समलैंगिकों के अधिकारों को ले कर एक संस्था केरल हाईकोर्ट पहुंची है. अगर अदालत ने माना तो समलैंगिकों का "इलाज" करने की प्रथा गैरकानूनी कहलाएगी.
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अवस्थी की उम्र 22 साल है. भारत की किसी भी सामान्य लड़की की तरह इस उम्र में उसके पास भी शादी के लिए रिश्ते आ रहे हैं. लेकिन अवस्थी को शादी नहीं करनी. उसकी मर्दों में कोई रुचि नहीं है. माता पिता को कई बार टालने के बाद आखिरकार अवस्थी ने उन्हें अपनी सच्चाई बताने का फैसला किया. उसे लगा था कि वे उसे समझेंगे लेकिन वे तो उसे इलाज कराने के लिए पहले एक नन और फिर डॉक्टर के पास ले गए.
कमाल की बात यह थी कि डॉक्टर ने भी इलाज करने का बीड़ा उठा लिया. अवस्थी पर कुछ टेस्ट किए गए और डॉक्टर ने माता पिता को आश्वासन दिया कि हार्मोन थेरेपी के जरिए वह उनकी बेटी का इलाज करेगी. अवस्थी से डॉक्टर ने कहा, "हम इस बात की जांच करेंगे कि तुम किसी पुरुष के साथ संभोग क्यों नहीं करना चाहती हो. तुम्हें यहां भर्ती होना होगा और हमें कुछ टेस्ट करने होंगे ताकि पता कर सकें कि तुम्हें क्या बीमारी है. टेस्ट के नतीजों के बिनाह पर ही कोई फैसला लिया जा सकेगा और उसके बाद काउंसलिंग सेशन भी होंगे."
कन्वर्जन थेरेपी के खिलाफ कानून
यह कहानी सिर्फ अवस्थी की नहीं है. भारत में जगह जगह लोग झाड़ फूंक करा के या फिर डॉक्टर के पास इलाज करा के अपने समलैंगिक बच्चों को "ठीक" करने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन भविष्य में शायद वे ऐसा नहीं कर पाएंगे. कम से कम केरल में तो नहीं. केरल भारत का पहला ऐसा राज्य बनने जा रहा है जहां किसी व्यक्ति के लैंगिक रुझान को बदलने की कोशिश करने को गैरकानूनी करार दिया जाएगा. किसी भी स्वास्थ्यकर्मी या धर्म गुरु द्वारा ऐसा करना अपराध माना जाएगा.
"करेक्शन थेरेपी" या "कन्वर्जन थेरेपी" के तहत कई बार समलैंगिक व्यक्तियों को तब तक मारा पीटा जाता है जब तक वह "ठीक" हो जाने का वादा ना करें. कई लोग इसे शैतान या प्रेत आत्मा का साया बताते हैं. कई मामलों में तो इसके तहत बलात्कार तक किया जाता है. संयुक्त राष्ट्र ने दुनिया भर में इस तरह के "इलाज" के तरीकों को खत्म करने की मांग की है लेकिन अब तक सिर्फ तीन ही देशों ने ऐसा किया है. ये देश हैं ब्राजील, इक्वाडोर और माल्टा. इनके अलावा न्यूजीलैंड, कनाडा, ब्रिटेन और आयरलैंड में इस पर चर्चा चल रही है.
किन देशों में इजाजत है समलैंगिक विवाह की
कोस्टा रिका में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता मिल जाने के बाद, अब दुनिया में कम से कम 29 देशों में समलैंगिक विवाह की अनुमति है. जानिए कौन कौन से हैं ये देश.
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समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता
कोस्टा रिका के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, वहां 26 मई को समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता मिल गई. इसी के साथ कोस्टा रिका समलैंगिक विवाहों को कानूनी रूप से वैध मानने वाला दक्षिण अमेरिका का आठवां देश बन गया. अब दुनिया में कम से कम 29 देशों में समलैंगिक विवाह की अनुमति है. जानिए कौन कौन से हैं ये देश.
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अमेरिका
अमेरिका में 2004 तक सिर्फ एक राज्य में समलैंगिक विवाह मान्य था, लेकिन 2015 तक सभी 50 राज्यों में कानूनी वैधता मिल चुकी थी. सभी राज्यों में अलग अलग कानून हैं.
