स्पेन में कोरोना वायरस ने बीते 24 घंटे में फिर 849 लोगों की जान ली है. देश का मेडिकल स्टाफ इलाज में व्यस्त है और दूसरे विभागों के अधिकारी नए मुर्दाघर बनाने में.
विज्ञापन
कोरोना इमरजेंसी के बाद यह पहला मौका है जब स्पेन में एक दिन में इतनी जानें गई हैं. इटली के बाद स्पेन में भी मृतकों की संख्या 10 हजार के पार जाती दिख रही है. मंगलवार का दिन स्पेन के लिए बड़ी मायूसी लेकर आया. 24 घटों के भीतर देश में कोरोना वायरस के कुल मामले 94 हजार से ज्यादा हो गए और मृतकों की संख्या भी 8,189 हो गई. 849 लोग तो सोमवार से मंगलवार के बीच मारे गए.
कोविड-19 के कारण सबसे ज्यादा जानें इटली (11,591) और स्पेन में ही गई हैं. स्पेन में अब भी 5,600 से ज्यादा लोग आईसीयू में भर्ती हैं. करीब 20,000 लोग कोरोना वायरस से रिकवर हो चुके हैं.
एक ओर तो कोरोना वायरस पर काबू पाने की कोशिश और मरीजों का इलाज चल रहा है तो दूसरी ओर स्पैनिश प्रशासन देश में नए मुर्दाघर घर बना रहा है. स्थानीय मीडिया के मुताबिक राजधानी मैड्रिड की डगनट बिल्डिंग को भी अब अस्थायी मुर्दाघर में तब्दील किया जा रहा है. बीते हफ्ते मैड्रिड के आइस स्केटिंग हॉल को भी मॉरच्यूरी में बदला गया था.
स्पेन के हेल्थ इमरजेंसी चीफ फर्नांडो सिमोन का कहना है कि देश के कुछ इलाकों में महामारी अपने चरम पर पहुंचने जा रही है. लेकिन इंटेसिव केयर बेडों की कमी एक बड़ी मुसीबत बनी हुई है. अस्पतालों के आईसीयू में बेड से कई गुना ज्यादा रोगी हैं. इमरजेंसी प्रबंधन में लगे फर्नांडो सिमोन खुद कोरोना वायरस की चपेट में आ चुके हैं. सोमवार को उनमें कोविड-19 की पुष्टि हुई.
गुजरे सप्ताहांत स्पेन के प्रधानमंत्री पेद्रो सांचेज ने देश में आपातकाल को दो हफ्ते और बढ़ाने का एलान किया. 4.3 करोड़ की आबादी वाला स्पेन बीते एक महीने से कोरोना वायरस से बुरी तरह जूझ रहा है. देश में कोरोना वायरस का पहला मामला 31 जनवरी को आया. अब दो महीने बाद यह संख्या एक लाख तक पहुंचती दिख रही है.
सन 2008 के विश्व आर्थिक संकट के दौरान बैंक और उनका काम केंद्र में था. जानिए कोविड-19 के साये में कौन से पेशे सबसे अहम बन कर उभरे हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/H. Schmidt
सबसे अहम काम करने वाले
इनके लिए एक नाम है "सिस्टेमिकली इंपॉर्टेंट" - ऐसी वित्तीय कंपनियां जो व्यवस्था को चलाने के लिए जरूरी हैं. बड़े बैंक और वित्तीय संस्थाएं 2008 में सबसे महत्वपूर्ण बन कर उभरे. बैंकों से शुरु हुए वित्तीय संकट ने पूरे विश्व को प्रभावित किया. तब से बैंकों और बैंकरों को एक तरह के सुरक्षा कवच में रख लिया गया ताकि उन पर ऐसी नौबत फिर ना आए.
