कोरोना महामारी और लंबे लॉकडाउन के कारण ठप हो चुका भारत का पर्यटन उद्योग अब लड़खड़ाते हुए दोबारा अपने पैरों पर खड़ा होने का प्रयास कर रहा है. नई सावधानियों और इंतजाम से लैस होकर यह पहले से काफी अलग नजर आ रहा है.
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केयर रेटिंग्स की एक रिपार्ट के मुताबिक भारत में इस उद्योग को लॉकडाउन और उड़ानों के बंद होने की वजह से वर्ष 2020 में लगभग 1.25 खरब रुपये के नुकसान का अनुमान है. पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश से सटे सुंदरबन इलाके की अर्थव्यवस्था तो पूरी तरह पर्यटन पर ही आधारित है. पहले लॉकडाउन और उसके बाद बीते महीने आने वाले अम्फान तूफान ने इस उद्योग की कमर तोड़ दी है.
अब इलाके से बड़े पैमाने पर विस्थापन रोकने और अर्थव्यवस्था को बदहाली से बचाने के लिए सरकार ने बीते 15 जून से इस इलाके में पर्यटन गतिविधियों को दोबारा शुरू करने की इजाजत दे दी है. इसके अलावा राज्य के अकेले समुद्रतटीय शहर दीघा और पहाड़ों की रानी कही जाने वाली दार्जिलिंग में भी धीरे-धीरे ही सही, पर्यटन गतिविधियां जोर पकड़ रही हैं. हालांकि कोरोना के आतंक की वजह से फिलहाल पर्यटकों की तादाद कम है. लेकिन इस उद्योग से जुड़े लोगों को उम्मीद है कि धीरे-धीरे यह आतंक दूर होगा और तब लोग पहले की तरह भारी तादाद में घरों से निकलने लगेंगे.
कितना हुआ नुकसान
दुनिया की तमाम बड़ी ट्रैवल कंपनियों के संगठन वर्ल्ड ट्रैवल एंड टूरिज्म काउंसिल ने अंदेशा जताया है कि कोरोना महामारी और लॉकडाउन के वजह से इस उद्योग में दुनिया भर में साढ़े सात करोड़ नौकरियां खत्म होंगी और 2.10 खरब डॉलर का नुकसान होगा. अकेले भारत में इसकी वजह से 1.25 खरब रुपये के नुकसान का अनुमान है.
केयर रेटिंग्स की ताजा अध्ययन रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल बीते साल के मुकाबले राजस्व में 40 फीसदी गिरावट का अंदेशा है. अकेले अप्रैल से जून तक के तीन महीनों के दौरान ही भारतीय पर्यटन उद्योग को 69,400 करोड़ रुपये के नुकसान का अंदेशा है. लेकिन अब घरेलू उड़ानें शुरू होने के बाद पर्यटन उद्योग में उम्मीद की किरण पैदा हुई है और इसके धीरे-धीरे पटरी पर लौटने की संभावना जताई जा रही है.
धीरे धीरे खुले
पहली जून से ही कई क्षेत्रों को रियायतें दी जाने लगी हैं. लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार ने पर्यटन क्षेत्र को खेलने से पहले दो सप्ताह का इंतजार करना मुनासिब समझा. यहां 15 जून से सीमित रूप से कुछ गतिविधियां शुरू कर दी गई हैं. समुद्रतटीय शहर दीघा में 30 फीसदी होटल खोल दिए गए हैं. सुंदरबन में भी पर्यटकों की आवाजाही को हरी झंडी दिखा दी गई है. देशी-विदेशी पर्यटकों का प्रमुख आकर्षण रहे दार्जिलिंग पर्वतीय क्षेत्र को भी आंशिक तौर पर खोल दिया गया है.
राज्य के पर्यटन मंत्री गौतम देब कहते हैं, "हम कोविड-19 के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए राज्य के विभिन्न पर्यटन केंद्रों में धीरे-धीरे इससे संबंधित गतिविधियों को इजाजत दे रहे हैं. अगर कोरोना संक्रमण की दर में गिरावट आई तो इस उद्योग के रफ्तार पकड़ने की उम्मीद है. वैसी स्थिति में अक्टूबर से नवंबर तक के त्योहारी सीजन में इस उद्योग को होने वाले नुकसान की कुछ हद तक भरपाई हो सकेगी.” उनका कहना है कि सरकार एक सप्ताह तक इस क्षेत्र पर निगाह रखने के बाद भावी रणनीति का एलान करेगी.
