सुप्रीम कोर्ट में मामलों के आवंटन और बेंचो के गठन को लेकर पारदर्शिता बरतने से जुड़ी याचिका को आज उच्चतम न्यायालय ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश के पास इसका विशेषाधिकार है.
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इस मसले पर सु्प्रीम कोर्ट में वकील अशोक पांडे ने जनहित याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि न्यायालय के चार सबसे वरिष्ठ न्यायाधीशों की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद मुख्य न्यायधीश के बेंच बनाने और मामले के निपटारे के संबंध में नियम निर्धारित करना राष्ट्रीय हित में है.
लेकिन इस याचिका पर फैसला सुनाते हुए मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायाधीश एएम खानविलकर और न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश, न्यायालय का सर्वोच्च संवैधानिक अधिकारी है और मामलों का आवंटन उसका विशेषाधिकार है. कोर्ट ने कहा कि वह सर्वोच्च संवैधानिक अधिकारी है, इसलिए उस पर किसी तरह का अविश्वास नहीं दिखाया जा सकता. साथ ही उनके अधिकार तथा जिम्मेदारी से कोई छेड़छाड़ नहीं हो सकती.
याचिका में मांग की गई थी कि उच्चतम न्यायालय के दो अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीशों के साथ बैठकर मुख्य न्यायाधीश को उनकी सलाह पर मामलों का बंटवारा करना चाहिए.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ न्यायाधीश, जस्टिस जे चेलामेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसफ ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मुख्य न्यायधीश कामकाज पर अनियमितताओं के आरोप लगाए थे. इसमें न्यायपालिका के कामकाज और मामलों के बंटवारे को लेकर अंसतोष जाहिर किया गया था. हालांकि इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के पहले इन न्यायाधीशों ने मुख्य न्यायाधीशों को लिखे अपने पत्र में कहा था कि अहम मामले जूनियर जजों को सौंपे जा रहे हैं.
दुनिया की कुछ प्रमुख संसदें
जन प्रतिनिधि सभाओं का आजकल के शासन में अहम स्थान है. कहीं इन्हें लोकतंत्र के मंदिर कहा जाता है तो कहीं इनके अधिकार खतरे में हैं.
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चीन
चीन की राष्ट्रीय पीपुल्स कांग्रेस दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे कमजोर संसद है. इसके करीब 3000 सदस्य हैं. हर पांच साल पर इसका चुनाव होता है. एक सदन वाली चीनी संसद को कानून बनाने, सरकार की गतिविधियों की निगरानी और प्रमुख अधिकारियों के चुनाव का अधिकार है. लेकिन असल में सारे फैसले देश कम्युनिस्ट पार्टी लेती है, जिसका चीन में एकछत्र राज है.
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जर्मनी
जर्मन संसद बुंडेसटाग की 598 सीटों में आधे का चुनाव देश भर में बंटे चुनाव क्षेत्रों में होता है जबकि बाकी को पार्टियों को मिले मतों के अनुपात में बांटा जाता है ताकि उनकी सीटें वोट के अनुपात में हों. संसद में प्रतिनिधित्व पाने के लिए वोटों की न्यूनतम सीमा 5 प्रतिशत है. सरकार के मुकाबले संसद की ताकत में लगातार इजाफा हो रहा है.
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ब्रिटेन
ब्रिटेन की संसद दो सदनों वाली है. हाउस ऑफ लॉर्ड्स और हाउस ऑफ कॉमंस. 650 सदस्यों वाले हाउस ऑफ कॉमंस का चुनाव हर पांच साल पर होता है. संसद के दूसरे सदन हाउस ऑफ लॉर्ड्स में 804 सदस्य हैं जो लॉर्ड टेम्पोरल और लॉर्ड स्पीरिचुअल में बंटे हैं.
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अमेरिका
कांग्रेस के नाम से जानी जाने वाली अमेरिकी संसद के भी दो सदन हैं. उपरी सदन सीनेट के 100 सदस्य हैं, जिनका कार्यकाल छह साल का होता है. हर राज्य से दो सदस्य चुने जाते हैं. निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के 435 सदस्यों का चुनाव दो साल पर होता है.
