पाकिस्तान में लॉकडाउन की ज्यादातर पाबंदियों को हटा लिया गया है. सभी व्यापारिक गतिविधियां बहाल हो गई हैं. लेकिन इस दौरान करोड़ों लोगों को अपनी नौकरी और काम से हाथ धोना पड़ा है.
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पाकिस्तान में कोविड-19 महामारी शुरू होने के बाद सरकार ने देश के ज्यादातर हिस्सों में आंशिक रूप से लॉकडाउन लगाया था. सभी व्यापारिक और सार्वजनिक स्थलों को बंद कर दिया गया. लेकिन मई से लॉकडाउन में ढील देनी शुरू की गई और जुलाई के आखिर तक लॉकडाउन को लगभग पूरी तरह हटा लिया गया.
बुधवार तक पाकिस्तान में कोरोना वायरस के 2.90 लाख केस सामने आए जबकि इसकी वजह से छह हजार लोग मारे गए हैं. स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार कोरोना वायरस के मामलों में कमी की वजह टेस्ट में कमी है.
अब प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार के सामने देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की चुनौती है. महीनों तक आर्थिक गतिविधियां ठप रहने की वजह से लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं. अनौपचारिक सेक्टर में काम करने वाले लोगों पर इस महामारी की सबसे ज्यादा मार पड़ी है.
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कोरोना वायरस ने क्या क्या टलवा दिया
102 दिनों तक कोरोना वायरस के प्रसार से मुक्त रहने के बाद न्यूजीलैंड में अचानक महामारी के फिर से शुरू हो जाने की वजह से आम चुनावों को आगे बढ़ा दिया गया है. जानिए और कौन से चुनाव और दूसरे कार्यक्रम कोविड-19 की वजह से टल गए.
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चुनाव
न्यूजीलैंड के अलावा और भी कई देशों में चुनाव आगे बढ़ा दिए गए हैं. इनमें बोलिविया में आम चुनाव, इथियोपिया में संसदीय चुनाव, ईरान में संसदीय चुनाव और सोमालिया में संसदीय चुनाव शामिल हैं.
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ओलंपिक्स
2020 के ओलंपिक खेल 24 जुलाई से नौ अगस्त 2020 के बीच जापान की राजधानी टोक्यो में होने थे. नई तारीख के अनुसार अब खेल टोक्यो में ही 2021 में होंगे, लेकिन उन्हें टोक्यो 2020 ही कहा जाएगा. यह पहली बार है जब ओलंपिक खेलों को आगे बढ़ाया गया है.
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ग्रैंड स्लैम
टेनिस के चार बड़े कार्यक्रमों में से दो कोरोना वायरस की वजह से प्रभावित हुए हैं. विंबलडन का आयोजन 29 जून से 12 जुलाई के बीच होना था, लेकिन अप्रैल में इसके रद्द होने की घोषणा कर दी गई. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यह पहली बार है जब विंबलडन रद्द हुआ है. फ्रेंच ओपन का आयोजन 24 मई से सात जून तक होना था, लेकिन महामारी की वजह से इसे आगे बढ़ा दिया गया था. अब इसका आयोजन 27 सितंबर से 11 अक्टूबर तक होना है.
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फुटबॉल
टेनिस की तरह फुटबॉल जगत में भी लोकप्रिय मैचों पर कोविड-19 का असर पड़ा है. इंग्लिश प्रीमियर लीग को आठ अगस्त से आगे बढ़ा कर 12 सितंबर के लिए निर्धारित कर दिया गया है. दूसरी प्रतियोगिताओं का भी यही हाल है. स्थानीय मैच अभी भी हो रहे हैं लेकिन अधिकांश जगहों पर स्टेडियम में दर्शकों का जाना मना है. क्रिकेट मैच भी बिना दर्शकों के ही हो रहे हैं.
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विज्ञान
मीडिया में आई खबरों के अनुसार भारत के पहले मानवरहित अंतरिक्ष मिशन गगनयान की शुरुआत में कोरोना वायरस की असर से देर होने की संभावना है. मिशन के पहले चरण की शुरुआत दिसंबर 2020 के लिए ही निर्धारित थी, लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि शायद यह संभव ना हो पाए.
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मनोरंजन
मनोरंजन जगत के कार्यक्रमों पर भी महामारी का असर पड़ा है. यूरोप की लोकप्रिय संगीत प्रतियोगिता यूरो विजन 2020 का आयोजन नीदरलैंड्स में मई में होना था. लेकिन इस साल इस प्रतियोगिता के 64 सालों के इतिहास में पहली बार इसे रद्द कर दिया गया है.
