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कैसे लगती है निशाने पर गोली

१६ अप्रैल २०१४

किसी भी खेल में जीतना खिलाड़ी की प्रतिभा और उसकी मेहनत पर निर्भर है लेकिन प्रतिभा को बढ़ावा दे सकता है विज्ञान. अलग अलग जानकारियों की मदद से खिलाड़ी अपने खेल को और बढ़िया बना सकते हैं.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

स्की करते वक्त दिल एक सैकेंड में 200 बार धड़कता है और फिर गोली चलाते वक्त दिल को शांत हो जाना पड़ता है. बाएथलॉन का यही मजा है. वर्ल्ड चैंपियन आर्न्ड फाइफर हर ओलंपिक खिलाड़ी की तरह विज्ञान का सहारा लेते हैं. स्पोर्ट्स वैज्ञानिक डिर्क जीबर्ट ने लाइपत्सिग विश्वविद्यालय में दुनिया का सबसे व्यापक एनेलिसिस सिस्टम बनाया है.

टेस्ट से पहले वैज्ञानिक बाएथलॉन खिलाड़ी फेलिक्स होफर से कड़ी मेहनत करवाते हैं. कहते हैं, "पहले तो खिलाड़ी को थकाना होता है, बिलकुल जैसे प्रतियोगिता में होता है, फिर इस थकान के साथ वह टेस्टिंग के लिए आता है."

निशानेबाजी का विज्ञान

कई राउंड फायर करने के बाद निशाने पर गोली लगाना मुश्किल होता है. हाथ और पैर कांपने लगते हैं. जीबर्ट की प्रयोगशाला में अलग अलग दबावों को मापा जा सकता है, जैसे कि ट्रिगर पर पड़ने वाला दबाव या बंदूक के पिछले हिस्से पर दबाव. वैज्ञानिक यह भी देख सकते हैं कि गोली बंदूक के अंदर कैसे रास्ता बदलती है. इसे ऑनलाइन मापकर खिलाड़ी को तुरंत जानकारी दे दी जाती है.

स्कीइंग के बाद निशाना लगाना आसान नहीं होतातस्वीर: picture-alliance/dpa

खिलाड़ी बंदूक के पिछले हिस्से और ट्रिगर पर कितना दबाव डालता है, इससे बंदूक का हिलना तय होता है क्योंकि गोली निकलने के साथ भी बंदूक हिलती है. बंदूक को बिलकुल स्थिर रखना नामुमकिन है. इसलिए जीबर्ट इन दबावों को मापकर इन्हें बंदूक के हिलने के साथ जोड़ते हैं.

खिलाड़ी अपने पैरों पर कितना स्थिर है. ये जानकारी जमा की जाती है. जीबर्ट यह भी बताते हैं कि खिलाड़ी को अपने पैर, अपने हाथ और अपना शरीर किस एंगल में रखना चाहिए. यहां भी खिलाड़ी को सही तरह से खड़े होना सीखना है. जीबर्ट सालों से अपने उपकरण पर काम कर रहे हैं. यह अब इतना जटिल हो गया है कि वह खुद हैरान हो जाते हैं. "बंदूकों के बारे में साहित्य में आपको पता चल जाएगा कि गोली कैसे चलानी है लेकिन इसमें इतनी सारी जानकारी है, महीन बातें और तकनीकी तथ्य हैं. गोली चलाना, उसका नतीजा पाना, निशाने पर गोली का लगना, यह मेरे लिए एक बड़ी जानकारी है."

खिलाड़ियों को मदद

विज्ञान की मदद से बंदूक की गोली हमेशा निशाने पर नहीं लगेगी, लेकिन खिलाड़ी को जानकारी का फायदा मिल सकता है. फेलिक्स होफर जैसे निशानेबाजों का मानना है कि इस जानकारी के बाद बंदूक चलाते वक्त आत्मविश्वास बढ़ जाता है. खास तौर पर प्रतियोगिता के दौरान खिलाड़ियों को यह जानकर अच्छा लगता है कि वह जो कर रहे हैं वह सही है और एक वैज्ञानिक उपकरण से भी उन्हें इस बात की पुष्टि मिल गई है.

एक खिलाड़ी की बाएथलॉन में सफलता तो बंदूक के स्टैंड पर ही तय होती है लेकिन हो सकता है कि विज्ञान की मदद से खिलाड़ियों का प्रदर्शन बेहतर हो सके.

रिपोर्टः आंद्रेआस नॉयहाउस/एमजी

संपादनः आभा मोंढे

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