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समाज

कोरोना काल में अंतरराष्ट्रीय प्रेम

१५ दिसम्बर २०२०

कोरोना महामारी की वजह से दुनिया भर में आवाजाही रोक दी गई. इसका बोझ दुनिया भर के प्रेमियों को भी झेलना पड़ा. खासकर द्विराष्ट्रीय परिवारों और उनके रिश्तेदारों को. परिवारों के लिए मुश्किलें बनी हुई हैं.

Symbolbild | Fernbeziehung | Videocall
तस्वीर: Colourbox

केवल तीन महीने तो हैं, इस विचार ने फेलिक्स उरबासिक और उनकी मित्र को उम्मीद दी थी जब उन्होंने फरवरी में डुसेलडोर्फ हवाई अड्डे के प्रस्थान हॉल में एक दूसरे को विदा कहा था. उरबासिक कहते हैं, "उस समय हम चीन में  चल रहे खतरनाक वायरस के बारे में मजाक करते थे." सिडनी से उनकी 25 वर्षीया दोस्त अप्रैल वापस ऑस्ट्रेलिया जा रही थी. तीन महीने बाद गर्मियों के शुरू में वह फिर से जर्मनी आना चाहती थी.

दोनों दो साल से एक साथ हैं, पार्टनर हैं. 27 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर उरबासिक कहते हैं, "हम वास्तव में साथ रहना चाहते थे और एक साथ जिंदगी शुरू करने वाले थे." लेकिन फिर कोरोना वायरस पूरी दुनिया में फैल गया. पहले कुछ महीनों में ये जोड़ा बंद सीमाओं और प्रवेश प्रतिबंधों की जरूरत को समझ रहा था. उरबासिक कहते हैं, "यह हमारे लिए साफ था कि हम कुछ समय तक एक-दूसरे को नहीं देख नहीं पाएंगे. हम इस वायरस को और नहीं फैलाना चाहते थे."

प्रेम पर्यटन नहीं है

गर्मियों में संक्रमण की स्थिति कई यूरोपीय देशों में थोड़ी नरम हुई. यही वह क्षण था जब फेलिक्स उरबासिक और उसकी प्रेमिका के मन में सवाल उठे. "हमने सोचा, यह कैसे हो सकता है कि अन्य लोग गर्मी की छुट्टी पर जाएं और हम एक दूसरे को फिर से देख भी न सकें?" उनके जैसे हजारों अन्य अविवाहित जोड़े भी यही सवाल कर रहे हैं. इनमें से एक गैर-यूरोपीय संघ के देश में रहता है और दूसरा यूरोपीय संघ के भीतर. हैशटैग #LoveIsNotTourism की मदद से प्रेमी युगल इंटरनेट पर अविवाहित जोड़ों के लिए दुनिया भर में प्रवेश प्रतिबंधों में ढील की मांग करते हैं.

फेलिक्स उरबासिक भी सक्रिय हैं. जून में वे एक वेबसाइट बनाते है जहां अलग अलग देशों में बंटे प्रेमी जोड़े कई देशों में प्रवेश आवश्यकताओं के बारे में जानकारी का आदान-प्रदान कर सकते हैं और याचिकाओं पर हस्ताक्षर कर सकते हैं. 27 वर्षीय उरबासिक बताते हैं, "मैं शुक्रवार को बैठ गया, पूरे सप्ताहांत में काम किया और रविवार शाम को साइट ऑनलाइन थी. शुरुआत में एक दिन में पेज पर 4,000 से 5,000 हिट आ रहे थे. ये तेजी से दुनिया भर में फैल गया."

तस्वीर: Mikhail Metzel/Tass/dpa/picture alliance

दंपति को जल्द शादी की उम्मीद

पहली सफलताएं कुछ समय बाद दिखने लगी. जर्मनी सहित कई यूरोपीय संघ के देशों में अविवाहित जोड़ों के लिए वीजा पाने की शर्तों को कम किया जाने लगा. "जाहिर है, मुझे बहुत खुशी हुई," उरबासिक कहते हैं. "दुर्भाग्य से, हमारे व्यक्तिगत मामले में, इससे हमें कोई मदद नहीं मिली." उनकी प्रेमिका अप्रैल को जर्मनी में प्रवेश करने की अनुमति तो मिल गई, लेकिन वह अपने देश से बाहर नहीं निकल सकती थी. ऑस्ट्रेलिया की सरकार देश को अलग थलग रखने की रणनीति अपना रही थी. देश में आने और बाहर निकलने के लिए विशेष परमिट की आवश्यकता थी.

