क्लिक सोनार का इस्तेमाल कर इंसान दृष्टिहीनता की कमी को कुछ हद तक पूरा कर सकता है और आस पास के माहौल को महसूस भी कर सकता है. इसलिए वैज्ञानिकों की दिलचस्पी यह जानने में है कि दिमाग जानकारी पाने के लिए आवाज को किस तरह से प्रोसेस करता है. डॉक्टर लोरे थालर कई सालों से क्लिक सोनार तकनीक पर काम कर रही हैं. वे दृष्टिहीन लोगों के अनुभवों से संबंधित रिपोर्ट जमा करती हैं. क्लिक सोनार के जरिए सिर्फ दूरी का ही पता नहीं चलता, आवाज की प्रतिध्वनि आस पास के माहौल के बारे में भी जानकारी देती है. मसलन वहां घास का मैदान है या कोई दीवार, बाधा प्लास्टिक की है या लकड़ी की. मनोविज्ञानी थालर कहती हैं, "हम इस बात से बहुत प्रभावित थे कि कुछ लोग सोनार का इस्तेमाल कर चल फिर सकते हैं और एकदम देखने वाले लोगों की तरह व्यवहार कर सकते हैं."
जब देख सकने वाला इंसान कुछ देखता है तो उसे रजिस्टर करने की प्रक्रिया पता है. लेकिन नहीं देख सकने वाला इंसान जब सोनार की मदद से अपने माहौल का खाका खींचता है तो उसके दिमाग के अंदर क्या होता है? मनोविज्ञानी थालर मैग्नेटिक रेजोनेंस टोमोग्राफी का इस्तेमाल कर पता करती हैं कि इसके दौरान दिमाग का कौन सा हिस्सा सक्रिय हुआ.
कंप्यूटर और स्मार्ट फोन के युग में आंखों पर जोर बढ़ा है. डॉक्टरों का कहना है कि लोगों की नजदीक में देखने की आदत के कारण आंखों पर ज्यादा जोर पड़ रहा है. आंखों की रक्षा के लिए सही खाना और एक्सरसाइज जरूरी है.
तस्वीर: Colourbox/Kuzmaदुनिया को देख सकना इंसान के जरूरी गुणों में शामिल है. स्वस्थ रहने के लिए स्वस्थ आंखें भी जरूरी हैं. शरीर के व्यायाम की तरह आंखों को भी व्यायाम कर सक्रिय रखा जा सकता है. आंखों का खराब होना दूसरी बीमारियों की ओर भी इशारा करता है.
तस्वीर: Colourboxहम दिन भर कंप्यूटर के मॉनिटर पर आंख गड़ाए रहते हैं, या स्मार्ट फोन पर. छोटी तस्वीरें देखते हैं और छोटे अक्षरों वाली रिपोर्ट पढ़ते हैं. लेकिन आंखों के डॉक्टर के पास जाने का समय हम नहीं निकाल पाते.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/B. Kubischडॉक्टर को तो नियमित रूप से दिखाएं ही, लेकिन नियमित रूप से छोटी मोटी एक्सरसाइज भी आंखों को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है. डॉक्टरों का कहना है कि आंखों के आस पास के इलाके में नियमित रक्त प्रवाह जरूरी है.
तस्वीर: Colourbox/George Dolgikhआंखों को मजबूत करने के लिए आंख बंद कर सूरज को निहारने की सलाह दी जाती है. अल्ट्रा वायलेट किरणों से बचने के लिए ऐसा न करें. पराबैंगनी किरणों से बचने के लिए ऐसे सनग्लास लें जो उन्हें पूरी तरह रोक दें.
तस्वीर: Shahramआंखों को फिट रखने के लिए खाने पर ध्यान देना भी जरूरी है. विटामिन ए और सी के अलावा लुटीन और बेटा कैरोटीन आंखों को दुरुस्त करते हैं. शकरकंद, पपीता और ब्लूबेरी भी फायदेमंद हैं.
तस्वीर: Christian Kaufmannआंखों की बेहतरी के लिए पर्याप्त आराम करना भी जरूरी है. अच्छी तरह सोना आंखों की थकी हुई मांशपेशियों को पूरी तरह आराम करने का मौका देता है. पूरे दिन छोटे छोटे ब्रेक लेकर भी आंखों को आराम दिया जा सकता है.
तस्वीर: Colourboxआंखों की नमी भी थकान कम करने में मदद देती है. अगर आंखें अक्सर सूखी और थकी रहती हैं तो नियमित रूप से आंखों को धोकर उन्हें नम रखें. आंखों पर पानी के छींटे मारे. आप तरोताजा महसूस करेंगे.
तस्वीर: Fotolia/rico287यदि आप घंटों कंप्यूटर पर काम करते हैं तो बीच बीच में आंखों को आराम दें. अपनी हथेलियों को रघड़ कर गर्मी पैदा करें और अंगुलियों को आंखों पर रखकर उन्हें थोड़ी सी गर्मी दें. आंखें आपका उपकार नहीं भूलेंगी.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/O. Bergस्वास्थ्य के लिए जरूरी खाना आंखों को भी फायदा पहुंचाता है. मीठे खानों को छोड़कर ज्यादा फल और सब्जियां खाएं. हरी सब्जियां स्वास्थ्य को फायदा पहुंचाती है. ज्यादा मीठा खाना आंखों को भी नुकसान पहुंचाता है.