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ब्यूटी पैजंट्स
मिस वर्ल्ड और मिस यूनिवर्स जैसी सौंदर्य प्रतियोगिताएं भी महामारी की भेट चढ़ गई हैं. जहां मिस वर्ल्ड और मिस इंटरनेशनल 2020 के लिए रद्द ही कर दी गई हैं, मिस एशिया पैसिफिक को अनिश्चितकाल काल के लिए आगे बढ़ा दिया गया है और मिस यूनिवर्स की अगली तारीख की अभी तक घोषणा नहीं की गई है.
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आर्थिक महामारी
सिंध प्रांत के एक गांव से संबंध रखने वाले 27 साल के अवैस अहमद साल भर पहले देश की आर्थिक राजधानी कराची पहुंचे. उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा कि कोरोना वायरस फैलने से पहले वह हर महीने 27 हजार रुपये कमा रहे थे, जिससे वह खुद, अपनी पत्नी और बच्चे का पेट आराम से भर पा रहे थे.
अहमद कहते हैं, "महामारी ने सब कुछ बदल दिया. मैं एक गारमेंट फैक्ट्री में काम कर रहा था. लेकिन 27 मार्च को मालिक ने लॉकडाउन की वजह से मुझे और 700 अन्य कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया. तब से मेरी आर्थिक हालत लगातार खराब हो रही है. दोस्तों और रिश्तेदारों से उधार लेना पड़ा है." वह कहते हैं, "आखिरकार मुझे गांव लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा. सरकार ने कोई मदद नहीं दी. अब लारकाना शहर में घर बनाने वाले मिस्त्री के साथ मजदूर के तौर पर काम करता हूं. लेकिन नियमित तौर पर काम नहीं मिलता."
पेट भरने के लिए मगरमच्छों को आना पड़ा यूट्यूब पर
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वहीं 42 साल की अंबर शाहिद टेलीकम्युनिकेशन कंपनी में काम करती थी. उनकी नौकरी भी महामारी के कारण चली गई. वह बताती हैं, "फरवरी में मेरे साथ सैकड़ों अन्य कर्मचारियों को बिना नोटिस निकाल दिया गया. तब से मेरे पास कोई नौकरी नहीं है. आर्थिक तौर पर बहुत दिक्कतें हो रही हैं. कर्मचारियों को नहीं निकालने के सरकारी आदेश के बावजूद महामारी के दौरान हजारों लोगो को निकाला गया है."
कराची में एक ट्रेड यूनियन से जुड़े नासिर मंसूर कहते हैं कि फैक्ट्री मालिकों ने सरकार से कम ब्याज पर लोन लिए हैं, लेकिन कर्मचारियों को सहारा देने की बजाय वे उन्हें बिना नोटिस निकाल रहे हैं. वह बताते हैं, "अनौपचारिक सेक्टर में काम करने वाले बहुत से लोगों को सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिली है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सरकार कर्मचारियों को निकालने वाले फैक्ट्री मालिकों के खिलाफ कोई कदम नहीं उठा रही है."
वहीं सरकार का दावा है कि वह मजदूरों की मदद करने की अपनी तरफ से भरपूर कोशिश कर रही है. सत्ताधारी पार्टी के एक सांसद मोहम्मद इकबाल खान कहते हैं, "हमने लगभग दस लाख मजदूरों को नकद राशि दी है. हमने विरोध के बावजूद भवन निर्माण क्षेत्र को खोल दिया है और अब चीजों को आसान बनाने के लिए औद्योगिक और व्यापारिक सेक्टर को भी पूरी तरह खोला जा रहा है. मुझे लगता है कि आने वाले महीनों में हालात बेहतर होंगे और अर्थव्यवस्था वापस पटरी पर लौटेगी."
ये भी पढ़िए: कोरोना वायरस के बारे में अब तक क्या क्या पता है?
कोरोना वायरस के बारे में अब तक क्या क्या पता है?
कोरोना महामारी की शुरुआत हुए आधा साल बीत चुका है. पिछले छह महीनों से वैज्ञानिक इस नए वायरस को समझने में लगे हुए हैं. जानिए कहां तक पहुंची है रिसर्च.
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कहां से हुई शुरुआत?
सोशल मीडिया पर वायरस के फैलाव को ले कर कई किस्से कहानी फैले लेकिन आज तक ठीक तरह से इस बात का पता नहीं चल सका है कि शुरुआत कहां से हुई. चीन के एक मीट बाजार की बात हुई. लेकिन जानवर से इंसान में संक्रमण का पहला मामला कौन सा था, यह आज भी रहस्य ही बना हुआ है.
