कैसे जी रहे हैं खदान में फंसे मजदूर
२७ अगस्त २०१०![](https://static.dw.com/image/5934909_800.webp)
बचाव अधिकारियों का कहना है कि अपने दल के अंदर उन्होंने अलग अलग कामों की जिम्मेदारी ले ली है. 63 वर्षीय मारियो गोमेज सबसे अनुभवी है, वे 50 साल से अधिक समय से खानों में काम करते रहे हैं. मजदूरों के दल ने उन्हें अपना गुरु चुना है. पारी के मुखिया के तौर पर काम करने वाले एक मजदूर को ग्रुप का नेता चुना गया है. इसी प्रकार एक व्यक्ति को तीमारदारी की ट्रेनिंग मिली हुई थी. वह मेडिकल और मानसिक देखभाल के लिए जिम्मेदार है.
लोगों को दो ग्रुपों में बांट दिया गया है. एक ग्रुप सोता है, तो दूसरा खदानों में जीने की हालात बनाए रखने के लिए जरूरी काम करता है. 500 वर्ग मीटर के एक क्षेत्र में वे रहते हैं और वहां से काफी दूर 40 मीटर लंबे एक टनेल का उपयोग संडास के तौर पर किया जा रहा है.
चिली के स्वास्थ्य मंत्री खाइमे मानालिच ने पत्रकारों को बताया के फंसे हुए खान मजदूर औसतन दस किलो वजन खो चुके हैं. लेकिन उनमें से नौ कामगारों का वजन अभी भी इतना ज्यादा है कि बचाव के लिए बनाए जाने वाले टनेल से उन्हें निकालना जोखिम से भरा होगा. कामगारों को अभी तक बताया नहीं गया है कि कब उन्हें निकाला जाएगा. वायरलेस पर उनसे बात करते हुए चिली के राष्ट्रपति सेवास्तियान पिनेरा ने इतना कहा है कि चिली के स्वतंत्रता दिवस, 18 सितंबर तक वे लौट नहीं पाएंगे, लेकिन क्रिसमस से पहले उन्हें जरूर बाहर निकाल लिया जाएगा.
कामगारों के साथ बाहर से वायरलेस से बात कर रहे और पाइप से खाने पीने की चीजें और दवाइयां पहुंचाने वाले राहतकर्मियों का कहना है कि डिहाइड्रेशन एक गंभीर समस्या हो सकती है. 30 डिग्री से अधिक तापमान होने के कारण उन्हें काफी मात्रा में पानी की जरूरत है. कई कामगार डिप्रेशन के शिकार हैं.
इस बीच खदान में सुरक्षा के मामले में असावधानी बरतने के कारण खनन कंपनी के खिलाफ मुकदमा चलाने की पेशकश की जा रही है. कंपनी की ओर से अभी इस सिलसिले में कोई बयान नहीं दिया गया है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ
संपादन: एन रंजन