यूरोपीय नेताओं ने स्पेन और कैटेलोनिया के बीच पैदा तनातनी पर दखल या मध्यस्थता करने से साफ इनकार कर दिया है. ईयू नेताओं का मानना है कि यह मामला मैड्रिड और बार्सिलोना का है और इसका समाधान दोनों ही पक्षों को निकालना होगा.
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यूरोपीय काउंसिल के अध्यक्ष डॉनल्ड टस्क ने यूरोपीय संघ सम्मेलन के बाद मीडिया से बातचीत में साफ किया कि कैटेलोनिया संकट उनके एजेंडे में नहीं है. उन्होंने कहा, "हम सबके अपने विचार और भावनाएं हो सकती हैं लेकिन औपचारिक रूप से इस पूरे मसले में ईयू के दखल के लिए कोई जगह नहीं है." उन्होंने कहा कि सदस्य देश यह साफ कर चुके हैं कि इस पूरे मामले में हस्तक्षेप के लिए कोई स्थान नहीं है. इसके पहले कैटेलोनिया के राष्ट्रपति पुजदेमोन ने स्पेन सरकार को लिखे पत्र में चेतावनी दी थी, "अगर स्पेन कैटेलोनिया से कोई बातचीत नहीं करेगा तो कैटेलोनिया खुद को स्पेन से आजाद देश घोषित कर देगा."
स्पेन के प्रधानमंत्री और अनुच्छेद 155
स्पेन के प्रधानमंत्री मारियानो रखोय देश के संविधान (1978) में शामिल अनुच्छेद 155 को लागू करने पर विचार कर रहे हैं. इस अनुच्छेद के मुताबिक, देश के अगर किसी हिस्से या राज्य में कानून व्यवस्था का पालन नहीं किया जाता तो देश की सरकार के पास उस हिस्से या राज्य को अपने नियंत्रण में लेने का अधिकार है. इसी मुद्दे पर आगे बढ़ने के लिए स्पेन सरकार ने कैबिनेट की खास बैठक भी बुलाई है. माना जा रहा है कि इस बैठक में कैटेलोनिया के राष्ट्रपति पुजदेमोन को पद से हटाने, स्कूल और शिक्षण संस्थानों पर नियंत्रण करने, प्रांत में नये चुनाव घोषित करने और यहां की संसद को भंग करने समेत कैटेलोनिया की आजादी की मुखर आवाज माने वाली जाने वाली यहां की स्थानीय मीडिया को अपने नियंत्रण में लेने पर विचार किया जायेगा.
कैटेलोनिया को क्यों छोड़ना नहीं चाहता स्पेन
स्पेन से अलग होने की जुगत में भिड़ा स्वायत्त प्रदेश कैटेलोनिया सीधे तौर पर स्पेन सरकार से टक्कर ले रहा है. लेकिन स्पेन सरकार है कि इसे खुद से अलग ही नहीं करना चाहती. आखिर स्पेन के लिए कैटेलोनिया की क्या अहमियत है.
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अलग होने का कारण
कैटेलोनिया के स्पेन से अलग होने के कारण आर्थिक समीकरणों में छिपे नजर आते हैं. कैटेलोनिया स्पेन का इंडस्ट्रियल हब है. विशेषज्ञ मानते हैं कि साल 2008 के वैश्विक आर्थिक संकट के बाद पैदा हुई बेरोजगारी और कर्ज वृद्धि के लिए कैटेलोनिया, मैड्रिड को जिम्मेदार मानता है. आजादी का पुरजोर समर्थन करने वाले मानते हैं कि कैटेलोनिया का इस्तेमाल स्पेन गरीब क्षेत्रों को उबारने के लिए कर रहा है.
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कैटेलोनिया की अर्थव्यस्था
रॉयटर्स के मुताबिक कैटेलोनिया हर साल मैड्रिड को 12 अरब डॉलर टैक्स देता है. स्पेन का लगभग 25 फीसदी निर्यात इसी राज्य से होता है. जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी तकरीबन 20 फीसदी की है. वहीं स्पेन पर लगभग 120 लाख करोड़ से भी ज्यादा का कर्ज है. कैटेलोनिया से प्राप्त राजस्व का एक बड़ा हिस्सा स्पेन सरकार अपने कर्ज पाटने के लिए करती है. विदेशी निवेश के मामले में यह प्रदेश बेहद ही समृद्ध है.
