क्या आप उन लोगों में से हैं जिन्हें सुबह उठते ही कॉफी चाहिए और शाम होते-होते कॉफी के कई मग गटक जाते हैं? घर वाले अगर आपको इस आदत के लिए टोकते हैं तो उन्हें बताएं कि लंबा जीवन जीने के लिए कॉफी फायदेमंद साबित हो सकती है.
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ब्रिटेन के करीब पांच लाख लोगों पर की गई स्टडी से मालूम चला है कि कॉफी पीने वालों में मौत की आशंका करीब दस साल कम होती है. इसलिए अगर आप दिन में कई कप कॉफी पी जाते हैं, तो घबराने की जरूरत नहीं है. अमेरिकी रिसर्च का दावा है कि कॉफी पीने के गुण उन लोगों में भी पाए गए हैं जिनमें अनुवांशिक खामियां थीं. कॉफी न पीने वालों की तुलना में कॉफी पीने वाले 10 से 15 फीसदी लंबा जीवन जीते हैं, जो एक दशक के बराबर है. यह स्टडी जामा इंटरनल मेडिसिन जर्नल में पब्लिश हुई है.
एक अखबार 150 कप कॉफी के बराबर कैसे ?
आपने ग्रे इनर्जी का नाम सुना है! ये आमतौर पर दिखाई नहीं देती लेकिन अगर इकोलॉजिकल फुटप्रिंट नापने की बात हो तो ये काफी अहम हैं. अगर इन्हें ध्यान में नहीं रखा तो फिर जितनी ऊर्जा की हम खपत करते हैं उसका आंकड़ा गलत हो जाएगा.
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चॉकलेट
ऊर्जा की बात हो तो हमारा ध्यान घर, दफ्तर की बिजली, कारों के ईंधन जैसी चीजों पर जाता है. लेकिन ऊर्जा का एक बड़ा हिस्सा हमारी रोजमर्रा की जरूरी चीजों के निर्माण, पैकिंग, ढुलाई और फिर उन्हें निबटाने में खर्च होता है. इसी ऊर्जा को ग्रे इनर्जी कहा जाता है. मिसाल के रूप में चॉकेलट के एक बार के लिए 0.25 किलोवाट घंटा ऊर्जा की जरूरत होती है. इतनी ऊर्जा से एक बड़े बर्तन में 20 बार पास्ता पकाई जा सकती है.
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बोतलबंद पानी
आधा लीटर बोतल बंद पानी के लिए 0.7 किलोवाट घंटा ग्रे एनर्जी की जरूरत होती है. नल से आने वाले पानी की तुलना में यह करीब एक हजार गुना ज्यादा है. जिन चीजों को बनाने की जगह से बहुत दूर इस्तेमाल के लिए ले जाना पड़ा है उसमें ग्रे इनर्जी की खपत और ज्यादा होती है.
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लैपटॉप
लैपटॉप का हार्डवेयर बनाने में करीब 1000 किलोवाट घंटा ग्रे इनर्जी खर्च होती है. इतनी ऊर्जा में एक वैक्यूम क्लीनर 40 दिनों तक लगातार चल सकता है.
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जीन्स
कॉटन की एक जीन्स का मतलब है 40 किलोवाट घंटा ग्रे इनर्जी. इतनी ऊर्जा से आप 400 घंटे तक टेलीविजन चला सकते हैं. ग्रे इनर्जी की कच्चे सामान से गणना शुरू की जाती है और फिर देखा जाता है कि निर्माण की प्रक्रिया में कितनी ऊर्जा खर्च हुई.
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एक परिवार वाले घर
एक परिवार के रहने के लिए 120 वर्ग मीटर जमीन पर घर बनाने में करीब 150,000 किलोवाट घंटे ग्रे इनर्जी की जरूरत होती है. इतनी ऊर्जा में चार सदस्यों वाले एक परिवार की 40 साल तक की बिजली की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि एक यूरो यानी करीब 75-80 रुपये खर्च करने का मतलब है करीब 1 किलोवाट घंटा ग्रे इनर्जी की खपत.
अखबार
औसतन 200 ग्राम के अखबार का मतलब है करीब 2 किलोवाट घंटा ग्रे इनर्जी. तुलना के लिए हम कह सकते हैं कि इतनी ऊर्जा में 150 कप कॉफी बनाई जा सकती है. ग्रे इनर्जी को मापने के लिए आंकड़े जुटाना थोड़ा मुश्किल है. इसके नतीजे निर्माण और सामानों की ढुलाई के आधार पर बदल सकते हैं.
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स्मार्ट फोन
स्मार्टफोन को बनाने, ढोने, रखने और बेचने और फिर उन्हें इस्तेमाल के बाद खत्म करने में करीब 220 किलोवाट ग्रे इनर्जी खर्च होती है. इतनी ऊर्जा में आपका फोन 50 साल तक चार्ज किया जा सकता है. ग्रे इनर्जी को मापने में सबसे बड़ी दिक्कत होने की वजह से ही इसकी जानकारी ग्राहकों को नहीं दी जाती.