महीनों की योजना और अधिकारियों के अनगिनत दौरे के बाद, फेलिक्स उरबासिक और उनकी दोस्त ने आखिरकार एक साथ रहने का रास्ता खोज लिया. अगर सब कुछ सही रहा तो अप्रैल जनवरी में जर्मनी के लिए उड़ान भरेगी. और फेलिक्स कुरबासिक ने आश्वासन दिया है, "जैसे ही हमें मौका मिलेगा, हम तुरंत रजिस्ट्री कार्यालय में जाएंगे और शादी कर लेंगे,"

द्विराष्ट्रीय परिवारों की मुश्किलें

अविवाहित जोड़ों के लिए अब एक-दूसरे से मिलना, एक दूसरे को देख पाना बहुत आसान हो गया है. लेकिन उन परिवारों के लिए अभी भी मुश्किलें है जो दो देशों से रहते हैं और राष्ट्रीय सीमाओं के पार रहते हैं. फ्रांसिस फ्रांका तिबो कहती हैं, "मुझे ये उचित नहीं लगता. पार्टनर्स जो केवल छह महीने के लिए साथ हैं उन्हें प्रवेश करने की अनुमति है, लेकिन मेरी मां को अपनी बेटी और पोते से मिलने के लिए यात्रा करने की अनुमति नहीं है."

तस्वीर: Privat

फ्रांसिस फ्रांका तिबो का जन्म ब्राजील में हुआ था और वे ग्यारह साल से अपने पति और बच्चे के साथ जर्मनी में रहती हैं. उनकी मां ब्राजील के फ्लोरियनोपोलिस शहर में रहती है, जो साओ पाउलो से लगभग 700 किलोमीटर दक्षिण में है. फ्रांका की मां को वास्तव में अपने एक वर्षीय पोते की देखभाल के लिए मई में जर्मनी आना था. हवाई जहाज का टिकट भी बुक था. लेकिन फिर कोरोना महामारी ने तिबो परिवार की योजनाओं को विफल कर दिया.

कोरोना से राहत नहीं

कोरोनोवायरस के खिलाफ उठाए जा रहे कदमों का फ्रांसिस फ्रांका तिबो समर्थन करती हैं. फिर भी, वह समझ नहीं पा रही है कि गर्मियों में पूरे पर्यटक समूहों को मयोर्का और क्रोएशिया जाने की अनुमति क्यों दी गई, जबकि उसकी मां को जर्मनी में प्रवेश से वंचित रखा गया था. "मेरी मां को अपने जीवन में कभी निमोनिया हुआ है, इसलिए वह बहुत सावधान है और घर पर रहती हैं," फ्रांसिस कहती हैं. "मैं इस बात की गारंटी देने के लिए तैयार थी कि वह हमारे साथ भी अलग-थलग रहेगी. कोई कारण नहीं है कि प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाए. मेरी मां अधिकांश यूरोपीय लोगों की तुलना में संक्रमण की श्रृंखला के लिए बहुत कम खतरनाक होती."

गर्मियों के बाद से, जर्मनी सहित कई यूरोपीय संघ के देशों में संक्रमण की स्थिति फिर से खराब हो गई है. फ्रांसिस माता-पिता और ससुराल वालों के साथ इस बार क्रिसमस पार्टी नहीं मनाएगी. वह कहती हैं, "जोखिम बहुत अधिक है, लोग कोरोना से थक सकते हैं, लेकिन कोरोना थक नहीं रहा है." वह अपनी मां के साथ इंटरनेट के माध्यम से संपर्क बनाए रखने की कोशिश करती है. "हम हर दिन व्हाट्सएप पर बात करते हैं और हर हफ्ते वीडियो कॉल करते हैं इसलिए वह अकेला महसूस नहीं करती." यह समय बहुत कठिन तो है ही.

रिपोर्ट: मिरयम गेर्के

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