तस्वीर: Colourboxलंबे दिन के बाद घर लौटकर आंखों को थोड़ा आराम दें. बंद आंखों पर खीरे के टुकड़े रखने से उनमें ठंडक पहुंचती है और आंखों पर पड़ रहा दबाव कम होता है.
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मरीज को स्कैनर में लेटा दिया जाता है और पहले से रिकॉर्ड की हुई आवाजें सुनाई जाती है. वे इसे सुनकर उसकी रिपोर्ट देते हैं कि यह एक पेड़ है, एक इमारत है. लोरे थालर बताती हैं, "जिन चीजों की गूंज सुन कर वे बताते हैं, वहां सचमुच पेड़, कारें और इमारतें होती हैं. और उनका कहना करीब करीब हमेशा ही ठीक होता है." एको लोकेशन का इस्तेमाल दृष्हीन व्यक्ति के दिमाग को पुनर्गठित करता है.
क्लिक सोनार तकनीक
इस टेस्ट की खास बात यह थी कि क्लिक सोनार तकनीक का इस्तेमाल करने वाले दृष्टिहीन लोग दिमाग के उस हिस्से में भारी सक्रियता दिखाते हैं जहां दृष्टि वाले लोग विजुअल उत्तेजना को प्रोसेस करते हैं. ध्वनि की प्रोसेसिंग विजुअल सेंटर में होती है. और वे दिमाग में तस्वीरें पैदा करते हैं, हालांकि संबंधित व्यक्ति उन्हें देख नहीं पाता. डॉक्टर लोरे थालर इसे दृष्टि का विकल्प बताती हैं. लेकिन साथ ही कहती हैं, "दिमाग उस क्षमता का लाभ उठाता है जो हम सबके पास है. ऐसा कर पाने के लिए सुपर ब्रेन वाला होने की जरूरत नहीं है."
क्लिक तकनीक की मदद से दृष्टिहीन टॉमी को आराम से बेकरी तक पहुंचने में कोई दिक्कत नहीं होती. वह अलग अलग तरह के केक में फर्क नहीं कर सकते लेकिन इसकी उन्हें चिंता भी नहीं है. टॉमी ने बताया, "मेरे दिमाग में एक 3-डी मॉडल सा बन जाता है और फिर मुझे पता चलता है कि मेरी दायीं ओर खिड़की है और सामने में टेबल कुर्सी, जिस पर मैं बैठ सकता हूं." उन्हें इस बात की खुशी है कि वह किसी भी दूसरे 18 वर्षीय किशोर की ही तरह, अपने को आजाद, उन्मुक्त और मजबूत महसूस करते हैं. वह बताते हैं खुद अपने लिए रास्ते ढूंढ लेने और अपने काम खुद करने के अनुभव ने उनकी दुनिया फिर से रोशन कर दी है. अब उन्हें पहले की तरह बौखलाहट भी नहीं होती.
एसएफ/आईबी
क्या आप जानते हैं कि आंसू निकलना अच्छा है? इससे ना सिर्फ आंखों की नमी बनी रहती है, बल्कि आंखें साफ रहती हैं और तनाव में कमी आती है. आंसुओं से जुड़ी कुछ अहम बातें...
तस्वीर: Fotolia/Kittyइंसान में तीन तरह के आंसू निकलते हैं. इन्हें बेसल, रेफ्लेक्स और इमोशनल तीन श्रेणियों में रखा गया है. बेसल आंसू आंख की नमी को बनाए रखते हैं. रेफ्लेक्स आंसू तब निकलते हैं जब आंख में धूल या कोई अन्य बाहरी कण चले जाते हैं. इमोशन्स के आंसू किसी तरह के तनाव या भावनाओं से जुड़े होते हैं.
तस्वीर: Colourbox/yanlevआंसू में भी प्रोटीन, नमक और हार्मोन का वैसा ही संघटन होता है जैसा सलाइवा में. हालांकि शरीर के इन दोनों द्व्यों की गंध और गाढ़ापन अलग होता है.
तस्वीर: picture-alliance/dpaएक शोध के मुताबिक महिलाएं पुरुषों के मुकाबले पांच गुना ज्यादा रोती हैं. एक महिला एक बार में औसतन 6 मिनट तक रोती है जबकि पुरुष दो से चार मिनट के बीच ही रोता है.
तस्वीर: Fotolia/Johan Larsonरोते समय अश्रु ग्रंधियां कुछ ज्यादा ही आंसू बना रही होती हैं. इसीलिए अक्सर आंखों के अलावा नाक से भी तरल बह रहा होता है.
तस्वीर: Colourboxरिसर्च दिखाती है कि आंसू अपने साथ कीमोसिग्नल छोड़ते हैं जिससे टेस्टोस्टेरोन का स्तर घटता है. शायद यही कारण है कि पुरुष औरतों को रोते हुए देखना पसंद नहीं करते.
तस्वीर: picture-alliance/ZBशोध के मुताबिक दुख में आंसू के साथ तनाव का हार्मोन भी बाहर निकलता है. यही कारण है कि रोने के बाद लोगों को दुख में कमी या हल्कापन महसूस होता है.
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