दुनिया कोरोना महामारी को तेजी से फैलते और लोगों को मरते देख रही है, फिर भी सामान्य जीवन में लौटने की कोशिश कर रही है. डीडब्ल्यू की आस्ट्रिड प्रांगे कहती हैं कि सामूहिक शोक की संस्कृति के बिना यह काम नहीं करेगा.
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स्पेन ने दिखाया है कि यह कैसे किया जाता है. पिछले गुरुवार को पूरे देश ने उन 29,000 लोगों के लिए राजकीय शोक का समारोह में हिस्सा लिया, जिन्होंने कोविड-19 के कारण अपनी जान गंवाई, और अक्सर परिवार और दोस्त उन्हें अंतिम विदा भी नहीं कर पाए. इस समारोह में न केवल स्पैनिश शाही परिवार के सदस्य और देश के शीर्ष राजनेताओं ने भाग लिया, बल्कि डब्ल्यूएचओ के प्रमुख टेड्रोस एडनॉम गेब्रेयसुस, यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला फॉन डेय लाएन और नाटो के महासचिव येंस स्टॉल्टेनबर्ग ने भी हिस्सा लिया.
लेकिन अफसोस, स्पेन एक सराहनीय अपवाद ही रहा. इस तथ्य के बावजूद कि दुनिया भर में अधिक से अधिक लोग कोविड-19 से मरने वाले अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के लिए शोक मना रहे हैं, समाज के शीर्ष पर बैठे लोग अभी भी अक्सर यह दिखावा कर रहे हैं कि महामारी मौजूद ही नहीं है. खासकर ऐसे देशों में जहां मौत का आंकड़ा तेजी से ऊपर की ओर बढ़ रहा है.
सामान्य होती जिंदगी
हालांकि ब्राजील और अमेरिका में अभी भी कोरोनोवायरस से मरने वालों के लिए सामूहिक कब्रें खोदी जा रही हैं, फिर भी शॉपिंग सेंटर और जिम फिर से खुल रहे हैं. बर्लिन में, पार्टीबाजों ने एक अस्पताल के सामने "रबर नौका पार्टियों" का आयोजन किया है. ब्रिटेन में छुट्टियां मनाने वाले लोग भीड़भाड़ वाले समुद्र तटों पर शारीरिक दूरी के नियमों को नजरअंदाज कर दिया है.
दुनिया को बस एक पल के लिए ठहरना असंभव क्यों लग रहा है? जब शोक कर रहे लोगों को समर्थन और मानवीय स्नेह की सबसे अधिक जरूरत है, तो इतनी कम सहानुभूति क्यों दिखाई जा रही है? स्पेन के अलावा किसी और देश को राष्ट्रीय स्मृति दिवस या शोक मनाने की क्यों नहीं सूझी जबकि दुनिया भर में महामारी में 5,00,000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं?
जवाब यह है कि सामान्य होती जिंदगी ने सामूहिक शोक से पैदा हो सकने वाले डर पर घूंघट का साया खींच दिया है. दुख और शोक अपार ताकत पैदा कर सकता है. यह लोगों को एक साथ जोड़ता है और आपसी सम्मान की मांग करता है. यह रोष और विरोध की भावना पैदा करता है और सत्ता के सामाजिक संतुलन पर सवाल उठाता है.
खामोश ताकत
अगर अमेरिका या ब्राजील में लाखों लोगों का दुख सतह पर आ जाए तो क्या होगा? अगर लोगों को कब्रिस्तान की बजाए घंटों सोशल मीडिया पर बिताना हो? क्या होगा यदि एक घंटे के लिए सारे घोटालों, कथित महत्वपूर्ण राजनीतिक बहसों और दूसरी तबाहियों से संवेदना और सहानुभूति ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाए?