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कैटेलोनिया की मांग
कैटेलोनिया लंबे समय से मैड्रिड से अधिक धनराशि आवंटन और वित्तीय स्वतंत्रता की मांग करता रहा है. लेकिन मैड्रिड के इनकार के बाद से इस क्षेत्र में स्वतंत्रता की मांग लगातार तूल पकड़ती रही और साल 2015 में कैटेलोनिया प्रांत में आयी अलगाववादी सरकार ने स्वतंत्रता अभियान का समर्थन किया. कैटेलोनिया सरकार ने प्रदेश में जनमत संग्रह का वायदा भी किया.
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स्पेन के साथ टकराव
कैटेलोनिया के राष्ट्रपति कार्लेस पुइडिमोंट ने जनमत संग्रह का निर्णय लिया लेकिन स्पेन सरकार और मेड्रिड की अदालत ने इस पर रोक लगा दी थी. स्पेनवासी मानते हैं कि कैटेलोनिया को अन्य राज्यों की तुलना में अधिक अधिकार मिले हैं और स्वास्थ्य, शिक्षा के क्षेत्र में भी कैटेलोनिया अलग नीतियां बनाता है.
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फुटबाल में बादशाहत
कैटेलोनिया की राजधानी बार्सिलोना और स्पेन के क्लब रियाल मैड्रिड की टक्कर से पूरी दुनिया वाकिफ है. यहां के लोगों को अपने खान-पान संस्कृति पर गर्व है और फुटबॉल से इन्हें बेहद ही लगाव है. ये मानते हैं कि उनकी भाषा और संस्कृति अलग है. लोगों का मानना है कि स्पेन की आर्थिक नीतियों का खामियाजा कैटेलोनिया को भुगतना पड़ रहा है.
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ब्रेक्जिट के बाद ईयू के कुछ नेता तो समूह की जटिलताओं को बढ़ाने की बात कर रहे हैं तो वहीं कुछ इसे बचने के पक्ष में है. एक अन्य वरिष्ठ ईयू डिप्लोमेट ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, "कैटेलोनिया का समर्थन करने से बहुत कुछ लाभ नहीं होने वाला है, ऐसे में स्पेन को नाराज करने का कोई फायदा नहीं है." ईयू नेताओं को डर है कि कैटेलोनिया, यूरोप के अन्य आजादी समर्थक हिस्सों मसलन स्कॉटलैंड, फ्लैंडर्स और कोसोवो में भी आंदोलन को हवा दे सकते हैं.
संवैधानिक उपाय
जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने इस मसले पर स्पेन का समर्थन किया है. उन्होंने उम्मीद जताते हुए कहा कि इस मुद्दे का समाधान स्पेन के संविधान के आधार पर ही निकलेगा. डच प्रधानमंत्री मार्क रुटे ने स्पेन का आंतरिक मामला बताया. इसी सुर में सुर मिलाते हुए फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों को ने कहा, "मुझे पूरी उम्मीद है कि स्पेन के प्रधानमंत्री मारियानो रखोय इस स्थिति का हल निकाल लेंगे."
स्वाधीनता नहीं आसान
वहीं कैटेलोनिया में रहने वाले कुल 75 लाख लोगों का स्पेन से अलग होने और न होने पर अपने तर्क हैं. प्रांत के तमाम मतदाताओं ने स्पने सरकार के खिलाफ होने वाले जनमत संग्रह में भी हिस्सा नहीं लिया था. स्पेन के एक अखबार ने पुजदेमोन के खिलाफ लिखते हुए कहा था कि, "सामूहिक आत्महत्या में कोई गरिमा नहीं है, जब वह किसी एक इंसान द्वारा तय किया जाये और उसका खामियाजा सबको भुगतना पड़े." वहीं रूस ने कैटेलोनिया को स्पेन का आंतरिक मामला माना है.
यूरोप में कहां-कहां अलगाववाद
स्पेन का स्वायत्त प्रदेश कैटेलोनिया आजादी की मांग करता रहा है. स्पेन के इतर यूरोप के दूसरे देशों में भी ऐसे कई हिस्से हैं जो स्वतंत्र होने की चाह रखते हैं. डालते हैं एक नजर कुछ ऐसे ही विवादों पर.