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कैसा दिखता है वायरस?
चीनी वैज्ञानिकों ने रिकॉर्ड समय में इस नए कोरोना वायरस के जेनेटिक ढांचे का पता लगा लिया था. 21 जनवरी को उन्होंने इसे प्रकाशित किया और तीन दिन बाद विस्तृत जानकारी भी दी. इसी के आधार पर दुनिया भर में वायरस को मारने के लिए टीके बनाने की मुहिम शुरू हुई.
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क्या होगा वैक्सीन में?
सार्स कोव-2 वायरस की सतह पर एस-2 नाम के प्रोटीन होते हैं. यही इंसानी कोशिकाओं से जुड़ जाते हैं और संक्रमित व्यक्ति को बीमार करने के लिए जिम्मेदार होते हैं. वैक्सीन का काम इस प्रोटीन को निष्क्रिय करना या किसी तरह ब्लॉक करना होगा.
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एयर कंडीशनर से संक्रमण
शुरुआत में कहा गया था कि संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने से या फिर संक्रमित सतह को छूने से ही यह वायरस फैलता है. लेकिन अब पता चला है कि फ्लू के वायरस की तरह यह भी हवा से फैल सकता है, खास कर वहां, जहां एसी का इस्तेमाल हो रहा हो.
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भीड़ का खतरा
किसी बंद जगह में बड़ी संख्या में लोगों की उपस्तिथि खतरे की घंटी है. इसीलिए दुनिया के लगभग हर देश ने लॉकडाउन का सहारा लिया. अभी भी ज्यादातर देशों में सिनेमा हॉल, ट्रेड फेयर और बड़े इवेंट बंद हैं.
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मास्क का इस्तेमाल
विश्व स्वास्थ्य संगठन शुरू में संक्रमण पर काबू पाने के लिए मास्क के इस्तेमाल से इनकार करता रहा. लेकिन देशों ने उसके खिलाफ जा कर सार्वजनिक जगहों पर मास्क पहनना अनिवार्य किया. हालांकि अधिकतर मामलों में देखा जा रहा है कि लोग मास्क का सही इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं.
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बचने का यही तरीका
दो अहम बातें जो शुरू से कही जा रही हैं और जिन पर अब भी कोई दो राय नहीं हैं, वे हैं - साबुन से अच्छी तरह हाथ धोना और सोशल डिस्टेंसिंग. हालांकि लॉकडाउन खुलने के बाद से सोशल डिस्टेंसिंग को ले कर संजीदगी भी कम हुई है.
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जानवरों से खतरा नहीं
हो सकता है कि आपका पालतू जानवर किसी तरह संक्रमित हो गया हो लेकिन अब तक हुए शोध दिखाते हैं कि इंसानों को उनसे कोई खतरा नहीं है. हालांकि इस दिशा में अभी और शोध चल रहे हैं.
महिलाओं की तुलना में पुरुषों को खतरा ज्यादा है. ए ब्लड ग्रुप के लोगों पर इसका ज्यादा असर होता है. पहले से बीमार लोगों का शरीर वायरस का ठीक से सामना नहीं कर पाता. मधुमेह, कैंसर और हृदय रोगियों को ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है.
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इम्यूनिटी बढ़ाएं
अब तक हुए सभी शोध इसी ओर इशारा करते हैं कि अगर आपका इम्यून सिस्टम मजबूत है, तो आप वायरस के असर से बच सकते हैं. यही वजह है कि बाजार में तरह तरह के इम्यूनिटी बूस्टर बिकने लगे हैं.
संक्रमण के बाद फिट हो जाने वाले व्यक्ति के खून में वायरस से लड़ने वाली एंटीबॉडी बनी रहती हैं. कुछ देशों में डॉक्टर इन एंटीबॉडी का इस्तेमाल मरीजों को ठीक करने के लिए कर रहे हैं. लेकिन कोरोना काल में लोग खून डोनेट करने से भी डर रहे हैं.
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आईसीयू में क्या होता है?
यूरोप में जब यह वायरस फैला तो डॉक्टर जल्द से जल्द मरीजों पर वेंटिलेटर इस्तेमाल करने लगे. लेकिन अब बताया जा रहा है कि वेंटिलेटर का इस्तेमाल फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है. ऐसे में अब आईसीयू केवल ऑक्सीजन लगाने पर जोर दे रहे हैं.
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आईसीयू से निकलने के बाद
जहां पहले सिर्फ फेफड़ों पर ध्यान दिया जा रहा था, वहां अब मरीज के आईसीयू से निकलने के बाद बाकी के अंगों की भी जांच की जा रही है क्योंकि कई मामलों में इस वायरस को अंगों के नाकाम होने के लिए जिम्मेदार पाया गया है.