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जूते
एक जोड़ी जूते बनाने में करीब 8 किलोवाट घंटा ग्रे एनर्जी खर्च होती है. इतनी ऊर्जा में एक औसत फ्रिज दो हफ्ते तक चल सकता है. ग्रे इनर्जी दुनिया में खर्च होने वाली ऊर्जा का एक बहुत बड़ा हिस्सा है. साथ ही कार्बन डाइ ऑक्साइड के उत्सर्जन का भी. यह कई चीजों के कार्बन फुटप्रिंट को कई गुना बढ़ा देता है.
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कार
एक कार सड़क पर उतरने से पहले ही 30,000 किलोवाट घंटा ग्रे इनर्जी का इस्तेमाल करती है. अगर इसे पेट्रोल में बदल दिया जाए तो इसका मतलब है कि 36,000 किलोमीटर तक गाड़ी चलाई जा सकती है. ग्रे इनर्जी के आंकड़े में आयात निर्यात भी बड़ी भूमिका निभाते हैं. अगर कार जर्मनी में बनती है और इस्तेमाल कहीं और होती है तो उसके निर्माण के दौरान हुआ उत्सर्जन इस्तेमाल करने वाले देश के माथे पर जाता है.
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टॉयलेट पेपर
क्लोरीन मुक्त टॉयलेट पेपर का एक रोल बनाने में 20 किलोवाट घंटा ग्रे इनर्जी खर्च होती है. तो इसका मतलब है कि एक रोल टॉयलेट पेपर जितनी उर्जा खर्च करता है उतने में 20 बार वॉशिंग मशीन से धुलाई हो सकती है. इतनी ऊर्जा खर्च होने के बावजूद लोगों के दिमाग में इसका ख्याल बिल्कुल नहीं आता.
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टुफ्ट्स यूनिवर्सिटी की न्यूट्रिशन एक्सपर्ट एलिस लिष्टेनश्टाइन मानती हैं कि स्टडी के नतीजे यह नहीं कहते कि कॉफी पीने से ही जवान रहा जा सकता है या कॉफी पीनी शुरू कर देनी चाहिए, "यह जरूर है कि जिसे हम रोजमर्रा के जीवन में पीना पसंद करते हैं, उसके कई फायदे हैं."
अमेरिका के नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट में शोध कर रहे इरिका लोफ्टफील्ड के मुताबिक, अब तक यह मालूम नहीं चल पाया है कि वे सटीक कारण क्या है जिसकी वजह से कॉफी पीने से लंबा जीवन मिलता है. कॉफी में एक हजार से भी अधिक केमिकल कंपाउंड पाए जाते हैं जिनमें एंटीऑक्सि़डेंट होते हैं जो कोशिकाओं की रक्षा करते हैं. अन्य स्टडी में पाया गया है कि कॉफी में पाए जाने वाले तत्वों से डायबीटिज से बचा जा सकता है क्योंकि इसे पीने से शरीर इंसुलिन को सही तरीके से इस्तेमाल करता है. हालांकि रिसर्च में यह साफ नहीं था कि प्रतिभागियों में से कितने हैं, जो ब्लैक कॉफी पीते हैं, कितने क्रीम या चीनी का इस्तेमाल करते हैं. लिष्टेनश्टाइन कहती हैं कि कॉफी में एक्स्ट्रा फैट या कैलोरी को डालना नुकसानदेह साबित हो सकता है.
ये है कॉफी बनाने वाला रोबोट
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पेशे से इंजीनियर और शिकागो में सुबह-सुबह अपने दोस्तों संग कॉफी पीना पसंद करने लेने वाले एडम टेलर मानते हैं कि स्टडी में दम जरूर है. वह कहते हैं, "कॉफी पीने से आप खुश रहते हैं. आप अपना पूरे दिन की प्लानिंग कॉफी की सिप के साथ करते हैं."
इस शोध के लिए 90 लाख ब्रिटिश व्यस्कों को बुलाया गया जिनकी उम्र 40 से 69 के बीच थी. इनसे कॉफी की रोजाना खपत पर कुछ सवालों के जवाब लिखित में मांगें गए और अन्य सवाल एक्सरसाइज से जुड़े थे. इसके बाद इनका ब्ल्ड टेस्ट हुआ और अन्य जांच हुईं.1,54,000 ने बताया कि वे रोजाना दो से तीन कप कॉफी पीते हैं. 10 हजार ने बताया कि वे रोजाना कम से कम आठ कप कॉफी पीते है. बरिस्ता के बिना लंदन के कॉफी हाउसों का क्या होगा
शोध शुरू होने के बाद एक दशक में इन प्रतिभागियों में से 14,225 की मौत हो गई जिनमें कैंसर या दिल की बीमारी के मामले अधिक थे. शोध में पाया गया कॉफी का सेवन करने वालों में दिल की बीमारी या ब्लड प्रेशर का रिस्क कॉफी न पीने वालों से अधिक नहीं था. ऐसे में यह कहना गलत होगा कि कॉफी से दिल की बीमारी बढ़ने के आसार होते हैं.
