भारत में पहली बार एक दिन में एक लाख से ज्यादा कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले दर्ज किए गए हैं. कई राज्यों में स्थिति गंभीर है. महाराष्ट्र में सप्ताहांत पर तालाबंदी लागू की जाएगी.
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रविवार चार अप्रैल को देश में कुल 1,03,558 मामले दर्ज किए गए. देश में महामारी की शुरुआत के बाद पहली बार एक दिन में इतने ज्यादा मामले दर्ज किए हैं. इसके पहले 16 सितंबर को 97,894 मामले दर्ज किए गए थे, लेकिन उसके बाद मामलों में गिरावट देखने को मिली थी. ताजा मामलों में लगभग आधे (57,700) अकेले महाराष्ट्र में दर्ज किए गए. राज्य सरकार ने स्थिति से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं.
शनिवार और रविवार को पूरी तरह से तालाबंदी लागू कर दी गई है, बाकी दिनों के लिए भी रात में कर्फ्यू लगा दिया गया है, एक स्थान पर पांच लोगों से ज्यादा के इकठ्ठा होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. महाराष्ट्र के कई इलाकों से एक बार फिर प्रवासी श्रमिकों के अपने अपने गांवों की तरफ लौट जाने की भी खबरें भी आ रही हैं.
महाराष्ट्र के अलावा दिल्ली, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश में भी हालात चिंताजनक हैं. जानकारों का कहना है कि संक्रमण की यह लहर पिछली बार से ज्यादा चिंताजनक है क्योंकि इस बार संक्रमण ज्यादा तेजी से फैल रहा है. केंद्र सरकार का मानना है कि मामलों में हो रही यह बढ़ोतरी मास्कों के इस्तेमाल में कमी और सामाजिक दूरी बरतने में कोताही की वजह से है.
कोरोना वायरस का एक पुतला जिसे हाल ही में मुंबई में होली पर होलिका दहन के दौरान जलाया गया.तस्वीर: Rajanish Kakade/AP/picture alliance
सरकार ने एक बयान में कहा है कि लोग महामारी से उक्ता भी गए हैं और जहां जहां ज्यादा मामले आ रहे हैं वहां स्थानीय प्रशासन की तरफ से रोकथाम के कदम उठाए जाने में भी कमी दिखाई दे रही है. संक्रमण के मामलों में यह उछाल ऐसे समय पर देखने को मिला रहा है जब चार राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में विधान सभा चुनाव चल रहे हैं.
पश्चिम बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में सभी पार्टियां और उनके प्रत्याशी रोज चुनावी रैलियां कर रहे हैं, जिनमें भारी भीड़ देखी जा रही है. इसी बीच टीकाकरण कार्यक्रम भी धीमी गति से चल रहा है. अब देश में 45 वर्ष से ऊपर की उम्र के सभी लोगों को टीका लगवाने की अनुमति दे दी गई है, लेकिन उतने लोग टीका लगवाने के लिए आगे आ नहीं रहे हैं जितनी सरकार को उम्मीद थी.
कोरोना के कारण क्या खत्म होते जा रही हाथ मिलाने की परंपरा
दुनियाभर में लोग हाथ मिलाकर अभिवादन करते हैं. यह परंपरा हजारों साल पुरानी है. लेकिन कोरोना के कारण लोग पिछले एक साल से हाथ नहीं मिला रहे हैं. यहां जानिए, हाथ मिलाने से जुड़ी कुछ रोचक बातें.
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हजारों साल पुराना चलन
कई हजार सालों से हाथ मिलाने का चलन रहा है, लेकिन अब लोग हाथ मिलाने से बच रहे हैं. पांच से चार शताब्दी ईसा पूर्व के समय में यूनानी अंत्येष्टि कलाओं में भी हाथ मिलाने के प्रतीक मिलते हैं. प्राचीन मिस्र और मेसोपोटामिया के कला में भी हाथ मिलाने का जिक्र है.
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हाथ मिलाने का विकल्प
लोग संक्रमण को दूर रखने के लिए हाथ मिलाने की जगह मुट्ठी मिलाते हैं या फिर दूर से ही अभिवादन करते हैं या कोहनी टकराते हैं.
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नमस्ते
भारत में लोग अभिवादन के लिए हाथ जोड़कर नमस्ते करते आए हैं. विश्व भर में यह तरीका अब और लोकप्रिय हो गया है. देशों के प्रमुख भी नमस्ते करना पसंद करते हैं.
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कोहनी से कोहनी
कोरोना काल में नेता और राजनयिक ऑनलाइन ही बैठकें ज्यादा कर रहे हैं अगर वे दौरे पर जा भी रहे हैं तो एक खास दूरी बनाए रहते हैं. वे अभिवादन के लिए कोहनी भी टकराते हैं.
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फुटशेक
हैंडशेक तो आपने सुना है, अब युवाओं के बीच फुटशेक भी काफी लोकप्रिय हो चुका है. युवा अपने पैर को दोस्त या साथी के पैर से टकराते हैं. नेताओं ने भी इसको अपना लिया है.
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राजनीतिक मुलाकात
नेताओं ने अपने दौरे के दौरान हाथ मिलाना बिलकुल ही छोड़ ही दिया है, वे अब समझौतों और बैठकों में हाथ मिलाने का विकल्प अपनाते हैं. बड़े-बड़े समझौते बिना हाथ मिलाए ही हो रहे हैं.
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संपर्क की मुद्रा
जानकार कहते हैं कि हाथ मिलाना लोगों के बीच संबंध बनाने की एक मुद्रा है. हाथ मिलाने से स्पर्श और भरोसे का एहसास भी होता है. लेकिन दुनिया को अब तक समझ नहीं आया है कि दोबारा वह कब हाथ मिला पाएगी.
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हाथ मिलाने के अन्य विकल्प क्या हैं?
अगर आप हाथ नहीं मिलाना चाहते हैं तो आप अपने सामने वाले के सामने थोड़ा झुककर अभिवादन कर सकते हैं, मुस्कुरा सकते हैं या फिर नमस्ते भी कर सकते हैं. दिल पर हाथ रखकर भी अभिवादन कर सकते हैं या फिर आसान तरीके से सलाम भी कर सकते हैं.
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हाथ नहीं मिलाने से संक्रमण होता दूर
हाथ नहीं मिलाने से संक्रमण की चेन टूट सकती है और संक्रमण के खतरे को कम किया जा सकता है.
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बच्चे ज्यादा क्रिएटिव
इस तस्वीर में नॉर्वे की प्रधानमंत्री एरना सोलबर्ग एक क्लासरूम में बच्चों के साथ अभिवादन के तरीके सीख रही हैं. यह तस्वीर पिछले साल की है जब वे एक स्कूल के दौरे पर गईं थीं.