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कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए चिंतित सुरक्षा एजेंसियां

२५ अगस्त २०१०

कॉमनवेल्थ गेम्स की तैयारियों में देरी पर चिंता के अलावा खेलों के दौरान सुरक्षा व्यवस्था भी एक बड़ा मुद्दा है. गृह सचिव जीके पिल्लई की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय बैठक हुई जिसमें खेल तैयारियों और सुरक्षा का जायजा लिया गया.

तस्वीर: AP

इस बैठक में अर्धसैनिक बलों केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारी भी शामिल हुए. दिल्ली में 3 से 14 अक्तूबर तक कॉमनवेल्थ गेम्स होने हैं और उसके लिए चाकचौबंद सुरक्षा व्यवस्था सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है.

तस्वीर: UNI

खेलों के दौरान करीब एक लाख सुरक्षाकर्मियों को दिल्ली में तैनात किए जाने की योजना है. सरकार से जुड़े सूत्रों ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया कि सुरक्षा एजेंसियां स्टेडियम निर्माण में हो रही देरी से चिंतित हैं क्योंकि इससे सुरक्षा व्यवस्था का खाका तैयार करने में भी देरी हो रही है.

सूत्रों के मुताबिक आदर्श स्थिति में अगस्त महीने तक खेलों के लिए इस्तेमाल होने वाले 63 स्टेडियमों और अन्य स्थानों को सुरक्षा एजेंसियों को सौंप दिया जाना चाहिए था ताकि उनके लिए पुख्ता सुरक्षा बंदोबस्त किए जा सकें.

सुरक्षा एजेंसियों की योजना है कि हर स्टेडियम या दूसरी जगहों की पूरी तलाशी ली जाए और उसके बाद उन्हें सील कर दिया जाए. इसे लॉक डाउन कहा जाता है. यह सील तभी खोली जाएगी जब कॉमनवेल्थ अधिकारी या फिर खिलाड़ी उनमें प्रवेश करेंगे. लेकिन ऐसा हुआ नहीं है.

"निर्माण कार्य में देरी की वजह से लॉक डाउन किए जाने की समयसीमा बार बार आगे बढ़ानी पड़ रही है. अब इसे चरणबद्ध तरीके से किए जाने की योजना है. यानी जहां जहां काम पूरा होता जाएगा वहां वहां लॉक डाउन अमल में लाया जाता रहेगा."

सुरक्षा एजेंसियां मान कर चल रही हैं कि सितम्बर का महीना बेहद व्यस्त साबित होगा क्योंकि उस दौरान हर सुरक्षा बंदोबस्त को अंतिम रूप दिया जाएगा. इसमें अधिकारियों और खिलाड़ियों को हवाई अड्डे से होटल और खेल गांव ले जाने, उन्हें स्टेडियम तक लाने की योजना को पूरी तरह तैयार किया जाएगा.

सीसीटीवी कैमरा सहित अन्य सुरक्षा सॉफ्टवेयर, सायबर गतिविधियों पर नजर के साथ साथ अन्य बंदोबस्त को पुख्ता किया जाना है. सेना को किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रखा जाएगा.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: उभ

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