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समाज

केरल में किन्नरों के लिए स्कूल खुला

३० दिसम्बर २०१६

समाज के दबाव में मां बाप उन्हें ताली बजाने और नाचने गाने के लिये छोड़ देते हैं. ऐसे में केरल का नया स्कूल क्या किन्नरों की जिंदगी बदल सकेगा?

Indien Transgender Archiv 2013
तस्वीर: Punit Paranjpe/AFP/Getty Images

दक्षिण भारतीय राज्य केरल में सहज अल्टरनेट लर्निंग सेंटर खोला गया है. शुरुआत में यहां 10 किन्नर छात्र होंगे. सामाजिक कार्यकर्ता और वॉलंटियर टीचर उन्हें पढ़ाएंगे. सेंटर की स्थापना करने वाली समाजिक कार्यकर्ता विजयराजा मल्लिका कहती हैं, "यह सेंटर उन ट्रांसजेंडर छात्रों के लिये है, जिन्होंने बुरे व्यवहार के कारण स्कूल छोड़ दिया या फिर उन्हें उनके परिवार या स्कूल प्रशासन ने निकाल दिया."

सेंटर सामाजिक दंश झेल रहे किन्नरों की जिंदगी आसान करना चाहता है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बातचीत करते हुए मल्लिका ने कहा, "हम उन्हें मुख्यधारा में लाने की कोशिश करेंगे, पूरी शिक्षा और कौशल के साथ उन्हें समाज का हिस्सा बनाएंगे. वे नौकरी कर सकेंगे और आजाद जिंदगी जी सकेंगे."

तस्वीर: picture alliance/dpa/Jagadeesh Nv

भारत में करीब 20 लाख किन्नर हैं. 2014 में देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि किन्नरों को भी बराबर कानूनी अधिकार हैं. अदालत ने उन्हें तीसरे लिंग का कानूनी दर्जा भी दिया. इसके साथ ही किन्नरों को शादी और पैतृक संपत्ति का अधिकार भी मिला. तीसरे लिंग को नौकरी और शिक्षण संस्थाओं में कोटा पाने के योग्य भी करार दिया गया.

कानूनी दस्तावेजों में भले ही बदलाव हो गये हों, लेकिन आम जिंदगी में आज भी किन्नर होना किसी अभिशाप से कम नहीं. आम तौर पर किन्नरों को बचपन में ही घर से निकाल दिया जाता है. उन्हें किन्नरों की टोली को दे दिया जाता है. इसके बाद उनके लिये जिंदगी के मायने ही बदल जाते हैं. नाचना गाना, पैसा मांगना या मजबूरन सेक्स में धकेला जाना, ज्यादातर किन्नर इन्हीं अनुभवों से गुजरते हैं.

लेकिन अब बदलाव की हल्की आहट मिल रही है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उड़ीसा की सरकार ने भी ट्रांसजेंडरों के लिये एक कल्याण योजना बनाई है. इसके तहत उन्हें पेंशन जैसी मदद भी मिलेगी. बॉलीवुड भी सहारा दे रहा है. हाल ही में ट्रांसजेंडर महिलाओं के 6 पैक बैंड का एक गाना एक फिल्म में शुमार किया गया.

लेकिन आम समाज में बदलाव कब होगा, यह सवाल बना हुआ है. विजयराजा मल्लिका ने जब केरल में सेंटर खोलने के लिए जमीन लेनी चाही तो 50 से ज्यादा लोगों ने उन्हें प्लॉट देने से मना कर दिया.

ओएसजे/आरपी (रॉयटर्स)

 

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