यह असंभव नहीं कि ठहर कर सोचने का ऐसा एक सामूहिक फैसला ये दिखाए कि उच्च राजनीतिक पदों पर बैठे लोग लफ्फाजी तो कर सकते हैं लेकिन लेकिन संवेदनशील कार्रवाई करने में असमर्थ हैं. आखिरकार, "अमेरिका पहले" या "ब्राजील पहले" जैसे नारे गमगीन रिश्तेदारों को आराम नहीं दे सकते, न ही वे वास्तविक राजनीतिक और सामाजिक समस्याओं को हल करेंगे.
जब महामारी की लहर कम होगी, तो केवल कोविड-19 में मरने वालों की संख्या ही महत्वपूर्ण नहीं होगी, बल्कि उन लोगों की तादाद भी जो महामारी के चंगुल से बच निकले हैं. सिर्फ ये अहम नहीं होगा कि महामारी से लड़ने में कई गलतियां हुई हैं, बल्कि उन गलतियों को उनके होने के साथ ही सुधारते जाने की क्षमता भी. यह भी महत्वपूर्ण होगा कि किसने मृतकों की गरिमा को बरकरार रखा और जो सीख वे देते हैं, उसके सबक सीखे.
कोरोना पीड़ितों के रिश्तेदार और दोस्त अपने दुख के लिए अधिक सम्मान और सहानुभूति के पात्र हैं. उन्हें इस दर्द के साथ अकेला नहीं छोड़ा जाना चाहिए. सामूहिक स्मृति समारोह और प्रतीकात्मक कदम एकमात्र ऐसे उपाय हैं, अगर उन्हें उपाय कहा जा सके, जो हमें लाखों इंसानों की मौत का सामना करने की शक्ति देंगे.
सामूहिक कब्रों और अस्पताल के गलियारों में मरते मरीजों की तस्वीरें ने दुनिया भर में लोगों की सामूहिक स्मृति पर छप गई हैं. हमारे अनवरत साथी के रूप में, मौत और अधिक दृश्यमान हो गई है. सामूहिक शोक के बिना, कोरोना महामारी से पहुंचे आघात को सहना आसान नहीं होगा.
क्या एक फुटबॉल मैच ने स्पेन को कोरोना के जाल में फंसाया?
जिन देशों में कोरोना से सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं, उनमें इटली के बाद स्पेन दूसरे नंबर पर है. लेकिन स्पेन कोरोना के जाल में कैसे फंसा, चलिए जानते हैं.
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31 जनवरी
स्पेन में कोरोना के पहले मामले की पुष्टि हुई. संक्रमण केनेरी द्वीप पर एक जर्मन टूरिस्ट में मिला, जो चीन का दौरा करने वाले लोगों के संपर्क में था.
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6 फरवरी
स्वास्थ्य मंत्रालय ने आधिकारिक टेस्ट प्रोटोकॉल निर्धारित किया. जिन लोगों को सांस संबंधी बीमारी और बुखार था और जिन्होंने बीते 15 दिन में चीन के हुबेई प्रांत का दौरा किया, उनका टेस्ट किया गया.
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19 फरवरी
स्पैनिश फुटबॉल क्लब वालेंसिया के 2,500 फैन्स एक फुटबॉल मैच देखने इटली के शहर मिलान गए. मैच वेलेंसिया और इटली के क्लब अटलांटा के बीच था. जिस शहर बेरगामो में अटलांटा क्लब स्थित है, उसके मेयर ने इस मैच को "एक जैविक बम" बताया. मैड्रिड में भी 18 फरवरी को चैंपियंस लीग का मैच हुआ.
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25 फरवरी
इटली से लौटे फुटबॉल फैंस से जुड़े कोरोना वायरस के मामले सामने आने लगे. वहीं केनेरी द्वीप के टेनेरीफ होटल में जब एक इतालवी टूरिस्ट पॉजिटिव पाया गया तो वहां ठहरे 700 लोगों को क्वांटरीन कर दिया गया. स्पेन की राजधानी मैड्रिड में पहला मामला सामने आया.
