1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

कैसे जिंदा रहे चिली के खनिक

१० अक्टूबर २०१०

चिली में दो महीने से फंसे 33 खनिक बुधवार को निकाल सकते हैं. खनिकों के रिश्तेदारों को जहां अपनों से मिलने का बेसब्री से इंतजार है, वहीं पूरी दुनिया जानना चाहती है कि जमीन से 700 मीटर नीचे कैसे उन्होंने इतने दिन गुजारे.

तस्वीर: AP

ये लोग अत्याधुनिक तकनीक के सहारे ही जमीन के इतने नीचे 65 दिन से जीवित हैं. न सिर्फ उनके रिश्तेदार को, बल्कि पूरी दुनिया को उनके बाहर आने का इंतजार कर रही है. इंजीनियरों ने 2050 फुट तक खुदाई कर ली है. अब इस गड्ढे में कैप्सूल की शक्ल की एक लिफ्ट उतारी जाएगी जिसके जरिए एक एक कर मजदूरों को बाहर लाया जाएगा.

क्या खाते हैं

ये खनिक 5 अगस्त को फंसे, लेकिन जमीन पर उनका संपर्क पूरे 17 दिन बाद हुआ. ऐसे में हर एक खनिक ने 48 घंटों में दो चम्मच टूना (समुद्री मछली), आधा बिस्कुट और एक या आधा गिलास दूध पीकर अपने आपको जिंदा रखा. लेकिन जब जमीन पर संपर्क हो गया तो उन्हें एक छोटे से पाइप के सहारे हाइड्रोजन जेल, सूप और दवाइयां भेजी जाने लगीं.

तस्वीर: AP

बाद में डॉक्टर ने उन्हें चावल और मांस वाला 2,200 कैलोरी का खाना भिजवाने का इंतजाम भी करवाया. यह पौष्टिक तो है ही, साथ ही बदन को छरहरा बनाए रखने में भी मददगार है. छरछरा बदन इसलिए भी जरूरी है कि जिस लिफ्ट के जरिए इन खनिकों को बाहर निकाला जाना है, उसका व्यास सिर्फ दो फुट है. सुंरग में जिस हिस्से को इन खनिकों ने अपना आसरा बनाया, वहां उन्होंने अस्थायी शौचालय भी बना लिया.

जमीन पर कैसे किया संपर्क

खनिकों के जीवित होने का संकेत सबसे पहले 22 अगस्त को मिला, जब खदान की गहराई तक पहंचने वाले ड्रिल के छोर पर खटखट की आवाज सुनाई दी. जब बचाव दल ने इस ड्रिल को बाहर निकाला, तो उस पर लिखा था, "हम 33 लोग यहां ठीक हैं." फिर एक बोर होल के जरिए खनिकों के रिश्तेदारों के शब्द उनके कानों तक पहुंचने लगे. इसके बाद फाइबर ऑप्टिक लाइन लगाई गई जिसके जरिए फोन और वीडियो कांफ्रेंसिंग संभव हुई.

तस्वीर: AP

हाल ही में डॉक्टरों ने खनिकों के पास बायोमैट्रिक बेल्ट भी पुहंचा दी जिसके जरिए जमीन के नीचे फंसे लोग वायरलैस टेक्नॉलजी के जरिए अपने संकेतों को निगरानी करने के साथ साथ वे ऊपर जमीन पर भी पहुंचाने में सक्षम बने.

दिनचर्या कैसी रही

जब एक बार जमीन के नीचे खनिकों का पता लगा लिया गया तो उसके बाद उन्हें नियमित रूप से नाश्ता, दोपहर का खाना, रात का खाना और दोपहर की चाय भेजी जाने लगी. 500 वाट की बिजली की लाइन के चलते उन्होंने रोशनी के जरिए वहां दिन और रात का माहौल भी पैदा किया ताकि धरती पर पहुंचने के बाद उन्हें ज्यादा परेशानियां न झेलनी पड़ें.

साथ ही फिजियोलोजिस्ट की टीम ने उनकी कसरत का भी एक नियमित कार्यक्रम तैयार किया, ताकि वे फिट बने रहें. हाल के सप्ताहों में खनिक ने ड्रिलिंग के काम में मदद भी करनी शुरू कर दी. वे बारी बारी से उस मलबे को हटाते हैं जो खदान की सुरंग में गिर गया है.

मनोरंजन कैसे करते हैं

कुछ खनिन फुटबॉल के शौकीन हैं. एक ने तो पेशेवर तौर पर फुटबॉल भी खेला है. दुनिया से अलग थलग रहने के बाद भी उन्होंने चिली और यूक्रेन के बीच दोस्ताना मुकाबले जैसे कई फुटबॉल मैचों की लाइव फीड का इंतजाम कर दिया. इसके लिए उन्होंने अपने छोटे से प्रोजेक्टर का इस्तेमाल किया.

इन खनिकों के पास पेले और माराडोना जैसे महान खिलाड़ियों के वीडियो भी पहुंचाए गए. साथ ही वहां एक छोटा सा कसीनो भी बनाया गया है जिसमें ये लोग ताश या चौसर का खेल भी खेल सकते हैं. कुछ दिनों से उनके पास अखबार भी भेजे जा रहे हैं. उन्हें छोटे म्यूजिक प्लेयर भी भेजे गए हैं.

खान में फंसे एक खनिक के लिए सबसे अच्छा तोहफा था हाई डेफिनिशन वाला वीडियो कैमरा जिसके जरिए इन लोगों ने वहां बिताई गई अपनी जिंदगी को कैमरे में कैद किया है. जमीन के नीचे परेशानियों के बावजूद इन लोगों ने अपना हौसला नहीं खोया है. मजे की बात तो यह है कुछ मजाकिया किस्म के लोगों ने आठ घंटे की एक फिल्म भी भेजी हैं जिसमें उन्होंने बेशुमार लतीफे सुनाए हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः एन रंजन

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें