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"केसों का आवंटन मुख्य न्यायाधीश का विशेषाधिकार"

११ अप्रैल २०१८

सुप्रीम कोर्ट में मामलों के आवंटन और बेंचो के गठन को लेकर पारदर्शिता बरतने से जुड़ी याचिका को आज उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश के पास इसका विशेषाधिकार है.

Indien Oberstes Gericht Supreme Court
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/T. Topgyal

इस मसले पर सु्प्रीम कोर्ट में वकील अशोक पांडे ने जनहित याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि न्यायालय के चार सबसे वरिष्ठ न्यायाधीशों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद मुख्य न्यायधीश के बेंच बनाने और मामले के निपटारे के संबंध में नियम निर्धारित करना राष्ट्रीय हित में है.

लेकिन इस याचिका पर फैसला सुनाते हुए मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायाधीश एएम खानविलकर और न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश, न्यायालय का सर्वोच्च संवैधानिक अधिकारी है और मामलों का आवंटन उसका विशेषाधिकार है. कोर्ट ने कहा कि वह सर्वोच्च संवैधानिक अधिकारी है, इसलिए उस पर किसी तरह का अविश्वास नहीं दिखाया जा सकता. साथ ही उनके अधिकार तथा जिम्मेदारी से कोई छेड़छाड़ नहीं हो सकती.

याचिका में मांग की गई थी कि उच्चतम न्यायालय के दो अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीशों के साथ बैठकर मुख्य न्यायाधीश को उनकी सलाह पर मामलों का बंटवारा करना चाहिए.

दरअसल सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ न्यायाधीश, जस्टिस जे चेलामेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसफ ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मुख्य न्यायधीश कामकाज पर अनियमितताओं के आरोप लगाए थे. इसमें न्यायपालिका के कामकाज और मामलों के बंटवारे को लेकर अंसतोष जाहिर किया गया था. हालांकि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के पहले इन न्यायाधीशों ने मुख्य न्यायाधीशों को लिखे अपने पत्र में कहा था कि अहम मामले जूनियर जजों को सौंपे जा रहे हैं.

एए/आईबी

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