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शनिवार को ईरान और अमेरिका ने कैदियों की अदला-बदली की थी

१० दिसम्बर २०१९

अमेरिका-ईरान में तनाव के बीच कैदियों की अदला-बदली से दोनों देशों के बीच सकारात्मक माहौल बनता दिख रहा है. हालांकि ईरान ने साफ कर दिया है कि वह सिर्फ इसी मुद्दे पर बातचीत करेगा.

Iran Hassan Rouhani
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/Iranian Presidency Office

ईरान ने कहा है कि वह अमेरिका के साथ और भी कैदियों की अदला-बदली के लिए तैयार है. कैबिनेट के प्रवक्ता ने साथ ही दोहराया कि तेहरान और वॉशिंगटन के बीच किसी दूसरे मुद्दे पर बातचीत नहीं होगी. ईरानी नेतृत्व भी कह चुका है कि इस मसले के अलावा किसी और विषय पर बातचीत नहीं होगी. शनिवार को ईरान और अमेरिका के बीच कैदियों की अदला-बदली हुई थी. ईरान ने चीनी-अमेरिकी रिसर्चर को कैद से रिहा किया था. रिसर्चर पर जासूसी के आरोप लगाकर ईरान ने उसे तीन साल से कैद में रखा था. रिसर्चर शियाए वांग को ईरानी वैज्ञानिक मसूद सुलेमानी के बदले रिहा किया गया है.

सुलेमानी को जॉर्जिया में उस वक्त गिरफ्तार किया गया था जब वह जीव विज्ञान में काम आने वाला कुछ सामान ईरान भेज रहे थे. ईरान सरकार के प्रवक्ता अली रबी ने पत्रकार वार्ता में कहा, "गैरकानूनी तौर पर पकड़े गए सभी ईरानी नागरिकों की वापसी के लिए हम सहयोग को तैयार हैं." साथ ही उन्होंने कहा कि इस मुद्दे के अलावा अमेरिका से किसी और मुद्दे पर बातचीत नहीं होगी.

ईरान के विदेश मंत्री के साथ रिहा किए गए ईरानी वैज्ञानिक सुलेमानीतस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Javad Zarif/Twitter

रबी ने कहा आगे की कोई भी बातचीत तभी संभव है जब  वह 5+1 फ्रेमवर्क के तहत हो, ईरान का संदर्भ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के उन पांच स्थायी सदस्यों और जर्मनी के लिए है जिसके साथ 2015 में परमाणु करार हुआ था. ईरान की शर्त है कि अमेरिका पहले उस पर लगाए प्रतिबंध हटाए. ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ ने ट्वीट कर कहा, "गेंद अब अमेरिका के पाले में है. ईरान पूरी तरह से कैदियों की अदला-बदली के लिए तैयार है."

शनिवार को कैदियों की अदला-बदली पर एक बातचीत परोक्ष रूप से स्विट्जरलैंड में हुई थी. गौरतलब है कि ईरान और अमेरिका के बीच कोई कूटनीतिक रिश्ते नहीं है और ईरान में स्विट्जरलैंड अमेरिकी हितों के बारे में बात करता है. महीनों के तनाव के बाद कैदियों की अदला-बदली से यह उम्मीद बढ़ी है कि आगे भी इस तरह की अदला-बदली हो सकती है. हालांकि यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इसका अमेरिका और ईरान के रिश्तों में किस तरह का प्रभाव पड़ेगा. पिछले साल मई में अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने 2015 के परमाणु करार से बाहर आने का एकतरफा एलान किया था. इसके साथ ही ईरान पर कड़े प्रतिबंध भी लगा दिए गए.

ईरान में विरोध प्रदर्शन तस्वीर: Getty Images/AFP

अमेरिका ने ईरान पर ऐसे प्रतिबंध लगाए जिससे वह विदेश में कच्चा तेल नहीं बेच सकता है. अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण ईरान की अर्थव्यवस्था सुस्त हो गई और देश में सरकार विरोधी प्रदर्शन होने लगे. पिछले महीने सुरक्षाबलों की कार्रवाई में कई लोगों की मौत की आशंका है. मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक नवंबर में हुए प्रदर्शनों में 200 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी. हालांकि सरकार ने हिंसा में मारे गए लोगों की मौत की संख्या या फिर इस तरह का कोई और आंकड़ा नहीं पेश किया है. सोमवार को ईरानी संसद में सुधार समर्थक सांसद परवानेह सलाहशोरी ने नवंबर में हुए विरोध प्रदर्शन का जिक्र करते हुए कहा कि अधिकारियों को अपने हितों की खातिर बल प्रयोग नहीं करना चाहिए था. उन्होंने कहा, "हमें बिना देर किए अवसर तलाशने होंगे, सांसद होने के नाते मैं कैसे युवाओं की हत्याओं को बर्दाश्त कर सकती हूं."

 एए/एनआर(एपी)

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