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केरल में कोविड-19 का ग्राफ गिरना शुरू

चारु कार्तिकेय
१३ अप्रैल २०२०

केरल में जनवरी में भारत का पहला कोविड-19 पॉजिटिव केस सामने आया था. लेकिन एक आक्रामक रणनीति की मदद से राज्य में अब बीमारी का कर्व शिथिल होना शुरू हो चुका है.

Indien Cochin chinesische Fischernetze bei Sonnenuntergang
तस्वीर: picture-alliance/DUMONT Bildarchiv

केरल वो राज्य है जहां भारत का पहला कोविड-19 पॉजिटिव केस सामने आया था. जनवरी में चीन की वुहान यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाली एक छात्रा जब केरल के थ्रिसूर जिले में अपने घर वापस लौटी तो उसे कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया. वुहान वही शहर है जहां से इस वैश्विक महामारी की शुरुआत हुई थी. थ्रिसूर की इस छात्रा को तुरंत अस्पताल में भर्ती किया गया और करीब तीन सप्ताह में वो पूरी तरह ठीक भी हो गई. तब से अब तक केरल ने एक लंबा सफर तय कर लिया है और राज्य सरकार अब दावा कर रही है कि राज्य में बीमारी का ग्राफ गिरने लगा है. 

राज्य में अभी तक कुल 376 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 179 लोग बीमारी से ठीक हो गए और सिर्फ 20 लोगों की जान गई है. 200 से ज्यादा मामलों वाले राज्यों में इतनी काम मौतें देखने वाला केरल एकमात्र राज्य है. इसके मुकाबले मरने वालों की संख्या महाराष्ट्र में 149 है, मध्य प्रदेश में 36, गुजरात में 25, दिल्ली में 24, तमिलनाडु में 11,  तेलंगाना में नौ, आंध्र प्रदेश में सात, कर्नाटक में छह, उत्तर प्रदेश में पांच, जम्मू और कश्मीर में चार, और राजस्थान में तीन.

लेकिन इससे ज्यादा जरूरी आंकड़ा केरल में नए मामलों में आई गिरावट का है. रविवार 12 अप्रैल को जहां देश में 796 नए मामले सामने आए वहीं केरल में सिर्फ दो नए मामले आए. राज्य के वित्त मंत्री थॉमस ईसाक का कहना है कि राज्य में कोविड-19 का कर्व अब शिथिल होना शुरू हो चुका है. ईसाक के अनुसार पिछले एक सप्ताह में एक्टिव मामले भी गिर गए हैं और ठीक होने वाले मामले भी बढ़ रहे हैं.

आक्रामक रणनीति

रविवार को राज्य में 36 लोग ठीक हो गए और राज्य में ठीक होने वालों की कुल संख्या 179 हो गई, जो कि राज्य में आए कुल मामलों का लगभग 48 प्रतिशत है. इसके उलट, ठीक होने की राष्ट्रीय दर लगभग नौ प्रतिशत है. रविवार शाम तक केरल का देश के कुल मामलों में योगदान सिर्फ चार प्रतिशत के आस पास था, लेकिन ठीक हुए मरीजों के आंकड़ों में योगदान 18 प्रतिशत से भी ज्यादा था. विशेषज्ञों का कहना है कि यह सब केरल की अच्छी रणनीति का असर है, जिसके तहत आक्रामक रूप से टेस्ट किए गए, संक्रमित लोगों को अलग थलग किया गया, उनसे संपर्क में आए सभी लोगों को ढूंढा गया और सभी हॉटस्पॉट को पूरी तरह सील भी किया गया.

नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने भी ट्विटर पर केरल की रणनीति की तारीफ की. 

हालांकि राज्य के अधिकारियों ने अभी राहत की सांस नहीं ली है. राष्ट्रीय स्तर पर अभी भी संक्रमण के फैलने की गति चिंताजनक ही है. केरल के आस पास के राज्यों में, विशेष रूप से तमिलनाडु में, हालात अच्छे नहीं हैं.

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