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कैंसर का आनुवांशिक कारण

१० जुलाई २०१४

हाइडेलबैर्ग में मॉलिक्यूलर बायोलॉजी की यूरोपीय प्रयोगशाला, ईएमबीएल में कई विषयों पर अहम शोध किए जा रहे हैं. एक अहम शोध के सहारे वैज्ञानिक जानना चाह रहे हैं कि क्या जीन में बदलाव कर कैंसर से लड़ा जा सकता है.

तस्वीर: BayerHealthcare

यान कोर्बेल इएमबीएल में इसी विषय पर 2008 से शोध कर रहे हैं. कोर्बेल यहां कैंसर जैसी बीमारियों और उससे जीन्स में होने वाले बदलाव के बीच संबंध की खोज कर रहे हैं. शोध के शुरुआती दौर में संस्थान में एक परिवार का केस आया, जिसके सदस्यों में कैंसर आम बीमारी बन गई है. एक बच्चे को कई बार कैंसर हुआ और फिर उसकी मौत हो गई. कैंसर ट्यूमर और खून में रिसर्चरों को कारण मिल गया, एक क्रोमोजोम फट गया था और जीन्स की जानकारी इधर उधर हो गई. कोर्बेल बताते हैं, "जिस कोशिका में ये हुआ, शायद बच्चे के दिमाग का इकलौता सेल, इस नुकसान की थोड़ी सी भरपाई कर पाया. इसका मतलब है कि क्रोमोजोम थोड़ा रिपेयर हो सका लेकिन पूरी तरह से नहीं."

इसके बाद शोधकर्ताओं को एक और बदला हुआ जीन मिला. वैज्ञानिकों को लगा कि जीन में हुए विस्फोट के कारण ये बदलाव हुआ हो सकता है. इसका पता लगना अपने आप में बहुत अहम है. लेकिन कोर्बेल बहुत खुश नहीं हैं. वे कहते हैं, "हम शोधकर्ता हैं. अच्छा महसूस होता है कि जब हमें एक प्रक्रिया मिलती है जिससे हम बता सकते हैं कि बच्चों में ये बीमारी ज्यादा क्यों हो रही है. लेकिन साथ ही एक डर भी पैदा होता है जब हम देखते हैं कि हमारी कोशिकाओं में क्या क्या हो सकता है."

कैंसर पैदा करने वाली इस कमी को पीढ़ी दर पीढ़ी देखा जा सकता है. यान कोर्बेल के मुताबिक, "नतीजा ये है कि जिन परिवारों में म्यूटेशन हो रहा है, उनकी बार बार जांच की जा सकती है ताकि कैंसर का सही समय पर पता चल जाए, ऐसी स्टेज पर जहां ट्यूमर को ऑपरेट करके निकाला जा सकता हो."

इस संस्थान में बढ़िया रिसर्चर मौजूद हैं. लेकिन यहां वो बहुत थोड़े समय के लिए ही काम कर सकते हैं, "एक संस्थान के तौर पर ईएमबीएल इतना विकसित नहीं हो पाता अगर हर नौ साल में वो खुद को नहीं बदलता." इसके बावजूद वैज्ञानिक यहां आना पसंद करते हैं क्योंकि यहां वो सब मिलता है जिसका सपना एक रिसर्चर देखता है, पैसा और शोध के लिए बेहतरीन उपकरण. बड़ी कंपनियां भी यहां के नए रिसर्चरों के साथ साझेदारी करती हैं. कंपनियों के बड़े रिसर्चर भी यहां आ सकते हैं. कई अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिकों के साथ यहां यूरोपीय, एशियाई और अमेरिकी वैज्ञानिक भी हैं.

यान कोर्बेल ईएमबीएल में अपना समय बहुत सोच समझ कर इस्तेमाल करना चाहते हैं, "मैं शोध में ऐसा कुछ करना चाहता हूं जिससे समाज को फायदा हो. जैसे कैंसर में ऐसे शोध करना जो बाद में सच में मरीजों के काम आ सकें."

रिपोर्ट: मारिया लेसर/एएम

संपादन: मानसी गोपालकृष्णन

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