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कैसा लगा आपको मंथन?

Manasi Gopalakrishnan१० सितम्बर २०१२

डीडब्ल्यू की सीरीज मंथन इस शनिवार को भारत में लॉन्च हुई. आपने हमें अपनी प्रतिक्रिया भेजी जिनमें से कुछ को हमने यहां पेश की हैं. हमने आपके सवालों के भी जवाब देने की कोशिश की है.

तस्वीर: DW

सिंहभूम से गौतम शर्मा लिखते हैं-
"बहुत दिनों के बाद दूरदर्शन पर एक विज्ञान और तकनीक पर ऐसा कार्यक्रम देखा जो की विश्वस्तर का है. जीवन की दौड़ में मानव प्रकृति को नुकसान तो पहुंचा रहा है, पर उसके संतुलन के लिए उपाय कम ही किये जा रहे है. इसमें एक बड़ी भूमिका पर्यावरण के प्रति जागरूकता की कमी भी है. विज्ञानं और प्रगति प्रकृति के सामंजस्य के साथ भी हो सकती है. यह वाकई एक उत्तम शोध है. दूरदर्शन आज भी गांवों तथा सुदूर इलाको में मनोरंजन का एक मुख्य साधन है. इन लोगों के बीच विज्ञान के प्रति जिज्ञासा फैलाने में दूरदर्शन और DW हिंदी की यह पहल वाकई काबिले तारीफ है.

डीडब्ल्यूः आपका बहुत शुक्रिया, गौतम जी. आप फेसबुक पर मंथन और बाकी खबरों को पढ़ सकते हैं. मंथन के कुछ वी़डियोज भी आपको हमारी वेबसाइट पर मिलेंगी.

फतेहपुर-शेखावाटी, राजस्थान से प्रमोद महेश्वरी लिखते हैं-
"इस प्रोग्राम मंथन के प्रसारण का समय बहुत असुविधाजनक है. क्या यह शाम को इतने बजे अथवा रविवार को इसी समय प्रसारित नहीं किया जा सकता?"

पारली वैजनाथ से संदीप जावले का संदेश-
"प्रसारण का टाइम गलत है. सुबह 10.30 बजे विद्यार्थी और शिक्षक दोनों ही टीवी देख नहीं पाते. बहुत से अपने डीडब्ल्यू श्रोता भी नहीं देख पायेंगे."

डीडब्ल्यूः प्रमोद महेश्वरी जी और संदीप जावले जी, दूरदर्शन के साथ हमारे समझौते के तहत यही समय तय हुआ है. लेकिन हो सकता है कि भविष्य में यह बदल जाए. थोड़ा सब्र कीजिए!

राजकोट, गुजरात से माधव शर्मा ने लिखा है-
"जर्मन बॉडी अथवा जर्मन मशीनरी जैसे वाक्य भारतीय परिवेश-बोलचाल में मुहावरों की तरह पैठ कर गए हैं. अब 'मंथन' के माध्यम से सूचना-तकनीक की जानकारी युवाओं का मार्गदर्शन करेगी. इस प्रसारण की नियमित कड़ियां DW की हिन्दी वेबसाइट पर भी अपडेट होती रहें, ऐसी उम्मीद रखते हैं. "मंथन" के लिए हार्दिक शुभकामनाएं. :)

डीडब्ल्यूः शुक्रिया माधव जी. मंथन की वीडियोज आप हमारी वेबसाइट पर देख सकते हैं. हर हफ्ते मंथन के विषयों को देखते हुए हमारी वेबसाइट पर लेख भी छपते हैं. हमारे फेसबुक पेज पर आपको लगातार इसकी जानकारी मिलती रहेगी. यूट्यूब पर आप DeutscheWelleHindi टाइप कर सकते हैं और वहां ढेर सारे वीडियोज देख सकते हैं.

पुणे, महाराष्ट्र से पराग पुरोहित लिखते हैं-
"I watched your new science magazine – Manthan on the TV. I liked this Hindi magazine too much. You have brought a very nice programme for us. This programme recollected memories of similar programme, which was telecasted on the Doordarshan some years ago. The name of that programme was TransTel. We could get information about various scientific happenings as well as could get clarified scientific concepts with very easy manner. TransTel programmes encouraged me learning German language. Thank you once again for Manthan."

DW: Thank you Mr. Parag Purohit. Please join our Facebook page Deutsche Welle Hindi for more information on articles and Manthan episodes.

आप मंथन देखते रहिए और हमे बताइए कि आपको किस तरह के विषय पसंद हैं और कौन सी चीजों पर आप कुछ नई जानकारी हासिल करना चाहते हैं.

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