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कॉमनवेल्थ खेलः छिन गए 40 करोड़

१९ अगस्त २०१०

संकट में घिरे कॉमनवेल्थ खेलों की मुश्किलें गुरुवार को उस वक्त और बढ़ गईं जब सरकारी क्षेत्र की दो बिजली कंपनियों एनटीपीसी और पावरग्रिड ने खेलों को दी जाने वाली 40 करोड़ की स्पॉन्सरशिप राशि रोक दी.

तस्वीर: UNI

स्पॉन्सरशिप डील के तहत एनटीपीसी को कॉमनवेल्थ खेलों के लिए 50 करोड़ की राशि देनी थी. इसमें से 20 करोड़ रुपये फरवरी में ही दिए जा चुके हैं. अब एनटीपीसी का कहना है कि जो रकम उसने दी है वह उसका हिसाब चाहती है और इस काम में किसी केंद्रीय एजेंसी को लगाया जाए. कंपनी के बोर्ड की बुधवार को बैठक हुई जिसमें कॉमनवेल्थ खेलों की स्पॉन्सरशिप से हाथ खींचने का फैसला हुआ.

एनटीपीसी के अध्यक्ष और महानिदेशक आरएस शर्मा ने कहा, "हां, हमने आगे स्पॉन्सरशिप बंद कर दी है." कंपनी की तरफ से अब तक दी गई राशि के बारे में उन्होंने कहा, "हम चाहते है कि कोई केंद्रीय एजेंसी उसका लेखा जोखा करे." कॉमनवेल्थ खेलों पर भारी धांधली के आरोप लग रहे हैं.

पटरी से उतरी कॉमनवेल्थ की गाड़ीतस्वीर: UNI

सरकारी क्षेत्र की एक और बिजली कंपनी पावरग्रिड ने भी कॉमनवेल्थ खेलों की स्पॉन्सरशिप से इनकार किया है. कंपनी के सीएमडी एसके चतुर्वेदी ने कहा, "जी, हमने कॉमनवेल्थ खेलों को पैसा न देने का फैसला किया है." वहीं सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया खेलों के लिए 50 करोड़ रुपये की राशि पहले ही दे चुकी है. भारतीय रेलवे के बजट में 3 से 14 अक्टूबर तक होने वाले खेलों के लिए 100 करोड़ रुपये का प्रावधान रखा गया था. लेकिन जब से ऑस्ट्रेलिया की कंपनी एसएमएएम को कमीशन दिए जाने की खबरें सामने आई है, भारतीय रेल अपने फैसले पर फिर से विचार कर रहा है.

कई प्राइवेट कंपनियां पहले ही कॉमनवेल्थ खेलों से अलग रहने का एलान कर चुकी हैं. एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड इंडिया के सेल्स प्रमुख अमिताभ तिवारी का कहना है कि खेलों की मार्केटिंग को ठीक से नहीं संभाला जा रहा है. गोदरेज कंपनी भी कह चुकी है कि वह खेलों से अलग रहेगी.

केंद्रीय सतर्कता आयोग की रिपोर्ट में कॉमनवेल्थ खेलों की आयोजन समिति पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं. पिछले महीने आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि निर्माण और दूसरे ठेकों में भारी धांधली हुई है. इसी महीने आयोजन समिति की तीन अधिकारियों टीएस दरबादी (संयुक्त महानिदेशक), संजय महिंद्रू (उप महानिदेशक) और एम जयचंद्रन (कोषाध्यक्ष) को बर्खास्त किया चुका है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः आभा एम

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