तस्वीर: Carl Court/AFP/GettyImages
हर हाल में जिम्मेदारी उठाने वाले
वित्तीय संकट की जड़ भी खुद बड़े बैंकर ही थे. लेकिन उनकी गैरजिम्मेदाराना कदमों के कारण आई मुसीबत का मुकाबला करने के काम में कैशियर, नर्स, लैब टेकनीशियन से लेकर बस ड्राइवर तक को जुटना पड़ा. अब कोविड-19 के संक्रमण काल में इन सब पेशों से जुड़े लोग "सिस्टेमिकली इंपॉर्टेंट" हो गए हैं. इन्हीं पर सारी जरूरी चीजें चलाने की जिम्मेदारी आ पड़ी है जबकि ये संकट इनका पैदा किया नहीं है.
तस्वीर: picture-alliance/Photoshot/J. Villegas
काम अहम मगर कमाई इतनी कम
दुकान चलाने वाले या नर्स का काम करने वाले हर दिन अपने काम के दौरान संक्रमित होने का भारी खतरा उठा रहे हैं. लेकिन उन्हें काम करते जाना है क्योंकि वे काम नहीं करेंगे तो किराया भरने के पैसे तक नहीं होंगे. जर्मनी में एक नर्स का औसत सालाना वेतन करीब 38,554 यूरो होता है.
तस्वीर: Imago Images/epd/H. Lyding
ऐसी होनी चाहिए कंपनी कार
कौन सा हाई फाई बैंकर कोई सस्ती कार चलाता होगा. 50,000 यूरो से कम की कार में तो वे बैठते भी नहीं. वहीं पेशे से ट्रक या बस चलाने वालों को देखें तो उनकी दुनिया के अलग ही नियम हैं. वे भले ही लाखों की गाड़ी चलाते हों लेकिन उनकी औसत सालाना कमाई केवल 29,616 यूरो होती है.
तस्वीर: DW/Jelena Djukic Pejic
इस पेशे की सही कदर नहीं
कुछ लोगों के ना होने पर ही उनकी कीमत का अंदाजा होता है. फिलहाल जर्मनी में किंडरगार्टेन बंद हैं और उनकी टीचरों को घर बैठना पड़ रहा है. वे बच्चों को मिस करती हैं और बच्चे अपना रूटीन. अब जब माता पिता को पूरे दिन बच्चों को घर पर ही संभालना और अपनी नौकरियां भी करनी पड़ रही हैं तो उन्हें इन टीचरों के काम की सही कीमत पता चल रही है. लेकिन फिर भी इनकी औसत सैलरी 36,325 यूरो ही है.
तस्वीर: picture-alliance/chromorange/A. Bernhard
पैसों से ऊपर है ये काम
बीमार और कमजोर इम्यूनिटी वाले बुजुर्गों की देखभाल का काम करने वाले खुद भी कोरोना के संक्रमण के भारी खतरे में हैं. लेकिन जर्मनी में इस पेशे से जुड़े कर्मचारियों की औसत सालाना आय केवल 32,932 है. तुलना के लिए देखिए कि एक ऑटो मेकैनिक भी इससे ज्यादा कमाता है. किसी इंवेस्टमेंट बैंकर से तुलना की तो सोची भी नहीं जा सकती.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Bütner
खतरे से बाहर निकालने वाले
कोरोना वायरस का खतरा तो तभी टला माना जा सकेगा जब इसका कोई टीका बन जाएगा. फार्मा कंपनियों में काम करने वाले लोग दिन रात इसमें जुटे हैं. जिनके काम पर दुनिया भर की सांसें टिकी हैं इनकी सालाना आय मात्र 28,698 है. वहीं कोई इंवेस्टमेंट बैंकर तो लाखों यूरो सालाना के नीचे बात ही नहीं करेगा.
तस्वीर: Reuters
एक शर्मनाक तुलना
किसी बैंक के मुकाबले एक अस्पताल की इमारत या उसमें काम करने वालों को मिलने वाली सुविधाओं की तुलना भी नहीं की जा सकती. साफ पता चलता है कि हमारे सिस्टम में ऐसे लोगों के काम का कितना मूल्य है जो वाकई दूसरों के लिए काम करते हैं. सवाल यह है कि क्या कोरोना संकट बीतने के बाद हम इन बेहद अहम पेशों में लगे लोगों की बेहतरी के बारे में सोचेंगे? (डिर्क काउफमान/आरपी)