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केरल के गांव में दहेज फ्री शादी के लिए बेवसाइट

९ मार्च २०१०

केरल के मल्लापुरम ज़िले में लोगों ने दहेज की समस्या से लड़ने के लिए एक ख़ास तरकीब निकाली है. एक शादी की वेबसाइट के ज़रिए महिलाएं और पुरुष एक दूसरे से संपर्क कर सकते हैं और पसंद आने पर बिना दहेज के शादी कर सकते हैं.

तस्वीर: AP

निलंबूर गांव के पंचायत के साथ महिला सामख्य सोसाइटी नाम के ग़ैर सरकारी संगठन ने यह वेबसाइट शुरू की है. वेबसाइट उन लोगों के लिए है जिन्हें दहेज लेने या देने से परेशानी है. वेबसाइट के ज़रिए लोग दहेज से संबंधित मुद्दों पर बातचीत कर सकते हैं. शादी के रीति रिवाज़, महिलाओं के अधिकार और शादी से संबंधित संपत्ति अधिकारों पर वेबसाइट में फ़ॉरम बनाए गए हैं जिसमें लोग एक दूसरे से सलाह ले सकते हैं और बहस कर सकते हैं.

पंचायत के अध्यक्ष आर्यदान शौकत का कहना है कि वे इस मुहिम में और लोगों को शामिल करना चाहते हैं. उनका कहना है कि, "वेबसाइट एक ऐसा ज़रिया है जो पूरे विश्व तक आपका संदेश पहुंचा सकता है. इसलिए पंचायत ने यह माध्यम चुना है."

पंचायत अध्यक्ष होने के साथ साथ शौकत एक फ़िल्म निर्माता हैं और पटकथाएं भी लिखते हैं. वेबसाइट के शुरू होने के साथ ही 1500 से ज़्यादा लोगों ने इसमें रजिस्टर किया है. आधारिकारिक तौर पर इस हफ़्ते केरल के मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन वेबसाइट का उद्घाटन करने वाले हैं जिसके बाद से लोग इसकी सेवाओं का फ़ायदा उठा सकेंगे.

शौकत को इंटरनेट के ख़तरों की भी पहचान है. वह कहते हैं कि वेबसाइट में लोगों की सुरक्षा और निजता का भी पूरा ध्यान रखा गया है. रिजिस्टर करने वालों को एक कोड दिया जाता है और एक ख़ास पासवर्ड उनके मोबाइल को भेजा जाता है जिसके बाद ही वे लॉगिन कर सकते हैं. संपर्क की इच्छा जताने वाले लोगों की जानकारी पहले परिवारों को दी जाती है जिसके बाद ही कोई किसी से बातचीत कर सकता है.

शौकत के मुताबिक इस मुहिम के शुरू होने से पहले निलंबूर में दहेज आम बात थी. मामले की गंभीरता तब सामने आई जब एक सर्वेक्षण में पता चला कि कई लोगों ने अपनी बेटियों की शादी के लिए घर गिरवी रखे थे, कई परिवार पूरी तरह तबाह हो गए थे. कई परिवारों ने शादियों में दो करोड़ तक का खर्चा उठाया था. यह हाल उस गांव में था जहां की लगभग 50,000 की जनसंख्या में से केवल 20,000 पुरुष हैं और बाकी महिलाएं हैं. निलंबूर में ज़्यादातर लोग मुस्लिम समुदाय के हैं, हालांकि गांव में हिंदू और क्रिश्चियन परिवार भी हैं. अनूठी मुहिम शुरू करने वाले प्रधान और पंचायत का कहना इससे सभी समुदायों को लाभ होगा और कुरीति मिटाने में मदद मिलेगी.

रिपोर्टः पीटीआई/एम गोपालकृष्णन

संपादनः ओ सिंह

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