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चीन ने जताया उसे नहीं है अमेरिका का डर

२३ अक्टूबर २०२०

कोरियाई युद्ध की सत्तरवीं बरसी पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सेना को संबोधित करते हुए उन्हें "हमलावरों" से सावधान किया. कोरियाई युद्ध इतिहास का अकेला ऐसा मौका है जब चीनी सेना के सामने अमेरिका की सेना थी.

China Jahrestag Einmarsch der chinesischen Armee in Nordkorea vor 70 Jahren
तस्वीर: Carlos Garcia Rawlins/Reuters

शी जिनपिंग ने चीनी सेना की वीरगाथाओं का जिक्र करते हुए उनमें देशभक्ति का भाव मजबूत करने की कोशिश की. 1950-53 के बीच चले युद्ध को उन्होंने इस बात की निशानी कहा कि यह देश उस ताकत से लड़ने के लिए तैयार है जो, "चीन के दरवाजे पर.... मुश्किल पैदा करेगा." चीन युद्ध की बरसियों का इस्तेमाल नए चीन की सैन्य ताकत से अमेरिका को परोक्ष रूप से धमकाने के लिए करता है.

चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी के लिए कोरियाई युद्ध वो कहानी है जिसने उसे अपनी जड़ें जमाने में मदद दी. इस युद्ध की 70वीं बरसी ऐसे दौर में मनाई जा रही है जब अमेरिका के साथ कारोबारी और तकनीक के लिए मुकाबलेबाजी, मानवाधिकार और ताइवान को लेकर पार्टी पर दबाव है. चीन ताइवान को अपना अभिन्न अंग मानता है.

तस्वीर: Carlos Garcia Rawlins/Reuters

अमेरिका का नाम लिए बगैर शी जिनपिंग ने कोरियाई युद्ध की ऐतिहासिक घटनाओं की मदद से मौजूदा दौर में "एकाधिकारवाद, संरक्षणवाद और चरम अहंकार" पर निशाना साधा. शी ने ताली बजाते दर्शकों के सामने कहा,"चीन के लोग समस्या पैदा नहीं करते, ना ही हम उनसे डरते हैं. हम कभी अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता का नुकसान हाथ पर हाथ धरे नहीं देख सकते...और हम कभी भी किसी ताकत को हम पर हमला करने और हमारी मातृभूमि के पवित्र इलाके को बांटने नहीं देंगे." बुधवार को अमेरिकी रक्षा विभाग ने ताइवान को एक अरब डॉलर से ज्यादा कीमत के हथियार बेचने की मंजूरी दी है. चीन और अमेरिका के बीच विवाद को इस घोषणा ने और हवा दे दी है.

कोरियाई युद्ध पहली और अब तक की इकलौती घटना है जब चीन और अमेरिका की सेना बड़े पैमाने पर एक दूसरे से सीधे लड़ीं. चीन की सरकार के मुताबिक तीन साल चली जंग में 197,000 से ज्यादा चीनी सैनिक मारे गए. इस युद्ध में अमेरिका के नेतृत्व वाली संयुक्त राष्ट्र के गठबंधन की सेना 38वीं समानांतर रेखा के पार जाने पर मजबूर हुई. दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया के बीच आज यही रेखा सीमा का काम करती है. उत्तर कोरिया के साथ चीन की कम्युनिस्ट सेना के आने की वजह से ऐसा हुआ. इस युद्ध को चीन में विजय की तरह देखा जाता है. इसे एक ज्यादा उन्नत दुश्मन के खिलाफ उनके प्रतिरोध और साहस का उदाहरण भी माना जाता है.

तस्वीर: AFP/Getty Images

कुआलालंपुर की मलय यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय राजनीति पढ़ाने वाले डॉ राहुल मिश्र का कहना है कि जिनपिंग का भाषण कोरिया से ज्यादा चीन की अपनी सामरिक और कूटनीतिक चुनौतियों की ओर इशारा करता है. उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "इस भाषण को अमेरिका और चीन के बीच शीत युद्ध की शुरुआत तो नहीं कह सकते लेकिन पिछले बयानों के मुकाबले इस बार शी जिनपिंग की अमेरिका को लेकर तल्खी काफी ज्यादा थी. इस बयान से यह भी साफ है कि अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव का पहला प्रमुख सामरिक थियेटर कोरिया प्रायद्वीप ही बनेगा."

इस हफ्ते चीन के ग्लोबल टाइम्स में छपे एक संपादकीय में लिखा गया है, "जब चीन बेहद गरीब था, तब वह अमेरिकी दबाव के आगे नहीं झुका. आज चीन एक मजबूत देश के रूप में उभरा है तो चीन के पास कोई वजह नहीं है कि वह अमेरिका की धमकी और दमन से भयभीत हो." बीते कई दशकों में पहली बार चीन और अमेरिका के बीच तनाव जोरों पर है. ऐसे में चीन कोरियाई युद्ध की बरसी का इस्तेमाल एक तरफ अंतरराष्ट्रीय प्रतिद्वंद्वियों को चेतावनी देने के साथ ही घरेलू विरोध का दमन करने के लिए भी करना चाहता है.

तस्वीर: imago images/B. Trotzki

चीन की सरकारी मीडिया युद्ध में शामिल हुए और जिंदा बचे लोगों के इंटरव्यू प्राइम टाइम में दिखा रही है और अपना प्रचार कर रही है. शुक्रवार को चीन के सिनेमाघरों में "सैक्रिफाइस" फिल्म दिखाई गई जो चीनी सिनेमा के तीन बड़े नामों ने बनाई है. इसमें चीनी सैनिकों की एक छोटी टुकड़ी के कोरियाई युद्ध के अंतिम दिनों में अमेरिकी सैनिकों को रोकने की कहानी है.

यूरोपियन यूनियन इंस्टीट्यूट फॉर सिक्योरिटी स्टडीज की चीन विशेषज्ञ एलिस एकमान का कहना है, "इसे अमेरिका को सीधे संदेश के तौर पर देखा जाना चाहिए, इसमें कोई संशय नहीं है. शी युद्ध की भावना का बड़े अर्थों में आह्वान कर रहे हैं."

चीन और उत्तर कोरिया ने बीते दो सालों में रिश्ते सुधारने पर काफी काम किया है. परमाणु हथियारों की वजह से संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों पर चीन के समर्थन के बाद दोनों देशों के रिश्ते में खटास आ गई थी. मार्च 2018 के बाद शी और उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन पांच बार मिल चुके हैं. उधर अमेरिका और उत्तर कोरिया के बीच बातचीत रुकी हुई है. चीन की रेनमिन यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय राजनीति पढ़ाने वाले प्रोफेसर शी यिनहोंग कहते हैं कि बरसी मना कर, "चीन अमेरिका को बता रहा है कि वह ना पहले उससे डरता था और ना अब उससे डरता है. यह अमेरिका के साथ सीमित सैन्य विवाद की तैयारी है."

एनआर/एमजे (एएफपी)

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