कोचिंग सेंटरों के लिए नियम बनाने में पीछे क्यों है सरकार
८ अगस्त २०२४भारत की सर्वोच्च अदालत ने सोमवार को एक सुनवाई के दौरान सख्त टिप्पणी की थी, "कोचिंग सेंटर स्टूडेंट्स की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं और डेथ चैंबर्स बन चुके हैं. हालिया दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं में कुछ युवा अभ्यर्थियों की मौत हुई है, जो सभी की आंखें खोलने वाली है." कोर्ट ने मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी किया था. उनसे पूछा गया कि दिल्ली के कोचिंग संस्थानों के लिए अब तक "कौन से सुरक्षा मानक निर्धारित किए गए हैं."
सुप्रीम कोर्ट के इस कदम को दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर के राव आईएएस कोचिंग सेंटर में हुए हादसेसे जोड़कर देखा गया. बीते 27 जुलाई को हुए इस हादसे में तीन स्टूडेंट्स की मौत हो गई थी. केंद्र और दिल्ली सरकार ने एक-दूसरे को इस दुर्घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया था.
ऐसे में सवाल उठा कि आखिर दिल्ली में कोचिंग सेंटर किसके भरोसे चल रहे हैं. उनमें होने वाले हादसों के लिए कौन जिम्मेदार है.
एक दर्जन से ज्यादा विभागों पर है जिम्मेदारी
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और कानूनी मामलों के जानकार विराग गुप्ता ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा, "पिछले साल दिल्ली के एक कोचिंग सेंटर में आग लग गई थी. इस मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट में बहस चल रही है. उसके मुताबिक, इन मामलों के लिए दिल्ली सरकार के लोक निर्माण विभाग, जल निगम, दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) समेत एक दर्जन से ज्यादा विभाग जिम्मेदार हैं."
विराग गुप्ता का यह भी कहना है, "दिल्ली सरकार और एमसीडी के बड़े अधिकारियों की नियुक्ति और ट्रांसफर में उपराज्यपाल और केंद्रीय गृह मंत्रालय की बड़ी भूमिका रहती है. यानी कोचिंग सेंटरों में होने वाले हादसों के प्रति इनकी भी जिम्मेदारी बनती है."
हालिया हादसे के बाद दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल दोनों हरकत में आए हैं. दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी ने घोषणा की है कि दिल्ली सरकार कोचिंग सेंटरों के रेगुलेशन के लिए कानून लेकर आएगी. उन्होंने एक ईमेल आईडी भी जारी की है जिसपर लोग बिल के बारे में अपने सुझाव भेज सकते हैं. वहीं उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने भी एक कमेटी गठित की है, जो कोचिंग संस्थानों के संचालन के लिए गाइडलाइन बनाएगी.
दिल्ली में कोचिंग संस्थानों के रजिस्ट्रेशन के लिए पहले से कुछ नियम बने हुए हैं. साल 2020 में दिल्ली के शिक्षा विभाग ने घोषणा की थी कि 20 से ज्यादा छात्रों वाले कोचिंग सेंटरों के लिए रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा. शिक्षा विभाग की वेबसाइट पर इसके लिए ऑनलाइन फॉर्म भी दिया गया है. इसमें कोचिंग सेंटरों को जरूरी जानकारी भरकर देनी होती है.
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भारत के दूसरे राज्यों में कोचिंग सेंटरों के लिए क्या नियम हैं?
विराग गुप्ता बताते हैं कि सबसे पहले कर्नाटक और गोवा ने 2001 में कोचिंग सेंटरों को रेगुलेट करने के लिए नियम-कानून बनाए थे. 2002 में उत्तर प्रदेश कोचिंग विनियमन अधिनियम लाया गया. वहीं, बिहार में 2010 और मणिपुर में 2017 में इसके लिए एक्ट पास किया गया.
इनके अलावा राजस्थान में भी पिछले साल कोचिंग सेंटरों के रेगुलेशन के लिए कानून बनाने की बात चली थी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जनवरी 2023 में इसका पहला ड्राफ्ट भी जारी किया गया लेकिन आपत्तियों के चलते यह बिल ठंडे बस्ते में चला गया. हालांकि, इसके बाद सितंबर में राज्य सरकार ने कोचिंग सेंटरों के लिए गाइडलाइन जरूर जारी की थीं.
ये गाइडलाइन कोचिंग सेंटरों के लिए मशहूर कोटा शहर को ध्यान में रखकर बनाई गई थीं. वहां हर साल लाखों स्टूडेंट नीट और जेईई परीक्षा की तैयारी करने आते हैं. उनमें से कुछ स्टूडेंट कोटा के प्रतियोगी माहौल और असफलताओं के सामने दम तोड़ देते हैं. पिछले साल ही कोटा में 26 स्टूडेंट्स ने आत्महत्या की थी. राजस्थान सरकार ने इन मामलों को रोकने के मकसद से ही गाइडलाइन जारी की थी.
केंद्र सरकार ने अब तक क्या किया है
भारत सरकार ने जनवरी 2024 में कोचिंग सेंटरों के रेगुलेशन के लिए मॉडल गाइडलाइन जारी की थी. इसमें कहा गया था कि निर्धारित नीति ना होने के चलते कोचिंग सेंटरों की संख्या बढ़ती जा रही है. ऐसे सेंटरों में बच्चों से ज्यादा फीस वसूले जाने, अनावश्यक दबाव के चलते स्टूडेंट्स के आत्महत्या करने और दुर्घटनाओं में बच्चों के जान गंवाने के मामले सामने आ रहे हैं. इसलिए केंद्र सरकार मॉडल गाइडलाइन बना रही है, जिसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश अपना सकेंगे.
गाइडलाइन में प्रावधान किया गया है कि प्रत्येक कोचिंग सेंटर में कुल छात्रों के हिसाब से पर्याप्त बुनियादी ढांचा होना जरूरी है. कोचिंग सेंटर को अग्नि सुरक्षा कोड, भवन सुरक्षा कोड और अन्य मानकों का पालन करना होगा. साथ ही संबंधित अधिकारियों से अग्नि सुरक्षा और भवन सुरक्षा प्रमाण पत्र भी लेने होंगे.
विराग गुप्ता बताते हैं, "इस गाइडलाइन के मुताबिक, प्लस-टू शिक्षा का रेगुलेशन करना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है. इसलिए राज्य सरकारें, मॉडल गाइडलाइन के आधार पर कोचिंग संस्थानों के लिए जरूरी नियम और कानून बना सकती हैं. राज्य सरकारों के नियम नहीं बनाने की स्थिति में भी पुलिस और प्रशासन इन गाइडलाइंस के तहत कोचिंग संस्थानों के खिलाफ उचित कार्रवाई कर सकते हैं.”