उम्मीद और आशंकाएं
लेकिन सरकार की इस छूट का जहां पर्यटन उद्योग ने स्वागत किया है वहीं स्थानीय लोग संक्रमण के डर से पर्यटकों की आवाजाही का विरोध कर रहे हैं. बीते सप्ताह दार्जिलिंग पहुंचे बर्दवान के एक परिवार को होटल से जबरन निकाल कर मैदानी इलाके में भेज दिया गया. दीघा में भी इसी तरह महिलाओं ने सड़क की नाकेबंदी कर दी और होटलों में रहने वालों को लौटने पर मजबूर कर दिया. उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि स्थानीय लोग आशंकित हैं कि कहीं पर्यटकों के जरिए इलाके में संक्रमण तेजी से नहीं बढ़ने लगे.
कोरोना: जहां सैलानियों का सैलाब होता था अब वहां सन्नाटा है
कोरोना वायरस ने दुनिया भर में दहशत मचा रखी है. उसकी वजह से दिन रात गुलजार रहने वाले पर्यटन केंद्र सुनसान पड़े हैं. इस बीच विमान परिवहन को रोके जाने और लॉकडाउन के कारण कई देशों में यही हालत है.
यूरोप में इटली कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित है. पूरा देश क्वारंटीन में है. दुकानें बंद हैं, शहर बंद हैं और सैलानी वापस अपने अपने देशों को जा चुके हैं. रोम का प्रसिद्ध पीटर स्क्वायर बंद पड़ा है. संग्रहालय और दूसरे दर्शनीय स्थल भी बंद हैं.
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सूना और शांत मिलान
उत्तरी इटली में सिर्फ पक्षियों का झुंड रास्तों पर जाने की हिम्मत जुटा पा रहा है. मिलान का प्रसिद्ध कैथीड्रल खाली पड़ा है और अकेला आसमान की ओर तकता दिख रहा है. इटली में कर्फ्यू लगा है. लोगों को सिर्फ काम करने या जरूरी सामान खरीदने जाने की छूट है.
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मैड्रिड का सन्नाटा
इटली के बाद कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित यूरोपीय देश स्पेन है. वहां भी कर्फ्यू लगा है. नतीजतन राजधानी मैड्रिड का व्यस्ततम इलाका प्लाजा मायोर खाली पड़ा है. हर साल यहां लाखों सैलानी आते हैं. इस इलाके में 3000 से ज्यादा रेस्तरां, बार, कॉफी हाउस और ताबेर्ना हैं.
अब ऑस्ट्रिया के निवासी भी जब मनचाहे घरों से बाहर नहीं निकल सकते. कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए 18 मार्च से स्कूलों, कॉलेजों के अलावा सारे पबों और रेस्तरां को भी बंद कर दिया गया है. शहर का प्रतीक सेंट स्टीफन कैथीड्रल बंद है. प्रार्थना सभाएं श्रद्धालुओं के बिना हो रही हैं.
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चेक रिपब्लिक भी सील
राजधानी प्राग के चार्ल्स ब्रिज पर हमेशा भीड़ होती है. अब शहर का ये प्रतीक सुनसान पड़ा है. चेक रिपब्लिक ने भी इमरजेंसी घोषित कर दी है और देश को आवाजाही के लिए पूरी तरह सील कर दिया है. विमान सेवाओं के अलावा लंबी दूरी वाली बस व ट्रेन सेवाएं भी रोक दी गई हैं.
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फ्रांस में इमरजेंसी
फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने कहा है कि उनका देश कोरोना वायरस के खिलाफ स्वास्थ्य युद्ध लड़ रहा है. और गृह मंत्री ने सबको युद्ध का साथी बना लिया है जिन्हें अब घर पर रहना है. राजधानी के प्रसिद्ध ठिकाने आइफिल टॉवर और लूव्रे म्यूजियम सुनसान पड़े हैं.
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बर्लिन के आकर्षण
कोरोना के डर का साया अब जर्मन राजधानी बर्लिन पर भी दिखने लगा है. सैलानी शहर छोड़कर लौट चुके हैं. कर्फ्यू लगाए जाने से पहले ही शहर खाली दिखने लगा है. थिएटर और म्यूजियमों के अलावा संसद भवन के नामी गुंबद को भी पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया है.
