कोरोना: भारत में छह लाख से ज्यादा हुए संक्रमण के मामले
चारु कार्तिकेय
२ जुलाई २०२०
भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले बढ़कर 6,04,641 हो गए हैं. पिछले 24 घंटों में 19,000 से भी ज्यादा नए मामले सामने आए. सबसे ज्यादा मामलों वाले देशों की अंतरराष्ट्रीय सूची में भारत अब रूस से सिर्फ 50,000 मामले पीछे है.
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भारत में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामले छह लाख का आंकड़ा पार कर गए हैं. पिछले 24 घंटों में 19,000 से भी ज्यादा नए मामले सामने आए. पिछले कुछ दिनों में रोज आने वाले नए मामले 19,000 से कम हो गए थे, लेकिन बुधवार को इनमें फिर उछाल आया.
इस वक्त पूरे देश में सक्रिय मामलों की संख्या 2,26,947 है. मरने वालों की कुल संख्या 17,834 हो चुकी है. सबसे ज्यादा मामलों वाले देशों की अंतरराष्ट्रीय सूची में भारत अब रूस से सिर्फ 50,000 मामले पीछे है.
भारत में मरने वालों की संख्या में गिरावट दर्ज हुई है. पिछले 24 घंटों में 434 लोगों की जान चली गई, जबकि एक दिन पहले 534 लोगों की जान गई थी.
अच्छी बात यह है कि देश में अब रोजाना पहले से कहीं ज्यादा टेस्ट किए जा रहे हैं. पिछले 24 घंटों में 2,29,588 सैंपलों की जांच हुई, जिससे अभी तक किए गए टेस्ट की कुल संख्या बढ़ कर 90,56,173 हो गई है. हालांकि केंद्र सरकार ने कहा है कि निजी लैब की टेस्ट करने की पूरी क्षमता का उपयोग अभी भी नहीं हो पा रहा है. केंद्र ने राज्य सरकारों से इस तरफ ध्यान देने के लिए कहा है, ताकि टेस्ट की संख्या और बढ़ाई जा सके. साथ ही राज्यों को कांटेक्ट ट्रेसिंग के प्रयासों को भी बढ़ाने के लिए कहा गया है.
राज्यों की हालत पर नजर डालें तो 1,80,298 कुल मामलों के साथ महाराष्ट्र में अब भी स्थिति सबसे गंभीर बनी हुई है. राज्य में पिछले 24 घंटों में 5,537 नए मामले सामने आए जो इन आंकड़ों में एक नया उछाल है.
कुल 94,049 मामलों के साथ तमिलनाडु दूसरे नंबर पर है. विशेषज्ञों का कहना है कि राजधानी चेन्नई से भी ज्यादा चिंताजनक स्थिति दूसरे जिलों में है जहां संक्रमण तेजी से फैल रहा है. कुल 89,802 मामलों के साथ दिल्ली तीसरे नंबर पर है. दिल्ली में पिछले कुछ दिनों में कोविड-19 प्रबंधन नीति में कई बदलाव किए गए जिसकी वजह से नए मामलों में कमी आई है.
गुजरात की स्थिति भी चिंताजनक है. राज्य में पिछले 24 घंटों में 675 नए मामले सामने आए, जो पिछले एक हफ्ते में दर्ज की गई सबसे बड़ा उछाल है. गुजरात में मामले लगातार बढ़ रहे हैं.
अमेरिका ने खरीद ली सारी दवा
सबसे ज्यादा गंभीर स्थिति वाले देश अमेरिका में पिछले 24 घंटों में 50,000 से भी ज्यादा नए मामले सामने आए और इसके साथ साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी कि महामारी विश्व में अब पहले से भी ज्यादा तेजी से फैल रही है. इसी बीच विशेषज्ञों ने अमेरिका द्वारा दुनिया भर में रेमदेसिविर दवा के लगभग 92 प्रतिशत स्टॉक को खरीद लेने की आलोचना की है. ब्रिटेन और जर्मनी ने कहा है कि उनके पास पहले से ही पर्याप्त स्टॉक है.
यह तो आप जानते ही हैं कि एक ही परिवार के सदस्यों का ब्लड ग्रुप अलग-अलग हो सकता है. लेकिन क्या आपको पता है कि किस ब्लड ग्रुप वालों को कोरोना वायरस से ज्यादा खतरा हो सकता है और किसे कम.
