दक्षिण कोरिया की रोबोटिक कंपनी हानकूक मिराये टेक्नोलॉजी के मुताबिक, "हमारा रोबोट दुनिया का पहला मैन्ड बाइपैडल रोबोट है और इसे बहुत ही खतरनाक परिस्थितियों में काम करने के लिए बनाया गया है, ऐसी जगहों पर जहां इंसान नहीं जा सकता."
इंसान की तरह दिखने वाला यह मशीनी ढांचा 13 फुट है. रोबोट का कुल वजह 1.5 टन है. एक बांह का भार ही 130 किलोग्राम है. रोबोट के बीच में एक केबिन बनाया गया है. इसमें एक इंसान बैठ सकता है और फिर अपने इशारों पर रोबोट को ऑपरेट कर सकता है.
रोबोट को देखकर आयरमैन और अवतार जैसी हॉलीवुड की फिल्मों की याद आती है. फिलहाल रोबोट को और बेहतर बनाया जा रहा है. कंपनी के मुताबिक, "रोबोट अभी एक ही साल का है इसीलिए बच्चों की तरह कदम बढ़ा रहा है."
रोबोटिक्स में इतने जबरदस्त प्रयोग हो रहे हैं कि इंसान और रोबोट में फर्क करना मुश्किल होने लगा है. ऐसे रोबोटों को ह्यूमनॉएड कहा जाता है. यकीन न हो तो खुद देख लीजिए.
तस्वीर: APइस रोबोट का नाम नदीन है. इसे सिंगापुर की नान्यांग यूनिवर्सिटी ने तैयार किया है.
तस्वीर: Reuters/E. Suयूनिवर्सिटी के कैंपस में जब नदीन को कंप्यूटर के सामने बैठाया गया तो वहां से गुजरने वाले ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं चला कि यह रोबोट है. यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक ऐसे रोबोटों को बुजुर्गों के मदद के लायक बनाना चाहते हैं.
तस्वीर: Reuters/E. Suजापानी इलेक्ट्रॉनिक तोशिबा ह्यूमनॉएड्स रोबोट के कारोबार में उतरने का एलान कर चुकी है. एक एक्जिबिशन में तोशिबा ने यह रोबोट पेश किया. इंसान की तरह दिखता यह रोबोट इंसान की तरह बोल भी सकेगा.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Ch. Dernachइस रोबोट का नाम हान है. चेहरे पर उभरने वाला भावों के मामले में इस सबसे अच्छे ह्यूमनॉएड्स में गिना जाता है. इसके सिर में 40 मोटरें लगाई गई हैं, जो चेहरे पर बिल्कुल इंसान जैसे भाव ले आती हैं. इसका इस्तेमाल होटलों में रिसेप्शन पर किया जा सकेगा.
तस्वीर: Reuters/Tyrone Siuजापानी रोबोटिक्स एक्सपर्ट की यह रोबोट गर्ल देर सबेर अस्पतालों में दिखाई पड़ेगी.
तस्वीर: DWइलेक्ट्रॉनिक कंपनियों के अलावा गूगल और एप्पल जैसी दिग्गज कंपनियां भी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के क्षेत्र में बड़ा निवेश कर रही हैं. महान वैज्ञानिक कहे जाने वाले स्टीफन हॉकिंग्स के मुताबिक अगले 20 से 30 साल में रोबोट आम जिंदगी का हिस्सा बन जाएंगे.
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