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कॉमनवेल्थ में 70,000 करोड़ का खेल

१८ अक्टूबर २०१०

दिल्ली में कॉमनवेल्थ खेल कराने पर भारत ने 70,000 करोड़ रुपये खर्च किए. खेलों की मेजबानी मिलते के वक्त बजट 600 करोड़ था, फिर 24,000 करोड़ हुआ औऱ अब अनुमान लगाया जा रहा है कि खेल 70,000 करोड़ रुपये का हुआ.

तस्वीर: AP

ताजा आधिकारिक अनुमान के मुताबिक खेलों से पहले दिल्ली में बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के लिए दिल्ली सरकार को 15 हजार करोड़ रुपये खर्च करने पड़े. वैसे यह पूरा आयोजन भारत को लगभग 70 हजार करोड़ रुपये में पड़ा. लचर तैयारियों और खास कर वक्त पर काम पूरा न होने के लिए दुनिया भर में बदनाम हुए इन खेलों को सफल बनाने के लिए दिल्ली सरकार के अलावा विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों को अपने बजट से काफी रकम झोंकनी पड़ी.

सात साल पहले जब भारत को इन खेलों की मेजबानी मिली थी तो खेलों के लिए 600 करोड़ रुपये का बजट तय किया गया था. खेल खत्म होने के बाद पता चल रहा है वास्तविक खर्च 110 गुना ज्यादा हुआ है. जाहिर है इसमें भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी रकम भी है.

लेकिन अब जनता को प्यार की थपकी देने की कोशिश हो रही है. दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा है कि जब राजधानी के लोगों से कोई नया टैक्स नहीं वसूला जाएगा. उन्होंने कहा, "चिंता मत कीजिए. कोई नया टैक्स नहीं लगाया जाएगा. कम से कम मेरी यह राय है कि हमें टैक्स बढ़ाने की जरूरत नहीं है, लेकिन टैक्स संग्रहण के तंत्र को और पारदर्शी व कारगार बनाने की जरूरत है." दिल्ली कॉमनवेल्थ खेलों पर हुए भारी खर्च के कारण दिल्ली को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने यह नहीं कहा कि कॉमनवेल्थ खेलों के लिए लगाए गए टैक्स वापस ले लिए जाएंगे.

तस्वीर: UNI

मुख्यमंत्री दीक्षित ने कहा कि टैक्स के संग्रहण के तंत्र को पहले से ज्यादा पारदर्शी और कारगर बनाया जाएगा ताकि मौजूदा वित्त वर्ष में ज्यादा राजस्व प्राप्त किया जा सके. जब दीक्षित से उनकी सरकार की आर्थिक हालत के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "हम घाटे में नहीं है लेकिन उस तरह अमीर राज्य भी बिल्कुल नहीं हैं."

खेलों से पहले दिल्ली सरकार ने कुछ चीजों पर शुल्क बढ़ा दिया था, लेकिन फिर कुछ चीजों पर टैक्स वापस ले लिया गया. खास कर पेट्रोल पंप मालिकों की तरफ से विरोध किए जाने पर डीजल पर टैक्स घटाया गया. दिल्ली सरकार ने रसोई गैस पर सब्सिडी भी वापल ले दी थी जबकि पानी और बस किराए के दाम बढा दिए गए. वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए दीक्षित सरकार ने कुछ चीजों पर वैट भी बढ़ा दिया.

दिल्ली के सामने आर्थिक परेशानी हैं. खास कर इस साल के केंद्रीय बजट में दिल्ली को मिलने वाली रकम घटने के बाद दिल्ली की हालत ज्यादा पतली है. दिल्ली को कॉमनवेल्थ खेलों से जुड़ी परियोजनाओं से लिए सिर्फ 50 करोड़ रुपये दिए गए जबकि राज्य सरकार ने दो हजार करोड़ रुपये मांगे. आर्थिक मंदी की वजह से भी सरकार की आमदनी पर असर पड़ा. वित्त वर्ष 2009-10 में टैक्स से मिला राजस्व लक्ष्य से 1,300 करोड़ रुपये कम रहा.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः ओ सिंह

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