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स्लीपिंग मोड में टूरिज्म
जिन आकर्षणों को देखने की कोई फीस नहीं लगती, वे भी सैलानियों के बिना सूने पड़े हैं. सड़कों पर इक्का दुक्का सैलानी दिखाई देते हैं. कभी बर्लिन के दो हिस्सों में बंटे होने की निशानी ब्रांडेनबुर्ग गेट भी सूना पड़ा है. ये तस्वीर आम तौर पर लेना संभव नहीं, लेकिन इस समय यह सन्नाटा सालता है.
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अब पर्यटन उद्योग से जुड़े लोग स्थानीय लोगों से भी बातचीत कर उनकी गतलफहमियां दूर करने का प्रयास कर रहे हैं. दार्जिलिंग होटल ओनर्स एसोसिएशन के एक प्रवक्ता संजय खत्री कहते हैं, "स्थानीय लोगों की चिंता जायज है. हमें उनका भरोसा जीतना होगा ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं हो. दीघा के होटल मालिकों ने भी यही बात कही है.” राज्य सरकार ने भी इस मामले में हस्तक्षेप किया है. पर्यटन मंत्री कहते हैं, "मैंने संबंधित जिला प्रशासन से बात की है. स्थानीय लोगों को समझाना जरूरी है. कोरोना फिलहाल खत्म नहीं होगा. लेकिन इसकी वजह से अर्थव्यवस्था को ठप नहीं रखा जा सकता.”
कैसे कैसे इंतजाम
दूसरी ओर, यूनेस्को के विश्व धरोहरों की सूची में शामिल सुंदरबन बीते 18 मार्च से ही बंद था. इलाके की पूरी अर्थव्यवस्था पर्यटन पर ही आधारित है. अब 15 जून से सरकार ने इसे सशर्त खोलने की अनुमति दे दी है. धीरे-धीरे पर्यटक भी पहुंचने लगे हैं. सुंदरबन टाइगर रिजर्व के निदेशक सुधीर दास बताते हैं, "पर्यटकों को सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन करना होगा. लांच से आने वाले तमाम पर्यटकों और कर्मचारियों की थर्मल स्क्रीनिंग की जाएगी. अब उनके लिए फेस मास्क औऱ फेस शील्ड यात्रा का अनिवार्य हिस्सा होगा. हर स्टीमर पर सैनिटाइजरों का इंतजाम रहेगा और हर ट्रिप के बाद लांच को पूरी तरह सैनिटाइज किया जाएगा.” ऐहतियात के तौर पर सरकार ने 10 साल से कम और 65 साल से ऊपर के पर्यटकों पर लगी पाबंदी नहीं हटाई है. इलाके में एक साथ पांच लांच को प्रवेश की ही अनुमति दी जाएगी ताकि भीड़-भाड़ से बचा जा सके.
एक प्रमुख ट्रैवल एजंसी के मालिक जयदीप मुखर्जी बताते हैं, "भारतीय पर्यटन उद्योग की वापसी की काफी संभावना है. लॉकडाउन ने आम लोगों को कैदी बना दिया था. अब सुरक्षा उपायों के साथ लोग पहले से ज्यादा तादाद में घरों से बाहर निकलेंगे. हां, लोग लंबी ट्रिप की बजाय तीन-चार दिनों के दौरे पर निकलेंगे. हर साल देश के लाखों पर्यटक विदेशों की सैर पर जाते हैं. ऐसे लोग सुरक्षा के लिहाज से अब घरेलू दौरों पर ही जाएंगे.”
कोरोना ने ठप्प कराया इन पेशों में काम
कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में कई व्यवसायों को ठप्प कर दिया है. सीमाओं को बंद कर दिया गया है, लोगों की आवाजाही को रोक दिया गया है. सबसे ज्यादा असर पर्यटन और मनोरंजन उद्योग को हुआ है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Stratenschulte
ट्रेवल एजेंसी
जर्मनी की ट्रेवल एजेंसियां अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही हैं. कोरोना की वजह से पर्यटन उद्योग को खासा नुकसान हुआ है. जर्मनी आने जाने दोनों पर रोक है. ट्रेवल एजेंसियों को ग्राहकों को कैंसिल की गई छुट्टियों का पैसा वापस करना पड़ रहा है. अभी तो कोई कमाई नहीं ही हो रही है, पुरानी कमाई भी वापस करनी पड़ रही है.