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पश्चिमी यूरोप
सोवियत संघ के विघटन और यूगोस्लाविया के टूटने के बाद पूर्वी यूरोप में तमाम नये देशों का उदय हुआ. पूर्वी यूरोप में ऐसे बिखराव नजर आते हैं लेकिन पूर्व की तुलना में पश्चिमी यूरोप को हमेशा से मजबूत और अधिक ठोस माना जाता रहा. अब कैटेलोनिया समेत पश्चिमी यूरोप के अनेक देशों में स्वतंत्रता के ये आंदोलन जोर पकड़ रहे हैं. इनमें से कुछ आंदोलन शांतिपूर्ण ढंग से हो रहे हैं तो कुछ में बल प्रयोग भी हो रहा है.
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कैटेलोनिया, स्पेन
आजादी की जो आवाज कैटेलोनिया में उठ रही है वो पश्चिमी यूरोप के अन्य हिस्सों के मुकाबले अधिक तेज है. तानाशाह फ्रांकों के शासनकाल में यहां की भाषा और संस्कृति को दबाया गया लेकिन प्रदेश की राजनीतिक स्वायत्तता बनी रही. अब यह क्षेत्र वित्तीय कारणों से अलग होना चाहता है. यहां के नेताओं और लोगों को लगता है कि स्पेन उनकी धन-दौलत का लाभ उठा रहा है. स्पेन की जीडीपी में कैटेलोनिया का 20 फीसदी योगदान है.
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बास्क कंट्री, स्पेन
स्पेन में कैटेलोनिया का पड़ोसी प्रदेश बास्क कंट्री भी आजादी की मांग उठाता रहा है. यह इकलौता ऐसा इलाका है जो स्पेन सरकार को कर राजस्व नहीं देता. बास्क कंट्री अपनी कर वसूली के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र है. कैटेलोनिया की ही तरह इस क्षेत्र को तानाशाह फांक्रों के शासन में बहुत दबाया गया लेकिन आजादी आंदोलन ने अलगावादी समूह को जन्म दिया. इस संघर्ष में पिछले 50 सालों के दौरान अब तक 800 लोग मारे गए हैं.
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स्कॉटलैंड
स्कॉटलैंड पिछले 300 सालों से ब्रिटेन का हिस्सा है. स्कॉटलैंड की अपनी संसद भी है और यहां की स्कॉटिश नेशनल पार्टी स्कॉटलैंड की आजादी का समर्थन करती है. 2014 में आजादी को लेकर यहां एक जनमत संग्रह भी हुआ, जो विफल रहा. लेकिन ब्रेक्जिट के बाद स्कॉटलैंड में आजादी की भावनायें एक बार फिर चरम पर पहुंच गईं. स्कॉटलैंड अगले साल एक बार फिर जनमत संग्रह कराने की कोशिशों में जुटा है.
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फ्लैंडर्स, बेल्जियम
न्यू फ्लेमिश एलायंस के आजादी समर्थक नेता बार्ट डी वेवर वर्तमान में बेल्जियम के चैंबर ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स का नेतृत्व करते हैं. वेवर को विश्वास है कि बेल्जियम एक दिन जरूर टूटेगा और और यहां रहने वाले फ्लेमिश भाषियों का फ्लैंडर्स क्षेत्र आर्थिक रूप से मजबूत बनेगा. अगर ऐसा कभी होता है तो बेल्जियम के पास बेहद ही छोटा हिस्सा रह जायेगा.
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पडानिया, इटली
उत्तरी इटली का यह अलगाववादी आंदोलन आर्थिक हितों से प्रेरित है. पो नदी घाटी वाला यह इलाका इटली का औद्योगिक केंद्र हैं. उत्तर के लोगों को लगता है कि वे दक्षिणी इलाके की तुलना में अधिक मेहनत कर पैसा कमाते हैं. 1990 के दशक में इस पडानिया क्षेत्र की लीगा नॉर्ड पार्टी ने इटली से पूरी तरह से अलग होने की मांग उठाई थी हालांकि अब आजादी से अधिक जोर वित्तीय स्वतंत्रता पर हो गया है
दक्षिणी टिरोल
इटली का ही एक अन्य उत्तरी क्षेत्र दक्षिणी टिरोल प्रथम विश्व युद्ध के अंत तक ऑस्ट्रो-हंगेरियन साम्राज्य का हिस्सा था. दूसरे विश्व युद्ध के बाद इस क्षेत्र को अधिक राजनीतिक और भाषाई स्वतंत्रता मिली और समृद्ध क्षेत्र को अपना राजस्व नियंत्रित करने की आज भी अनुमति है. अब तक यह क्षेत्र इस व्यवस्था से संतुष्ट भी था लेकिन ऋण संकट के बाद यहां अलगाववादी भावनाओं में उभार आया है.