वीसी/आईबी (एपी)
कितनी तरह की कॉफी के बारे में जानते हैं आप?
कितनी तरह की कॉफी के बारे में जानते हैं आप?
कॉफी बनाना कितना आसान है ना. चाय की तरह उबालने छानने का झंझट नहीं, बस दूध और पानी गर्म किया और मिला दी कॉफी चम्मच से. दरसल आपको इंस्टैंट कॉफी की आदत है, असल कॉफी बनाने में तो खूब मशक्कत लगती है.
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फिल्टर कॉफी
दक्षिण भारत की मशहूर फिल्टर कॉफी को तो सब जानते हैं. नेसकैफे जैसी इंस्टैंट कॉफी से अलग इसे चाय की तरह छान कर ही पकाया जाता है. ढेर सारा पानी और थोड़ा सा दूध, चाय की ही तरह. हालांकि पश्चिमी देशों में दूध को कॉफी के साथ पकाया नहीं जाता.
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एस्प्रेसो
इसमें कॉफी और पानी के अलावा और कुछ भी नहीं. लेकिन इसे बनाने के लिए एस्प्रेसो मशीन की जरूरत पड़ती है. छोटे से कप में महज दो घूंट कॉफी होती है जो कि बेहद गाढ़ी होती है. कई अलग अलग तरह की कॉफी बनाने में इसे बेस की तरह भी इस्तेमाल किया जाता है.
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कैपुचिनो
एस्प्रेसो में गर्म दूध और ऊपर ढेर सारी फोम यानी झाग, बन गई कैपुचिनो. अक्सर इसके ऊपर कोको पाउडर भी छिड़का जाता है. कई बार कैफे अपने अलग अलग अंदाज में इस पर डिजायन भी बनाते हैं.
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लाटे
कैपुचिनो में थोड़ा और दूध मिलाइए, तो बनती है लाटे. इतावली शब्द लाटे का मतलब होता है दूध. इस लिहाज से यह दूध वाली कॉफी है. एक हिस्सा एस्प्रेसो और दो हिस्से दूध मिलाए जाते हैं. इसे एल लंबे ग्लास में सर्व किया जाता है.
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माकियाटो
लाटे और माकियाटो के बीच अंतर कला का है. लाटे में एस्प्रेसो के ऊपर दूध डाल कर उसे चम्मच से मिला दिया जाता है, जबकि माकियाटो में दूध के ग्लास में एस्प्रेसो धीरे धीरे डाली जाती है और उसे परतों में ही रहने दिया जाता है. एस्प्रेसो की मात्रा भी आधी होती है.
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मॉका
यह भी लाटे का ही एक रूप है, बस इसमें चॉकलेट सिरप मिला होता है. कहीं इसे कैफे मॉका तो कहीं मॉकाचीनो भी कहा जाता है.
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अमेरिकानो
यह देखने में तो रेगुलर फिल्टर कॉफी जैसी ही लगती है लेकिन फर्क यह है कि एस्प्रेसो के एक या फिर दो शॉट में गर्म पानी मिला कर इसे बनाया जाता है. इस तरह से इसका स्वाद फिल्टर कॉफी से कुछ अलग होता है.
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आइरिश कॉफी
इस कॉफी में व्हिस्की मिली होती है. पहले प्याली में थोड़ी सी व्हिस्की, उसके ऊपर गर्मागर्म फिल्टर कॉफी और फिर ठंडी फोम. इसे कांच की प्याली में सर्व किया जाता है ताकि काली और सफेद परतें देखी जा सकें.
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फ्रैपे
जिसे हम कोल्ड कॉफी कहते हैं, उसे कई जगह फ्रैपे के नाम से पुकारा जाता है. हर देश में बनाने का अलग तरीका. कहीं ठंडे पानी में, कहीं ठंडे दूध में, तो कहीं दूध और पानी मिला कर. इसमें आइसक्रीम भी मिलाई जा सकती है.
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डीकैफ
यह फिल्टर कॉफी ही है, बस इस कॉफी में से कैफीन निकाल ली गई है. आप हर तरह की कॉफी को डीकैफ रूप में खरीद या बना सकते हैं. उम्मीद है कि अब जब आप अगली बार किसी कॉफी हाउस में जाएंगे, तो लंबी सी लिस्ट देख कर चकराएंगे नहीं.