तस्वीर: DW/A. Subic
एयरपोर्ट
कोरोना पर काबू पाने के लिए हवाई यातायात को रोक दिया गया है. उसका असर जर्मनी के भी हवाई अड्डों पर पड़ा है. कोलोन-बॉन हवाई अड्डा जर्मनी के बड़े हवाई अड्डों में शामिल है. यहां से साल में 1.3 करोड़ लोग दुनिया के 130 ठिकानों के लिए हवाई यात्रा करते हैं. इस समय ये सूना पड़ा है.
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विमान सेवा
पहले तो विमान सेवाओं ने कोरोना के कारण यात्रियों की घटती संख्या के कारण अपनी उड़ानें घटानी शुरू की, फिर जब कई देशों ने बाहर से आने वाले यात्रियों पर पाबंदियां लगानी शुरू की तो उन्हें अपनी सेवाएं पूरी तरह ही बंद कर देनी पड़ी. जर्मनी विमान कंपनी लुफ्तहंसा ने इस समय 90 फीसदी विमान पार्क कर रखा है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/H. Bratic
पायलट
विमान नहीं उड़ेंगे, तो पायलट क्या करेंगे. वे इस समय बेकार पड़े हैं. दुनिया की प्रमुख विमान सेवाओं ने अपनी सेवाएं रोक दी हैं और लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं. पायलट इस समय उन्हीं विमानों को उड़ा रहे हैं जो दूसरे देशों में फंसे यात्रियों को वापस लाने के लिए हैं.
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एयर हॉस्टेस
पायलट जैसा ही हाल एयर हॉस्टेसों का भी है. उनके लिए भी इस समय कोई काम नहीं है. और परेशान करने वाली बात ये भी है कि उन्हें पता नहीमं कि वे कब काम शुरू कर पाएंगी. कोई धंधा न होने के कारण बहुत सी विमान कंपनियों के सामने दिवालिया हो जाने की भी खतरा है. कर्मचारी डर के साए में जी रहे हैं.
तस्वीर: airberlin
एयरपोर्ट कर्मचारी
एयरपोर्ट कर्मचारी भी हवाई यातायात रुकने के कारण परेशान हैं. कोलोन का उदाहरण लें तो 1.3 करोड़ यात्रियों को हवाई अड्डे पर विभिन्न सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए बहुत से लोगों की जरूरत होती है. कोलोन एयरपोर्ट पर 130 कंपनियों और सरकारी संस्थानों के 15,000 लोग काम करते हैं.
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होटल
कोरोना से होटल उद्योग को भारी नुकसान हुआ है. 2001 या 2008 के पिछले वित्तीय संकट के दौरान 25 प्रतिशत का नुकसान हुआ था तो इस बार तो वायरस की वजह से होटल पूरी तरह खाली हैं. कुछ होटल चेन ने होम ऑफिस की वजह से घर में परेशान रहने वालों को होटल में आकर काम करने का ऑफर दिया है.
होटल कर्मचारी
होटल खाली रहेंगे तो होटल कर्मचारियों के पास भी कोई काम नहीं रहेगा. मालिकों की मुश्किल है कि आमदनी न हो तो होटल को चलाने का, कर्मचारियों को वेतन देने का खर्च कैसे उठाएं. होटल और रेस्तरां उद्योग सालाना 90 अरब यूरो का कारोबार करता है, लेकिन इस समय पूरा कारोबार ठप्प पड़ा है.
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मेकैनिक
लॉकडाउन में कहीं ऐसा काम नहीं हो रहा है जो सामान्य जनजीनम को चलाने के लिए एकदम जरूरी न हो. जर्मनी की प्रसिद्ध कार बनाने वाली कंपनियों ने भी अपना उत्पादन रोक रखा है. जितने कम कर्मचारी दफ्तर या कारखाने आएंगे उतनी ही ज्यादा सोशल डिस्टैंसिंग होगी.
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कारीगर
घर बनाने से लेकर घरों में बिजली और सैनिटरी फिटिंग और मरम्मत के लिए पेशेवर कारीगरों की जरूरत होती है. लॉकडाउन की वजह से सारा काम ठप्प पड़ा है. ग्राहक नहीं आ रहे. हालांकि छोटे उद्यमों और एकल कारीगरों को सरकार 15,000 यूरो की मदद देगी, लेकिन उनके अस्तित्व पर संकट फिर भी है.
