कैमरन पीछे हटे, कूटनीति तेज
२९ अगस्त २०१३सीरिया में रासायनिक हथियारों के संदिग्ध इस्तेमाल की खबरों के बाद पश्चिमी देशों की धमकियों के बीच ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन की हमले की योजनाओं को गुरुवार को तब गहरा धक्का लगा जब सांसदों ने इसका विरोध किया और उन्हें इराक से सबक सीखने की सलाह दी.सैनिक कार्रवाई के समर्थन से पहले और सबूतों की मांग कर रहे विपक्षी लेबर पार्टी और अपनी ही पार्टी के सांसदों के दबाव में कैमरन को पीछे हटना पड़ा.
गुरुवार को कैमरन सरकार ने उसे दी गई एक कानूनी सलाह प्रकाशित की जिसमें कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के फैसले के बिना भी ब्रिटेन को सीरिया के खिलाफ सैनिक कार्रवाई का हक है. उसने सीरिया में रासायनिक हमले पर खुफिया एजेंसी की रिपोर्टों को भी छापा और कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि हमला हुआ है और अत्यधिक संभावना है कि इसके पीछे सीरिया की सरकार का हाथ है जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए.
ब्रिटेन में एक दशक पहले की याद ताजा है जब सरकार ने यह कहकर इराक पर हमले में अमेरिका की मदद की थी कि सद्दाम हुसैन के पास रासायनिक हथियार हैं. बाद में पता चला कि यह दावा झूठा था. इराक में आठ साल की लड़ाई में ब्रिटेन के 179 सैनिक मारे गए. उस समय के प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर पर युद्ध के लिए लोगों को बरगलाने का आरोप लगा. लेबर पार्टी के वर्तमान नेता एड मिलीबैंड ने कहा है, "हमें इराक से सबक लेनी चाहिए क्योंकि लोगों को इराक की गलतियां याद हैं और मैं उन गलतियों को दोहराने के लिए तैयार नहीं हूं."
इस बीच विश्व समुदाय सीरिया के शासक बशर अल असद पर सैनिक हमले को रोकने के लिए कूटनीतिक उपायों का सहारा ले रहा है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सहमति बनाने के लिए गुरुवार को नेताओं ने एक दूसरे के साथ टेलिफोन पर बातचीत की. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि हमले का फैसला अब तक नहीं लिया गया है, जबकि ब्रिटेन की सरकार को संसद ने रोक दिया. संयुक्त राष्ट्र की टीम शुक्रवार तक सीरिया में रासायनिक हमले के सबूतों को जमा कर रही है. जब तक यह टीम सीरिया में है हमले की संभावना कम है, हालांकि हमले की तैयारी पूरी हो गई है और जानकार वीकएंड में हमले की आशंका जता रहे हैं.
विवाद के राजनीतिक हल की कोशिशों के बीच जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसोआ ओलांद को फोन किया. बाद में आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि मैर्केल और पुतिन इस पर एकमत हैं कि सीरिया की समस्या का सिर्फ राजनीतिक हल हो सकता है. लेकिन यदि यह साबित हो जाता है कि सीरिया की सरकार रासायनिक हमलों के लिए जिम्मेदार है तो जर्मनी उसके नतीजे के लिए भी जोर दे रहा है.
फ्रांसीसी राष्ट्रपति ओलांद ने सीरिया के विद्रोहियों के प्रमुख अहमद असी अल जरबा से मुलाकात के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय की उपयुक्त प्रतिक्रिया की मांग की है. अल जरबा अगले हफ्ते बर्लिन भी आ रहे हैं. जर्मनी में विपक्षी एसपीडी के चांसलर उम्मीदवार पेयर श्टाइनब्रुक ने चांसलर मैर्केल ने मध्यस्थता पर बातचीत के लिए मॉस्को जाने की मांग की है. जर्मनी में, जहां अगले महीने संसदीय चुनाव हो रहे हैं, 58 फीसदी लोग हमले के विरोध में हैं. चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने पश्चिमी देशों को चेतावनी दी है कि सीरिया में बाहरी सैनिक हस्तक्षेप इलाके को और अस्थिर बना देगा. (सीरिया में फूंक फूंक कर चलता जर्मनी)
सीरिया में ढाई साल से चल रहे गृहयुद्ध के दौरान सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य रूस और चीन ने असद शासन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के हर प्रस्ताव को रोक दिया है. दोनों देशों को सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों को वीटो करने का अधिकार है. अब सारी उम्मीदें इस बात पर टिकी हैं कि रासायनिक हमले के सबूत मिलने पर दोनों देश अपनी राय बदल देंगे. असद रासायनिक हथियारों के इस्तेमाल के आरोपों से इनकार कर रहे हैं. एक टेलिविजन भाषण में उन्होंने घोषणा की है, "सीरिया हर हमले का जवाब देगा."
संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने कहा है कि रासायनिक हमले की जांच कर रही यूएन टीम शनिवार सुबह तक सीरिया छोड़ देगी. सबूतों को इकट्ठा करने का काम लगभग पूरा हो गया है. सीरिया छोड़ते ही टीम उन्हें रिपोर्ट देगी. अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन कई दिनों से सीरिया के ठिकानों पर हमलों की तैयारी कर रहे हैं. इसलिए अटकलें लगाई जा रही हैं कि हमला संयुक्त राष्ट्र के फैसले के बिना भी हो सकता है. न्यू यॉर्क टाइम्स के अनुसार अमेरिका के पास अब तक ऐसे सबूत नहीं हैं जो असद को सीधे हमलों के साथ जोड़ें. सीरिया के गृहयुद्ध में अब तक 100,000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं.
एमजे/एनआर (डीपीए, रॉयटर्स)