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कोरोना पर आलोचना से बचने के लिए दुनिया को चीन की मदद?

२१ मार्च २०२०

जैसे जैसे दुनिया भर में कोरोना फैल रहा है, इस वायरस को शुरू में ना रोकने के लिए चीन की आलोचना भी तेज हो रही है. इससे बचने के लिए चीन दुनिया भर में लाखों मास्क, टेस्टिंग किट और दवाएं भेज रहा है.

Coronavirus China Fabriken nehmen Produktion wieder auf
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Xinhua/Feng Dapeng

कोरोना वायरस के खिलाफ जंग अब यूरोप और दुनिया के दूसरे इलाकों में पहुंच गई है. आम लोगों में दहशत है और सरकारों पर वायरस को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने का दबाव है. ऐसे में, चीन मदद के लिए सामने आ रहा है. उसे उम्मीद है कि इससे दुनिया भर में वह अपनी आलोचना को कम कर पाएगा. कोरोना वायरस की शुरुआत चीन के वुहान शहर से हुई थी और कम्युनिस्ट सरकार पर आरोप है कि उसने शुरू में इस वायरस को गंभीरता से नहीं लिया.

सर्बिया के राष्ट्रपति अपने "दोस्त और भाई" चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की तरफ से भेजी जाने वाली दवाइयों की खेप का स्वागत करने के लिए खुद एयरपोर्ट पर जाएंगे. शी जिनपिंग की सरकार ने अफ्रीकी देश लाइबेरिया में भी दस्ताने और वायरस से बचाने वाले कपड़े भेजे हैं. फिलीपींस में भी चीन एक लाख टेस्टिंग किट भेज रहा है. इसके अलावा हाल में दस फ्लाइटों में दसियों लाखों मास्क और अन्य दवाएं चेक रिपब्लिक भेजी गई हैं. चेक रिपब्लिक के गृह मंत्री यान हामाचेक ने कहा है कि चीन ही अकेला देश है जो इतने बड़े पैमाने पर यूरोप को मदद भेज सकता है.

आलोचना के जवाब में मदद

कई प्रेक्षकों का कहना है कि चीन इस तरह की कोशिशों के जरिए अपनी आलोचना को कम करना चाहता है. बहुत से लोगों की शिकायत है कि अगर चीन ने शुरू में इस वायरस को रोकने के लिए कदम उठाए होते तो यह इतना ना फैलता. अब चीन दुनिया भर में दवाएं और अपने विशेषज्ञ भेज रहा है ताकि वह अपने यहां कोरोना संकट को रोकने में मिली कामयाबी और सबक से दुनिया भर में इसके प्रकोप को नियंत्रित किया जा सके. न्यूयॉर्क की हॉफस्ट्रा यूनिवर्सिटी में लॉ प्रोफेसर जूलियान कु कहते हैं कि पश्चिमी देश देख रहे हैं कि इस वायरस से निपटना कितना मुश्किल है. ऐसे में चीन को इस बात का फायदा मिलेगा. वह कहते हैं, "चीन सरकार की नाकामियों की ज्यादा आलोचना नहीं होगी क्योंकि अन्य देशों की सरकारें भी प्रभावी कदम उठाने में नाकाम साबित हो रही हैं."

ईरान के लिए चीनी दवाएंतस्वीर: picture-alliance/Zuma Press/TPG

सर्बिया के राष्ट्रपति अलेक्सांदर वुचिच ने अपने देश में इमरजेंसी की घोषणा करते वक्त यूरोपीय संघ की कड़ी आलोचना की जबकि मदद के लिए चीन की सराहना की. उनका देश यूरोपीय संघ में शामिल होना चाहता है लेकिन उनकी सरकार रूस और चीन के ज्यादा करीब जा रही है.

वुचिच ने कहा, "मुझे अपने भाई और दोस्त शी जिनपिंग पर भरोसा है और मुझे चीन की मदद पर भरोसा है." वहीं यूरोपीय एकजुटता पर उन्होंने कहा कि यह सिर्फ एक परीकथा है. यूरोपीय संघ के अधिकारियों ने इस बात से इनकार किया है कि वे सर्बिया के लिए मदद को रोक रहे हैं, लेकिन उन्होंने कहा कि उनकी प्राथमिकता यूरोपीय संघ के देश हैं.

चीन ने कोविड-19 से निपटने की कोशिशों के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन को 2 करोड़ डॉलर की मदद दी है. वहीं यूरोपीय संघ और अमेरिका ने इससे भी ज्यादा रकम देने का वादा किया है, क्योंकि अब वहां कोरोना एक गंभीर संकट बन गया है. ब्रसेल्स में सेंटर फॉर रशिया यूरोप एशिया स्टडीज की संस्थापक टेरीजा फैलॉन का कहना है, चीन "अंक बटोर रहा है और सर्बिया को लगता है कि चीन ही उनका रक्षक है."

दोस्ती के हाथतस्वीर: Reuters/F. Lo Scalzo

इटली को मदद

छह हफ्ते पहले चीनी अधिकारी घरेलू स्तर पर गुस्से और विदेशों में हो रही निंदा से निपटने में जुटे थे. अब यही आलोचना तेहरान से लेकर वॉशिंगटन तक में बैठी सरकारों को झेलनी पड़ रही है. चीन का कहना है कि संकट से समय जिस तरह दुनिया ने उसकी मदद की, वैसे ही अब वह भी अपना फर्ज निभाने की कोशिश कर रहा है. लगभग 80 देशों ने चीन के लिए मदद भेजी थी. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग का कहना है, "यह चीन का पारंपरिक चरित्र है कि अपने प्रति दिखाई गई सदिच्छा का जवाब वह कहीं ज्यादा दयालुता के साथ देता है." लेकिन इसके साथ ही चीन उन देशों तक पहुंचने की कोशिश भी कर रहा है जो विश्व शक्ति बनने की उसकी कोशिशों में उसका समर्थन करते हैं. चीन ने कंबोडिया में भी मदद भेजी है जिसके प्रधानमंत्री हुन सेन शी जिनपिंग के खुले समर्थक हैं. यहां तक कि उन्होंने पिछले महीने चीन का दौरा भी किया जबकि वहां कोरोना का संकट चल रहा था.

चीन ने इटली में भी अपने विशेषज्ञ और उपकरण भेजे हैं, जो पिछले साल चीन की वन बेल्ड वन रोड परियोजना में शामिल होने वाला पहला पश्चिमी यूरोपीय देश था. बीजिंग की यूनिवर्सिटी ऑफ इंटरनेशनल रिलेशंस में प्रोफेसर छु इन का कहना है कि चीन की तरफ से भेजी जा रही मदद को सिर्फ एक अच्छे कदम के तौर पर देखा जाना चाहिए और अगर इन देशों में कोरोना वायरस की वजह से पैदा स्थिति को नियंत्रित कर लिया जाता है तो इससे चीन की अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने में मदद मिलेगी.

एके/एमजे (एपी)

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