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सिनेमा हॉल
कोरोना की वजह से हर उस जगह को बंद कर दिया गया है जहां लोगों के इकट्ठा होने की संभावना होती है. सिनेमा हॉल भी बंद हैं. नहीं भी बंद किए जाते तो इस बीच बंद हो जाते क्योंकि लोग अपने घरों में बंद हैं. जर्मनी में 700 सिनेमाघरों में करीब 4000 पर्दे हैं. बंदी की वजह से उन्हें हर हफ्ते 1.7 करोड़ यूरो का घाटा हो रहा है.
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फिल्म की शूटिंग
कोरोना वायरस के खतरे को रोकने के लिए फिल्मों की शूटिंग भी रद्द है. पहले तो स्थानीय निकायों ने शूटिंग की अनुमति वापस ले ली. कुठ जगहों पर निजी घरों में शूटिंग हुई. लेकिन बाद में मामला गंभीर होने लगा और वायरस के तेजी से फैलने के मामले सामने आने लगे तो शूटिंगें रोक दी गईं.
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थिएटर
जर्मनी में कोरोना के चलते थिएटर भी बंद पड़े हैं, कम से कम 19 अप्रैल तक. यूरोप के थिएटर भी बंद हैं. थिएटरों के प्रबंधक यह हिसाब करने में लगे हैं कि नुकसान की भरपाई कैसे होगी. बर्लिन के शाउब्यूनेथिएटर के टोबियास फाइट के अनुसार इस अवधि में नुकसान करीब 5 लाख यूरो का है.
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ऑर्केस्ट्रा
थिएटर बंद हैं तो ऑर्केस्ट्रा के प्रदर्शन भी बंद हैं. इसका असर कलाकारों की आमदनी पर भी पड़ रहा है. ऑर्केस्ट्रा में काम करने वाले बहुत से आर्टिस्ट छोटे छोटे अनुबंधों से बंधे होते हैं. नए अनुबंध नहीं होंगे तो आमदनी भी नहीं होगी. उनमें से बहुत लोगों पर भी बेरोजगारी का खतरा मंडरा रहा है.
तस्वीर: Barbara Frommann
कॉफी हाउस
कोरोना की वजह से कॉफी हाउस भी बंद हैं. सारे देश में लॉकडाउन की स्थिति है तो कोई बाहर निकल भी नहीं रहा. मौसम इन दिनों अपेक्षाकृत बहुत ही अच्छा है. साधारण सी ठंड और चमचमाती धूप, लेकिन बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं. आफत है कॉफी हाउस चलाने वालों की.
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बार
होटलों और रेस्तरां की तरह जर्मनी में बार भी बंद हैं. बार चलाने की अनुमति नहीं है लेकिन होम सप्लाई हो सकती है. बहुत से लोगों ने इसका फायदा उठाया है. वे ड्रिंक ग्राहकों के घरों में पहुंचा रहे हैं. ऑर्डर कीजिए और डिलीवरी लीजिए. लेकिन ये कमाई किराये और बिजली जैसे खर्चों को पूरा करने के ले काफी नहीं है.
कोरोना की बंदी का असर किताब की दुकानों पर भी पड़ा है. हालांकि वे उन दुकानों में हैं जो बंदी के दौरान खुली रह सकती हैं, लेकिन छोटी दुकानें ग्राहकों की भीड़ का सामना नहीं कर सकतीं. वे तकनीक का सहारा ले रही हैं. दुकान की लाइव स्ट्रीमिंग और कूरियर के जरिए किताबों को ग्राहक तक पहुंचाना.
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जिम
जर्मनी में कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए जिम और फिटनेस स्टूडियो को भी बंद कर दिया गया. खेलकूद और व्यायाम के दूसरे सार्वजनिक साधन या संस्थान भी बंद हैं. स्वीमिंग पूल और खेल के मैदान भी काम नहीं कर रहे हैं, जहां आम तौर पर फुटबॉल जैसे खेल खेले जाते हैं या जॉगिंग की जाती है.
