घूमने, भेड़ों, खरगोशों और सुअरों को मारने के बाद ब्रूनो बच नहीं पाया और गोली से मारा गया. म्यूनिख के मेंश उंड नाटुर (मैन एंड नेचर) संग्रहालय में यह आज भी पाया जाता है.
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