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कोरोना के सामने क्यों निढाल दिख रहे हैं डॉक्टर

ओंकार सिंह जनौटी
३१ मार्च २०२०

कई देशों में कोरोना वायरस के मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर खुद बेहद डरे हुए हैं. अस्पतालों में दिन रात काम करने वाले मेडिकल स्टाफ को अच्छे से पता है कि ये वायरस क्या कर सकता है. उन्हें भी अपने घर परिवार की चिंता होती है.

Spanien Badalona | Coronavirus | Intensivstation Krankenhaus
तस्वीर: picture-alliance/AP Photos/A. Surinyach

वेंटिलेटर में जिंदगी और मौत से संघर्ष करते मरीजों की देखभाल करने वाले डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ को अच्छे से पता है कि जरा सी चूक होते ही यह घातक बीमारी उन्हें भी अपनी चपेट में ले लेगी. चीन में 3,300, स्पेन में 5,600 और इटली में 5000 से ज्यादा मेडिकल स्टाफ के लोग कोरोना वायरस की चपेट में आ चुके हैं. तीनों ही देशों में 200 से ज्यादा डॉक्टरों, नर्सों, एंबुलेंस ड्राइवरों और टेक्नीशियनों की मौत हो चुकी है. अमेरिका में कोविड-19 की चपेट में आने वाले और इसके चलते मारे जाने वाले मेडिकल स्टाफ की संख्या तेजी से बढ़ रही है.

न्यूयॉर्क की एक सर्जन डॉक्टर कोर्नेलिया ग्रिग्स ने एक टेलीविजन चैनल से बात करते हुए कहा, "ऐसा पहली बार हुआ है जब मुझे काम पर जाने से डर लग रहा है, लेकिन डर के बावजूद हमें जान बचाने के लिए प्रशिक्षित किया गया है और हम यही कर रहे हैं." डॉ. ग्रिग्स कहती हैं, "इससे पहले मैंने और मेरे पति ने कभी वसीयत लिखने की नहीं सोची लेकिन इस सप्ताहांत हमने इसे अपने जरूरी कामों की लिस्ट में डाल दिया."

भारत में डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ की हालत तो और भी चिंताजनक है. देश के कई सरकारी अस्पतालों में मास्क, सर्जरी ग्लव्स और सैनेटाइजरों की कमी महसूस होने लगी है. बिहार के भागलपुर में स्थित जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में 500 से ज्यादा सीनियर और रेजिटेंड डॉक्टर हैं. कुछ ही दिन पहले इस मेडिकल कॉलेज से भेजे गए चार नमूनों में कोविड-19 की पुष्टि हुई. अब यह पूरा अस्पताल एक अभूतपूर्व संकट के सामने निढाल सा दिख रहा है.

सुरक्षा के अभाव में परेशान होते स्वास्थ्यकर्मीतस्वीर: Reuters/F. Lo Scalzo

नाम न बताने की शर्त पर वहां तैनात एक डॉक्टर ने कहा कि, "हर रोज ओपीडी में कई मरीजों की छूकर जांच की जाती है. इनमें से अगर किसी एक को भी कोविड-19 हुआ तो बीमारी पूरे अस्पताल में फैलनी तय है." एक डॉक्टर से दूसरे डॉक्टरों में और मरीजों में और रेजिडेंट डॉक्टरों से हॉस्टलों तक. अस्पताल के डॉक्टर के मुताबिक, कोविड-19 की इस चेन को तोड़ना बहुत ही मुश्किल है.

राजस्थान का भीलवाड़ा जिला इसकी जीती जागती मिसाल है. 25 लाख से ज्यादा की आबादी वाले जिले में एक अस्पताल कोरोना वायरस के फैलाव का केंद्र बना. नई दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भी 17 डॉक्टरों और नर्सों को कोविड-19 के शक के चलते क्वारंटीन कर दिया गया है.

धीरे धीरे ऐसी खबरें भारत के दूसरे हिस्सों से भी आ रही हैं. समाज को जागरुक करने के लिए सोशल मीडिया पर वीडियो डालने वाले डॉक्टर सचिन वर्मा ने बेहद निराशा के साथ लोगों से समझदारी की अपील की. डॉ वर्मा ने कहा, "डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ और वॉर्ड बॉय मास्क और दस्तानों के बिना काम करने पर मजबूर हो रहे हैं. एक बार एक मेडिकल सेक्टर से जुड़े लोग कोरोना वायरस की चपेट में आने लगे तो भारत का कमजोर हेल्थ केयर सिस्टम ध्वस्त हो सकता है."

अमेरिका में बॉस्टन का एक अस्पतालतस्वीर: Imago Images/Zuma/A. Dinner

लोगों द्वारा सैनेटाइजर घरों में स्टोर करने से परेशान नेहरू मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर ने कहा, "घर पर रहने वालों के लिए हाथ धोना, सैनेटाइजर से कहीं ज्यादा कारगर है. अस्पतालों में बार बार हाथ धोने में समय बर्बाद न हो इसीलिए सैनेटाइजर इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन अब हालत यह है कि अस्पतालों में भी सैनेटाइजर खत्म हो रहा है. बाजार में वह उपलब्ध ही नहीं है. अगर कहीं हैं तो वह घरों में है, वो भी बंद किया."

देश के तमाम कोनों से डॉक्टर ऐसी ही चिंताएं व्यक्त कर रहे हैं. मेडिकल कॉलेज में अलग अलग शिफ्टों में आइसोलेशन वॉर्ड, ओपीडी और इमरजेंसी में काम करने वाले कोविड-19 के ख़तरे के आगे निढाल से दिखते हैं. उनके पास एन-95 जैसे रियूजेबल मास्क नहीं हैं. मेडिकल स्टाफ तीन तीन सर्जरी मास्क इस्तेमाल कर कोरोना से बचाव करने की उम्मीद कर रहा है. घर से दूर भागलपुर में रात दिन ड्यूटी कर रहे डॉक्टर के मुताबिक, "ज्यादातर डॉक्टरों के घर वाले हर दो तीन घंटे में फोन करके पूछते हैं कि सब ठीक है?"

इन जोखिम का सामना करते हुए दुनिया में लाखों डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ कोरोना वायरस के मरीजों को बचाने में जुटे हैं. डॉक्टरों की कमी पूरी करने और उम्रदराज मेडिकल स्टाफ को इंफेक्शन से बचाने के लिए जर्मनी समेत कई देशों में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों को हॉस्पिटलों में तैनात किया जा रहा है. सरकारें और डॉक्टर लोगों से हाथ जोड़कर घर के भीतर रहने की अपील कर रहे हैं कि वे जरूरी मेडिकल सामग्री घर पर जमा न करें और खुद घर ही पर रहें. संदेश साफ है, "अगर स्वास्थ्य कर्मचारी ही नहीं बचेंगे तो आप कैसे बचे रहेंगे."

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