तस्वीर: Colourbox
सैलून
बाल काटने छांटने या रंगने का काम भी दूरी से नहीं हो सकती. वायरस को रोकने के लिए सरकार की सोशल डिसटेंसिंग की कोशिशों के बीच सैलून चलाना तो अत्यंत मुश्किल हो गया था. सरकार से पहले सैलून के मालिक ही कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए दुकान बंद किए जाने की वकालत कर रहे थे.
तस्वीर: Reuters/D. Whiteside
ऑटो वर्कशॉप
जर्मनी में कार खराब होने पर लोग वर्कशॉप में जा सकते हैं लेकिन पुर्जे खरीदने कार की दुकान में नहीं जा सकते. सरकार का यही फैसला है. मुश्किल कार की दुकानों में काम करने वाले वर्कशॉपों की है. वे गाड़ियां ठीक तो कर सकते हैं लेकिन ग्राहकों को कोई स्पेयर पार्ट बेच नहीं सकते.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Stratenschulte
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दार्जिलिंग के एक होटल मालिक बताते हैं, "बारिश के सीजन में हर साल पर्यटकों की तादाद में गिरावट आती थी. अबकी कोरोना की वजह से हालात गभीर हैं. लेकिन उम्मीद है कि गतिविधियां जल्दी ही तेज होंगी.” अब प्रमुख पर्यटन केंद्रों की बजाय पर्यटक होम स्टे को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं. पर्वतीय क्षेत्र में लगभग दो हजार होम स्टे हैं. गोरखालैंड टेरीटोरियल एडमिनिस्ट्रेशन (जीटीए) के सहायक निदेशक (पर्यटन) सूरजा शर्मा कहते हैं, "हजारों पर्यटक होम स्टे के विकल्प के बारे में पूछताछ कर रहे हैं. हमने होम स्टे मालिकों के सथ बैठक में उनको बदले हुए हालात में अपनाए जाने वाले ऐहतियाती उपायों की विस्तार से जानकारी दे दी है.”
बदल जाएगी तस्वीर
पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों का मानना है कि अब इस उद्योग की तस्वीर पूरी तरह बदल जाएगी. अब होटल प्रबंधन और पर्यटक किसी चीज के सीधे स्पर्श से बचेंगे और साफ-सफाई को सबसे प्राथमिकता दी जाएगी. कई होटलों ने तो रूम सर्विस के दौरान कागज के प्लेट और पत्तलों में भोजन की व्यवस्था की है ताकि संक्रमण का खतरा नहीं रहे. एसोचेम टूरिज्म काउंसिल के अध्यक्ष सुभाष गोयल कहते हैं, "अब तमाम होटल अपनी बाकी सुविधाओं के साथ साफ-सफाई और दूसरे ऐहतियाती उपायों का भी प्रचार करेंगे ताकि पर्यटकों के मन में बैठे डर को खत्म किया जा सके. उनका कहना है कि इस क्षेत्र में 3.80 करोड़ नौकरियां खतरे में हैं और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देकर ही उनको बचाया जा सकता है. अंतरराष्ट्रीय पर्यटन भी शीघ्र शुरू करने की अनुमति दी जानी चाहिए.” दीघा के एक होटल मालिक संजय घोष का कहना है कि अब होटलों को आकर्षक पैकेज बनाना होगा. दरअसल पूरे पर्यटन उद्योग को अब अपने पैरों पर खड़े होने के लिए नई नीतियां और योजनाएं बनानी होंगी.
ट्रैवल एजंट्स फेडरेशन आफ इंडिया के पूर्वी क्षेत्र के अध्यक्ष अनिल पंजाबी कहते हैं, "शुरुआती दिक्कतों के बाद यह उद्योग तेजी से रफ्तार पकड़ेगा. फिलहाल पर्यटकों में भी आशंका है और स्थानीय लोगों में भी. धीरे-धीरे लोग यह बात समझ जाएंगे कि कोरोना के साथ ही जीना सीखना होगा. उसके बाद कोई दिक्कत नहीं होगी. बस सुरक्षा उपायों का पालन करना जरूरी होगा. बदले हुए हालात में इस उद्योग को भी नई रणनीति बनानी होगी.” वह कहते हैं कि अब इस उद्योग से जुड़े तमाम लोगों को हाइजिन पर ज्यादा ध्यान होगा और सुरक्षा उपायों पर गंभीरता से अमल करना होगा. इसी से पर्यटकों का भरोसा हासिल किया जा सकता है.