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26 फरवरी
संक्रमण को रोकने की कोशिश में स्पेन ने अपने देश के लोगों को चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ईरान, सिंगापुर और उत्तरी इटली ना जाने की सलाह दी. इनमें ज्यादातर इलाके कोरोना संक्रमण से गंभीर रूप से ग्रस्त रहे हैं.
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27 फरवरी
ज्यादा मरीजों का टेस्ट शुरू किया गया. जिन लोगों में कोविड-19 के स्पष्ट लक्षण दिख रहे थे, उनके तो टेस्ट हो ही रहे थे, अब ऐसे लोग भी इसमें शामिल कर लिए गए जो उत्तरी इटली और कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों की यात्रा करते रहे थे.
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3 मार्च
लेकिन कोरोना ने स्पेन को अपने चंगुल में समेट लिया था. स्पेन में कोरोना वायरस से पहली मौत हुई. मरने वाला व्यक्ति वालेंसिया में रहता था और 13 फरवरी को नेपाल गया था.
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5 मार्च
स्पेन के अधिकारियों ने आदेश दिया कि अगर कोई खिलाड़ी कोरोना वायरस से प्रभावित इलाके से आता है तो उसकी टीम के साथ होने वाला मैच बंद दरवाजों के पीछे खेला जाएगा.
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7 और 8 मार्च
धुर दक्षिणपंथी वोक्स पार्टी की मैड्रिड में सालाना रैली हुई. महिला अधिकार रैली हुई, देश भर में कई खेल आयोजन हुए. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस से संबंधित प्रदर्शन भी हुए. 8 मार्च को स्पेन में कोरोना वायरस के 589 मामले सामने आए और 17 मौतें हुईं.
स्पेन ने इटली से आने वाली सीधी उड़ानों पर रोक लगा दी. संक्रमण से सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में एक हजार से ज्यादा लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगा दी गई.
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12 मार्च
देश भर में स्कूलों को बंद कर दिया गया. कैटेलोनिया इलाके में इगुलाडा पहला ऐसा शहर बना जहां लॉकडाउन किया गया. वहां अब सिर्फ तीन हजार केस हैं और 84 लोगों की मौत हुई है.
स्पेन ने 15 दिन के आपातकाल की घोषणा की. सभी तरह की आवाजाही रोक दी गई. सिर्फ खाना और दवाएं खरीदने और काम पर जाने की छूट दी गई. बार, रेस्तरां और गैर जरूरी उत्पाद बेचने वाली दुकानों को बंद कर दिया गया.
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25 मार्च
स्पेन ने कोरोना वायरस से हुई मौतों के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया और मौतों का आंकड़ा 3,434 हो गया. हालांकि मृतकों का आंकड़ा इटली से काफी कम था लेकिन उसमें तेजी से इजाफा हो रहा था.
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23 मार्च
कोरोना वायरस की वजह से लगातार तेजी से बढ़ते संक्रमण की वजह से अस्पतालों में मौजूदा बेड कम पड़ते गए. राजधानी मैड्रिड में आपात अस्पतालों को बनाने की शुरुआत हुई.
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26 और 28 मार्च
लगातार गंभीर होते हालात के बीच स्पेन की सरकार ने आपातकाल को 12 अप्रैल तक बढ़ाने का फैसला किया. लॉकडाउन को सख्त कर दिया गया. अनिवार्य सेवाओं को छोड़कर बाकी सभी कर्मचारियों को घर पर रहने को कहा गया. (रिपोर्ट: एके/रॉयटर्स)
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30 मार्च
संकट की घड़ी में मेडिकल कर्मचारियों के कठिन काम को लोगों की सराहना मिल रही है. वे घरों की बालकनी से तालियां बजाकर उनका हौसला बढ़ा रहे हैं. यहां एक अस्पताल के कर्मी लोगों का समर्थन के लिए शुक्रिया अदा करते हुए.