यूनाइटेड किंगडम के सभी हिस्सों में समलैंगिक विवाह मान्य हैं. इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स में मान्यता 2014 में मिली थी और नॉर्दर्न आयरलैंड में जनवरी 2020 में. इसके अलावा 14 ब्रिटिश ओवरसीज टेरिटरीज में से नौ में समलैंगिक विवाह मान्य हैं.
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फ्रांस
फ्रांस में समलैंगिक विवाह मई 2013 से कानूनी रूप से मान्य हैं. ये वैधता मेट्रोपोलिटन फ्रांस और फ्रेंच ओवरसीज टेरिटरीज में भी लागू है. फ्रांस में एक सिविल यूनियन योजना नवंबर 1999 से लागू है, जिसके तहत समलैंगिक जोड़े रिश्ता कायम कर सकते हैं.
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जर्मनी
जर्मनी में समलैंगिक विवाहों को अक्टूबर 2017 में मान्यता मिली थी. वैसे देश में समलैंगिक जोड़ों को विवाह के अधिकार सीमित रूप से 2001 से ही प्राप्त थे.
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ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया में समलैंगिक विवाह दिसंबर 2017 से वैध हैं. कानून पारित होने से पहले पूरे देश में डाक से एक सर्वेक्षण भी कराया गया था, जिसमें 61.6 प्रतिशत लोगों ने समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने का समर्थन किया था.
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ब्राजील
ब्राजील में समलैंगिक विवाह मई 2013 से कानूनी रूप से वैध हैं. समलैंगिक रिश्तों को मान्यता 2004 में ही मिल गई थी और विवाह के सीमित अधिकार 2011 में मिल गए थे.
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कनाडा
कनाडा के कुछ प्रांतों में समलैंगिक विवाहों को मान्यता 2003 से ही मिलनी शुरू हो गई थी और जुलाई 2005 में ये वैधता पूरे देश में लागू हो गई.
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नीदरलैंड्स
अप्रैल 2001 को नीदरलैंड्स समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने वाला दुनिया का सबसे पहला देश बन गया था. वहां समलैंगिक जोड़ों के लिए रजिस्टरड पार्टनरशिप जनवरी 1998 से ही उपलब्ध थी.
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दक्षिण अफ्रीका
दक्षिण अफ्रीका अफ्रीका का एकमात्र देश है जहां समलैंगिक विवाह कानूनी रूप से मान्य हैं. यहां समलैंगिक विवाहों को मान्यता नवंबर 2006 में ही मिल गई थी.
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ताइवान
ताइवान में समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता मई 2019 में मिली थी. ताइवान यह मान्यता देने वाला एशिया का एकलौता देश है. हालांकि समलैंगिक जोड़ों को बच्चा गोद लेने जैसे कुछ अधिकार अभी भी नहीं मिले हैं.
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20 और देश
इसके अलावा समलैंगिक विवाहों को अर्जेंटीना, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, कोलंबिया, डेनमार्क, इक्वाडोर, फिनलैंड, आइसलैंड, आयरलैंड, लक्जमबर्ग, माल्टा, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन और उरुग्वे में भी कानूनी मान्यता प्राप्त है. इनके आलावा मेक्सिको और इस्राएल में सीमित रूप से इन्हें मान्यता दी जाती है.
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इलाज के नाम पर प्रताड़ना
केरल हाईकोर्ट में इसके खिलाफ एक याचिका दायर की गई है जिसे अदालत ने स्वीकार लिया है. अगले महीने से इस पर सुनवाई शुरू होगी. समलैंगिक लोगों के अधिकारों के लिए काम करने वाली संस्था कीराला ने यह याचिका दायर की है. संस्था का कहना है कि इस साल मई में एक समलैंगिक छात्रा अंजना हरीश की खुदकुशी के बाद उन्होंने अदालत जाने का फैसला किया. अंजना ने अपनी जान लेने से पहले फेसबुक पर एक वीडियो पोस्ट कर के विस्तार में बताया था कि उसका "इलाज" कराने के लिए उसके घर वालों ने उसके साथ क्या क्या अत्याचार किया.