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कितने तरह के ब्लड ग्रुप
कुल चार तरह के ब्लड ग्रुप होते हैं. किसी व्यक्ति की लाल रक्त कोशिकाओं में पाए जाने वाले प्रोटीन कंपाउंड ’ए’ और ‘बी’ एंटीजेन के आधार पर इनका नामकरण किया जाता है. जिनमें केवल ए या बी पाया जाता है उनका ब्लड ग्रुप ‘ए’ या ‘बी’ कहलाता है. इसी तरह जिनमें दोनों पाए जाते हैं उन्हें ‘एबी’ और जिसमें दोनों नहीं पाए जाते हैं, उन्हें ‘ओ’ कहा जाता है.
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इम्युनिटी में होता है अंतर
इम्युनिटी यानि बीमारियों से लड़ने की क्षमता किसी ब्लड ग्रुप में दूसरों से कम या ज्यादा हो सकती है. रिसर्चर बताते हैं कि खून चढ़ाने पर कुछ ब्लड ग्रुप दूसरों के मुकाबले ज्यादा कड़ी प्रतिक्रिया भी दे सकते हैं. इसके अलावा एक और कारक होता है जिसे ‘रीसेस फैक्टर’ कहते हैं - जो कि कुछ लोगों में पाया जाता है जबकि कुछ में नहीं.
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कोविड-19 से कैसा संबंध
कुछ लोगों में कोरोना का संक्रमण होने पर बहुत गंभीर प्रतिक्रिया होती है तो वहीं कुछ लोगों को पता तक नहीं चलता, जिन्हें एसिम्टमैटिक कहा जा रहा है. नई रिसर्च दिखा रही है कि लोगों के ब्लड ग्रुप का इस तरह की प्रतिक्रिया से संबंध हो सकता है. इससे तय होता है कि किसी व्यक्ति की इम्यून प्रतिक्रिया कितनी कमजोर या मजबूत होगी.
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ब्लड ग्रुप और कोरोना पर शोध
जर्मनी और नॉर्वे के रिसर्चरों ने कोरोना के साथ अलग अलग रक्त समूहों के संबंध का अध्ययन किया. इनकी खोज को ‘न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन’ में प्रकाशित किया गया. उन्होंने इटली और स्पेन के 1,610 मरीजों का अध्ययन किया, जिनमें कोविड-19 के कारण सांस लेने का तंत्र फेल हो गया था. ये गंभीर मामले से थे जिनमें से कई की जान चली गई.
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ब्लड ग्रुप ‘ए’ सबसे आगे
पता चला है कि ‘ए’ ब्लड ग्रुप वालों को कोरोना से गंभीर रूप से प्रभावित होने का खतरा सबसे ज्यादा है. कोविड-19 से संक्रमित होने पर इनको ऑक्सीजन देने या वेंटिलेटर पर रखने की जरूरत पड़ने की संभावना ‘ओ’ ग्रुप वाले से दोगुनी होती है. जर्मनी में 43 प्रतिशत लोगों का ब्लड ग्रुप ए है जबकि ‘ओ’ ग्रुप वाले 41 प्रतिशत लोग हैं.
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क्या ‘ओ’ वाले कोरोना से सुरक्षित हैं
अब तक सामने आए मामलों को देखकर कहा जा सकता है कि ओ वाले काफी खुशकिस्मत हैं. ऐसा नहीं है कि वे कोरोना पॉजिटिव नहीं होंगे लेकिन स्टडी से पता चलता है कि संक्रमण होने के बावजूद उनमें इसके गंभीर लक्षण नहीं दिखे. ओ ग्रुप वाले यूनिवर्सल डोनर भी होते हैं यानि जरूरत पड़ने पर उनका खून किसी को भी चढ़ाया जा सकता है.
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‘बी’ और ‘एबी’ को कितना खतरा
इन दोनों ब्लड ग्रुप के लोग अपेक्षाकृत कम ही होते हैं. इनमें कोरोना होने पर हालत गंभीर होने का खतरा भी मध्यम रेंज में ही होता है. मलेरिया जैसी बीमारी का भी ब्लड ग्रुप के साथ संबंध स्थापित किया जा चुका है. कोरोना की ही तरह ‘ओ’ वालों को मलेरिया से बहुत खतरा नहीं होता. ‘ए’ ग्रुप वालों को प्लेग का खतरा भी कम होता है.