रूस में ईजाद की गई स्पुतनिक वी वैक्सीन को भारत में आपात इस्तेमाल के लिए अनुमति मिल गई है. जानकारों को उम्मीद है कि इससे देश में कोरोना के खिलाफ लड़ाई में बड़ी मदद मिलेगी. जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ इस टीके के बारे में.
तस्वीर: Dado Ruvic/REUTERS
विज्ञापन
भारत में जल्द ही कोरोना वायरस के खिलाफ कोविशील्ड और कोवैक्सीन के अलावा एक और वैक्सीन लोगों को लगनी शुरू हो जाएगी. रूस में ईजाद किए गए टीके स्पुतनिक वी को भारत में आपात इस्तेमाल की अनुमति मिल गई है. देश में दवाओं के राष्ट्रीय नियामक डीजीसीआई ने यह अनुमति दी है.
ध्यान देने लायक बात यह है कि इस टीके का दूसरे और तीसरे चरण का ट्रायल अभी चल ही रहा है, इसलिए अभी इसके सीमित इस्तेमाल की अनुमति दी गई है. हालांकि स्पुतनिक वी को कम से कम तीस देशों में कोरोना से बचाव के लिए लोगों को दिया जा रहा है. कई लोगों ने भारत में भी इसके इस्तेमाल की अनुमति का स्वागत किया है.
क्या अलग है स्पुतनिक वी में?
स्पुतनिक वी का पूरा नाम गैम-कोविड-वैक कंबाइंड वेक्टर वैक्सीन है. इसे रूसी सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के शोध संस्थान गमालेया इंस्टिट्यूट ने ईजाद किया है. इसे फिलहाल 18 साल और उस से ज्यादा उम्र के लोगों को देने के लिए अनुमति दी गई है. टीका लेने वालों को इसकी दो खुराकें लेनी होंगी और दोनों खुराकों के बीच 21 दिनों का अंतर देना होगा. भारत के टीकाकरण कार्यक्रम के तहत इस समय दो टीके दिए जा रहे हैं - कोविशील्ड और कोवैक्सिन.
दावा किया गया कि स्पुतनिक कोविड-19 से 91.6 प्रतिशत सुरक्षात्मकता देती है.तस्वीर: Donat Sorokin/TASS/imago images
स्पुतनिक वी इन दोनों से अलग इसलिए है क्योंकि इसकी दोनों खुराकों में दो अलग अलग सामग्री का इस्तेमाल होता है. इनमें दो अलग अलग किस्म के एडिनोवायरस वेक्टर का इस्तेमाल किया गया है, जबकि बाकी दोनों वैक्सीनों में एक ही वेक्टर का इस्तेमाल होता है. दो एडिनोवायरस वेक्टर के इस्तेमाल से शरीर में ज्यादा लंबे समय तक इम्युनिटी बनी रहती है. इससे पहले इसी रूसी संस्थान ने इबोला वायरस बीमारी के लिए भी इसी तर्ज पर टीका बनाया था.
यह कोरोना से कितनी सुरक्षा देती है?
पिछले साल अगस्त में जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने स्पुतनिक वी की घोषणा की थी, तो उस समय वैज्ञानिक समुदाय ने इसकी आलोचना की थी और कहा था कि इसे बनाने में जो जल्दबाजी और गोपनीयता बरती गई है उसकी वजह से इस पर भरोसा करना मुश्किल है. लेकिन बाद में रूस में इसका तीसरे चरण का ट्रायल किया गया और इसके नतीजे विज्ञान की प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पत्रिका 'साइंस' में छपे.
इन नतीजों में दावा किया गया कि यह कोविड-19 से 91.6 प्रतिशत सुरक्षा देती है. तुलना के लिए कोविशील्ड और कोवैक्सिन दोनों की सुरक्षात्मकता 80 से अधिकतम 90 प्रतिशत तक पाई गई है. इसके अलावा अभी तक कहीं भी इसके कोई गंभीर दुष्परिणाम नहीं पाए गए हैं.
पाकिस्तान के कराची में स्पुतनिक टीका लेती एक महिला.तस्वीर: Akhtar Soomro/REUTERS
यह भारत में कब से मिलेगी?
भारत में डॉक्टर रेड्डीज लैबोरेट्रीज कंपनी इसे बना रही है. डॉक्टर रेड्डीज के अलावा रूस ने भारत में पांच दवा कंपनियों के साथ समझौते किए हैं, जिनमें ग्लैंड फार्मा, हेटेरो बायोफार्मा, पनाशिया बायोटेक, स्टेलिस बायोफार्मा और वरचो बायोटेक शामिल हैं. उम्मीद है कि सभी कंपनियां एक साल में कुल मिला कर 85 करोड़ खुराकें बनाएंगी.