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फ्रांस
फ्रांस की संसद के दो सदनों का नाम सीनेट और नेशनल एसेंबली है. सीनेट की 348 और नेशनल एसेंबली की 577 सीटें हैं. फ्रांस में राष्ट्रपति प्रधानमंत्री और मंत्रियों को नियुक्त करता है और उस पर कोई दबाव नहीं है कि ये अधिकारी संसद में बहुमत की पार्टी के हों. नेशनल एसेंबली अविश्वस प्रस्ताव पास कर सरकार को गिरा जरूर सकती है.
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भारत
ब्रिटेन की गुलामी में रहे भारत की संसद भी ब्रिटेन की संसद के नमूने पर बनी है, लेकिन यहां सम्राट के बदले राष्ट्रपति राज्य प्रमुख हैं. निचले सदन लोक सभा के 542 सदस्यों का चुनाव पांच साल के लिए सीधे निर्वाचन से होता है, जबकि उपरी सदन राज्य सभा के सदस्यों का चुनाव प्रांतीय विधान सभाओं के द्वारा छह साल के लिए होता है.
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पाकिस्तान
दो सदनों वाली पाकिस्तान संसद में ऊपरी सदन का नाम सीनेट और निचले सदन क नाम नेशनल एसेंबली है. नेशनल एसेंबली के 342 सदस्यों का चुनाव पांच साल के लिए वयस्क मतदान के आधार पर होता है. 60 सीटें महिलाओं के लिए और 10 सीटें धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षित हैं. सीनेट के सदस्य छह साल के लिए चुने जाते हैं.
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बांग्लादेश
बांग्लादेश की संसद का नाम जातीयो संसद है. 350 सदस्यों वाली संसद का कार्यकाल 5 वर्षों का है और 50 सीटें महिलाओं के लिए सुरक्षित हैं, जिनकी नियुक्ति पार्टी द्वारा जीती गई सीटों पर होती है. बांग्लादेश में संसद में बहुमत दल का नेता प्रधानमंत्री बनता है और संसद ही राष्ट्रपति का चुनाव करती है.
नेपाल की वर्तमान संसद देश की दूसरी संविधान सभा है. देश के 2015 के संविधान के अनुसार नेपाली संसद के दो सदन हैं, निचला सदन प्रतिनिधि सभा है जिसके 275 सदस्यों का चुनाव सीधे मतदान से होता है. ऊपरी सदन राष्ट्रीय सभा के 59 सदस्य छह साल के लिए चुने जाते हैं.
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कनाडा
उत्तरी अमेरिका में बसे कनाडा की संसद के भी दो सदन हैं. निचले सदन के 338 सदस्य चुनाव क्षेत्रों में सीधे मतदान से चुने जाते हैं. उपरी सदन सीनेट के 105 सदस्यों की नियुक्ति प्रधानमंत्री की सलाह पर देश के गवर्नर जनरल एक एक को बुलाकर करते हैं. संसदीय कार्रवाई लगभग ब्रिटेन जैसी है.
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रूस
रूस की 616 सदस्यों वाली संसद के दो सदन हैं. निचले सदन का नाम स्टेट डूमा है और उसके 450 सदस्यों में आधा निर्वाचन क्षेत्रों से चुना जाता है और आधा पार्टी को मिले वोटों के आधार पर. संसद के ऊपरी सदन संघीय परिषद के लिए रूस की सभी 85 संघीय इकाईयां दो दो सदस्य भेजती हैं.
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तुर्की
तुर्की की संसद का नाम 'ग्रैंड नेशनल एसेंबली ऑफ टर्की' है, लेकिन उसे मजलिस के नाम से पुकारा जाता है. 550 सदस्यों वाली संसद का चुनाव पार्टी सूची के आधार पर आनुपातिक पद्धति से होता है. संसद में पहुंचने के लिए पार्टियों को कम से कम 10 प्रतिशत मत पाना जरूरी है. संविधान में संशोधन के जरिये संसद के अधिकारों में भारी कटौती का प्रस्ताव है.
तस्वीर: picture-alliance/AP/dpa/B. Ozbilici
यूरोपीय संसद
751 सदस्यों वाली यूरोपीय संसद यूरोपीय संघ की सीधे निर्वाचित संस्था है. यूरोपीय आयोग और यूरोपीय संघ की परिषद के साथ मिलकर वह यूरोपीय संघ की विधायिका वाली जिम्मेदारी को पूरा करती है. भारत के बाद यह दूसरी सबसे ज्यादा लोकतांत्रिक मतदाताओं की प्रतिनिधि सभा है.