वीडियो में अंजना ने कहा कि उसे एक ईसाई मेंटल हेल्थ सेंटर में रखा गया था, जहां उसे इतनी भारी नशे की दवाएं दी जाती थी कि वह रोबोट जैसा महसूस करती थी, "मुझे कुछ 40 इंजेक्शन दिए गए... मैं मानसिक और शारीरिक रूप से टूट चुकी थी." अंजना ने बताया कि दो महीने तक चला यह "इलाज" दो अलग अलग सेंटरों में हुआ, "मुझे सबसे ज्यादा अफसोस इस बात का होता है कि मेरे अपने परिवार ने मेरे साथ ऐसा किया. जिन लोगों को मेरी रक्षा करनी थी, उन्होंने ही मुझे प्रताड़ित किया."
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लॉकडाउन में बढ़े मामले
कीराला का कहना है कि मार्च में लॉकडाउन शुरू होने के बाद से उनके पास मदद के लिए 1200 फोन कॉल आ चुके हैं जबकि 2019 में पूरे साल में 1500 कॉल आए थे. इनमें से ज्यादातर मामलों में लोग परिवार से परेशान हो कर आत्महत्या की बात कर रहे होते हैं. कन्वर्जन थेरेपी पर कोई आधिकारिक डाटा तो मौजूद नहीं है लेकिन कीराला का कहना है कि उसे केरल में 20 ऐसे मेन्टल हेल्थ सेंटरों की जानकारी है जहां ऐसा होता है.
अब तक तमिलनाडु भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है जिसने "2019 मेन्टल हेल्थ पॉलिसी" के तहत कन्वर्जन थेरेपी को "अनुचित और अवैज्ञानिक" बताया है. LGBTQ+ लोगों के अधिकारों के लिए काम करने वाले समूहों का कहना है कि कन्वर्जन थेरेपी को गैरकानूनी घोषित करने से बड़ी मदद मिलेगी. लेकिन साथ ही लोगों की मानसिकता में बदलाव भी जरूरी है.
भारत समेत कई देशों में समलैंगिक अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ते रहे हैं. लेकिन जिन्हें हम एक शब्द "समलैंगिक" में समेट देते हैं, वे खुद को एलजीबीटीक्यू कम्यूनिटी कहते हैं. आखिर क्या है LGBTQ?
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एल से लेस्बियन
लेस्बियन यानी वे महिलाएं जो महिलाओं की ओर आकर्षित होती हैं. 1996 में आई फिल्म फायर ने जब इस मुद्दे को उठाया तब काफी बवाल हुआ. आज 20 साल बाद भी यह मुद्दा उतना ही संवेदनशील है.
तस्वीर: Reuters
जी से गे
गे यानी वे पुरुष जो पुरुषों की ओर आकर्षित होते हैं. दोस्ताना और कल हो ना हो जैसी फिल्मों में हंसी मजाक में समलैंगिक पुरुषों के मुद्दे को उठाया गया, तो हाल ही में आई अलीगढ़ में इसकी संजीदगी देखने को मिली.
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बी से बायसेक्शुअल
बायसेक्शुअल एक ऐसा व्यक्ति है जो महिला और पुरुष दोनों की ओर आकर्षित महसूस करे. ऐंजेलिना जोली और लेडी गागा खुल कर अपने बायसेक्शुअल होने की बात कह चुकी हैं.
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टी से ट्रांसजेंडर
एल, जी और बी से अलग ट्रांसजेंडर को उनके लैंगिक रुझान के अनुसार नहीं देखा जाता. भारत में जिन्हें हिजड़े या किन्नर कहा जाता है, वे भी ट्रांसजेंडर हैं और बॉलीवुड में जानेमाने बॉबी डार्लिंग जैसे वे लोग भी जो खुद अपना सेक्स बदलवाते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/M. Muheisen
क्यू से क्वीयर
इस शब्द का मतलब होता है अजीब. इसके जरिये हर उस व्यक्ति की बात की जा सकती है जो "सामान्य" नहीं है. चाहे जन्म से उस व्यक्ति में महिला और पुरुष दोनों के गुण हों और चाहे वह किसी की भी ओर आकर्षित हो.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/C. Bruna
और भी हैं
यह सूची यहां खत्म नहीं होती. कई बार एलजीबीटीक्यू के आगे ए भी लगा दिखता है. इसका मतलब है एसेक्शुअल यानी ऐसा व्यक्ति जिसकी सेक्स में कोई रुचि ना हो. इनके अलावा क्रॉसड्रेसर भी होते हैं यानी वे लोग जो विपरीत लिंग की तरह कपड़े पहनना पसंद करते हैं.