दावा किया जा रहा है कि अप्रैल के अंत तक टीके की सीमित मात्रा में खुराकें उपलब्ध करा दी जाएंगी, यानि टीकाकरण कार्यक्रम में इसे शामिल किए जाने में अभी कुछ हफ्तों का इंतजार बाकी है.
कोरोना लहर के बीच कुंभ में शाही स्नान
देश में कोरोना वायरस की खतरनाक लहर के बीच हरिद्वार में लगे कुंभ में लाखों लोग दिशानिर्देशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं. इन तस्वीरों को देख कर आपको विश्वास नहीं होगा कि देश में महामारी ने फिर से पांव पसार लिए हैं.
तस्वीर: Money Sharma/AFP/Getty Images
ना मास्क, ना सामाजिक दूरी
हरिद्वार में महाकुंभ एक अप्रैल से चल रहा है और इसमें शामिल होने के लिए पूरे देश से लाखों लोग लगातार जा रहे हैं. 12 अप्रैल को एक शाही स्नान की तिथि थी और इस दिन गंगा नदी में डुबकी लगाने के लिए मेले में लाखों लोगों की भीड़ देखी गई.
तस्वीर: Money Sharma/AFP/Getty Images
कर्फ्यू भी, कुंभ भी
यह जमावड़ा ऐसे समय पर हो रहा है जब देश में एक दिन में संक्रमण के इतने नए मामले सामने आ रहे हैं, जितने महामारी की शुरुआत से आज तक नहीं आए. कई राज्यों में रात का कर्फ्यू और सप्ताहांत की तालाबंदी लागू है और कई राज्य एक बार फिर पूरी तालाबंदी लगाने का विचार कर रहे हैं. हरिद्वार और उत्तराखंड के दूसरे इलाकों में भी पहले से कहीं ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं.
तस्वीर: Money Sharma/AFP/Getty Images
प्रशासन लाचार
देश के दूसरे इलाकों में पुलिस कोविड-19 दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने वालों का चालान कर रही है और कई तरह के जुर्माने लगा रही है. लेकिन हरिद्वार में कुंभ के लिए उमड़ी भीड़ को प्रशासन बस लाचार हो कर देख रहा है. मेले में आए कुछ संतों समेत कई लोगों को संक्रमण हो चुका है, लेकिन आयोजन जस का तस चल रहा है.
तस्वीर: Money Sharma/AFP/Getty Images
नियम बेकार
कुंभ शुरू होने से पहले प्रशासन ने कहा था कि मेले में शामिल होने के लिए ई-पास उन्हीं को मिलेंगे जो आरटी-पीसीआर टेस्ट में नेगेटिव पाए जाने का सर्टिफिकेट दिखाएंगे. लेकिन मेले में ही लोगों के संक्रमित पाए जाने के बाद यह इंतजाम बेकार साबित हो गए हैं.
तस्वीर: Danish Siddiqui/REUTERS
दी गई थी चेतावनी
मेला शुरू होने से पहले कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने प्रशासन से इस तरह के जमावड़ों की अनुमति ना देने की अपील की थी. उनका कहना था कि इससे महामारी तेजी से फैलेगी, लेकिन आयोजन के समर्थकों ने इन चिंताओं को नकार दिया था.
तस्वीर: Money Sharma/AFP/Getty Images
चिंताजनक स्थिति
दूसरे शहरों में लगे रात के कर्फ्यू और सप्ताहांत की तालाबंदी की तस्वीरों को कुंभ की तस्वीरों से मिला कर देखें तो यह कहा मुश्किल हो जाएगा कि यह सब एक साथ एक ही देश के अंदर चल रहा है. वो भी ऐसा देश जो कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित देशों में दूसरे पायदान पर खड़ा है. इस समय पूरी दुनिया में संक्रमण के हर छह मामलों पर एक मामला भारत में है.
तस्वीर: Danish Siddiqui/REUTERS
अभी बढ़ेगा संकट
कुंभ मेला अभी 18 दिन और चलेगा. 12 अप्रैल जैसे दो और शाही स्नान अभी आने बाकी हैं, जिनमें से एक 14 अप्रैल को होना है और दूसरा 27 अप्रैल को. दूसरे तरफ हरिद्वार के साथ साथ पूरे देश में संक्रमण पहले से भी तेज गति से फैल रहा है.
तस्वीर: Money Sharma/AFP/Getty Images
क्या लग पाएगा अंकुश?
कोरोना से मरने वाले लोगों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आस्था के नाम पर लोगों की जान के साथ ऐसी लापरवाही ठीक है?