कॉफी और डायबिटीज का रिश्ता
२६ अप्रैल २०१४अगर हाल ही में आपने गौर किया कि आजकल आप पहले के मुकाबले ज्यादा कॉफी पीने लगे हैं तो इस बारे में आमतौर पर लोग फिक्र करते हैं. लेकिन अमेरिका में हुई एक नए शोध की मानें तो इस बात से आपको खुश होना चाहिए. इस स्टडी के हवाले से रिसर्चर बताते हैं कि ऐसा करने वालों में टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा कम हो जाता है. अमेरिका में की गई इस स्टडी में पाया गया कि डायबिटीज से बचने के लिए धीरे धीरे कॉफी की मात्रा बढ़ाना हमेशा एक समान मात्रा लेने से बेहतर है.
इस स्टडी में स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्यरत 1 लाख, 20 हजार से भी ज्यादा लोगों के खानपान और जीवनशैली के चार साल के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया. रिसर्चरों ने पाया कि जिन लोगों ने हर दिन पहले के मुकाबले अपना कैफीन का डोज रोजाना करीब डेढ़ कप की दर से बढ़ाया उनमें अगले चार साल तक टाइप-2 डायबिटीज या बढ़ती उम्र के साथ होने वाले डायबिटीज की संभावना 11 फीसदी तक कम हो जाती है. इसकी तुलना उन लोगों से की गई थी जो चार साल तक हर रोज लगभग उतनी ही कैफीन लेते रहे.
'डायबिटोलॉजिया' नामके एक यूरोपीय साइंस जरनल में छपी स्टडी में शामिल रिसर्च टीम ने बताया, "यहां तक कि जिन लोगों ने धीरे धीरे कॉफी की मात्रा काफी कम कर दी उनमें तो खतरा करीब 18 फीसदी तक बढ़ गया." इस स्टडी का नेतृत्व करने वाले बॉस्टन के हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की शिल्पा भूपतिराजू का कहना है, "काफी कम समय में ही कॉफी की खपत की आदतों में बदलाव का डायबिटीज के खतरे पर असर दिखाई दिया." सामान्य तौर पर कॉफी का पेड़ कैफीन बनाता है ताकि वह अपनी फलियों को कीड़ों से बचा सके. यानी कैफीन कीड़ों के लिए जहर का काम करता है, लेकिन कॉफी के दीवाने तो इससे अच्छा महसूस करते हैं.
जो लोग हर दिन तीन कप या उससे ज्यादा कॉफी लेते हैं उनमें टाइप-2 डायबिटीज का खतरा सबसे कम पाया गया. स्टडी दिखाती है कि हर दिन एक कप या उससे कम कॉफी पीने वालों के मुकाबले इन लोगों में खतरा 37 फीसदी तक कम होता है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस स्टडी में शरीर पर लंबे समय के लिए होने वाले असर या खतरे का अध्ययन नहीं किया गया है. इसके अलावा चाय या डी-कैफीनेटेड कॉफी का टाइप-2 डायबिटीज के साथ कोई संबंध नहीं पाया गया है.
आरआर/एएम (एएफपी)