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डायलिसिस की जरूरत
यदि किडनी पर असर हुआ हो, तो डायलिसिस की जरूरत बन जाती है. कोलकाता में एक डॉक्टर मात्र 50 रुपये में लोगों का डायलिसिस कर रहा है. आम तौर पर इसके लिए बड़ा खर्च आता है.
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कौनसी दवा करती है असर?
अब तक इस वायरस से निपटने का कोई रामबाण इलाज नहीं मिला है. डॉक्टर कुछ दवाओं का इस्तेमाल जरूर कर रहे हैं लेकिन ये सभी दवाएं लक्षणों पर असर करती हैं, बीमारी पर नहीं. रेमदेसिविर इस मामले में काफी चर्चित दवा है.
तस्वीर: Reuters/A. Abdallah Dalsh
कब आएगी वैक्सीन?
कुछ लोगों का कहना है कि इस साल के अंत तक टीका बाजार में आ जाएगा, तो कुछ अगले साल की शुरुआत की बात कर रहे हैं. लेकिन टीके आम तौर पर इतनी जल्दी तैयार नहीं होते. और अगर बन भी जाए, तो पूरी आबादी तक उन्हें पहुंचाने में भी वक्त लग जाएगा.
तस्वीर: Eijkman Institute
कैसी है तैयारी?
फिलहाल अलग अलग देशों में 160 वैक्सीन प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है. टीबी की वैक्सीन को बेहतर बना कर इस्तेमाल लायक बनाने की कोशिश भी चल रही है. भारत के सीरम इंस्टीइट्यूट ने प्रोडक्शन की तैयारी कर ली है. इंतजार है तो सही फॉर्मूला मिल जाने का.
तस्वीर: Eijkman Institute
इंसानों पर टेस्ट का मतलब?
जून 2020 के अंत तक पांच टीकों का ह्यूमन ट्रायल हो चुका है. इंसानों पर टेस्ट का मकसद होता है यह पता करना कि इस तरह के टीके का इंसानों पर कोई बुरा असर तो नहीं होगा. हालांकि यह असर दिखने में भी काफी लंबा समय लग सकता है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/University of Oxford
हर्ड इम्यूनिटी कब मिलेगी?
जब आबादी के एक बड़े हिस्से को किसी बीमारी से इम्यूनिटी मिल जाती है, तो उसके फैलने का खतरा बहुत कम हो जाता है. जून के अंत तक दुनिया के एक करोड़ लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके थे. लेकिन 7.8 अरब की आबादी में एक करोड़ हर्ड इम्यूनिटी बनाने के लिए काफी नहीं है. रिपोर्ट: फाबियान श्मिट/आईबी
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गिरावट का अंदेशा
पाकिस्तानी सरकार की तरफ से 2.3 प्रतिशत जीडीपी विकास दर के अनुमान के विपरीत विश्व बैंक ने 2020-21 के लिए जीडीपी में एक प्रतिशत की गिरावट का अंदेशा जाहिर किया है.
जाने-माने पाकिस्तानी उद्योगपति और संसद की वित्तीय समिति के सदस्य कैसर अहमद शेख कहते हैं, "मुझे सुधार की कोई गुंजाइश नहीं दिखती." उनके मुताबिक विश्व अर्थव्यवस्था भी कोरोना वायरस के कारण मंदी झेल रही है. वह कहते हैं, "हमें कोरोना वायरस की वैक्सीन आने और दुनिया भर में आर्थिक गतिविधियां बहाल होने का इंतजार करना चाहिए."
पूर्व वित्त मंत्री और फिलहाल पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री के वित्तीय सलाहकार सलमान शाह कहते हैं कि कोरोना महामारी के कारण दो करोड़ से ज्यादा लोगों को नौकरियां गंवानी पड़ी हैं. उनका मानना है, "जीडीपी का सिर्फ 2.5 प्रतिशत कामगारों को सामाजिक सुरक्षा मुहैया कराने पर खर्च किय जा रहा है. इसे बढ़ाकर कम से कम 10 प्रतिशत किया जाना चाहिए. हम इसे बढ़ाना चाहते हैं लेकिन अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की कड़ी शर्तें हमें ऐसा नहीं करने दे रही हैं."
मई में योजना और विकास मंत्री असद उमर ने कहा था कि पाकिस्तान में कोरोना महामारी की वजह से 1.8 करोड़ लोगों को नौकरियां खोनी पड़ सकती हैं जबकि दो से सात करोड़ इस साल गरीबी रेखा के नीचे जा सकते हैं.