कोरोना में नाबालिगों की शादी से कैसा समाधान
१ सितम्बर २०२०
इंडोनेशिया के आर्किपेलागो से लेकर भारत, पाकिस्तान और वियतनाम जैसे देशों के पारंपरिक समुदायों में बाल विवाह की कुप्रथा का बोलबाला रहा है. बीते दशकों में सामाजिक जागरूकता के अभियानों, महिलाओं की शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के बाद इसमें कमी जरूर आई है. मौजूदा वक्त में महामारी के कारण लोगों की दशा खराब है. कामकाज बंद होने से परिवार पेट भरने की समस्या से जूझ रहे हैं. इस प्रथा को दूर करने में हुई प्रगति अब पीछे छूटने लगी है.
गैरसरकारी संगठन गर्ल्स नॉट ब्राइड्स की एशिया प्रमुक शिप्रा झा बताती हैं, "पिछले दशकों में जो हमने प्रगति की थी उसे सचमुच नुकसान पहुंच रहा है. बाल विवाह की जड़ें लैंगिक असमानता, पितृसत्तात्मक संरचना में गहरी घुसी हुई हैं. हुआ यह है कि कोविड के दौर में समस्या बढ़ी है."
गरीबी, शिक्षा की कमी और असुरक्षा के कारण सामान्य दिनों में भी बाल विवाह होते हैं, अब इस संकट के दौर में यह समस्या और बढ़ गई है. संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक पूरी दुनिया में हर साल 12 लाख लड़कियों की 18 साल की उम्र से पहले शादी कर दी जाती है. संस्था ने चेतावनी दी है कि अगर कोरोना के सामाजिक और आर्थिक असर से निपटने के लिए तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो अगले एक दशक में 13 लाख और बाल विवाह होंगे.
एशिया में समाजसेवी संगठन दावा कर रहे हैं कि बाल विवाहों की संख्या में तेजी आ चुकी है और दसियों हजार बच्चे इसकी चपेट में आ चुके हैं. हालांकि फिलहाल कोई पक्का आंकड़ा अभी तैयार नहीं हो सका है. भारत में वन स्टेप टू स्टॉप चाइल्ड मैरेज अभियान चलाने वाली रोली सिंह कहती हैं,"तालाबंदी के दौर में बच्चों की शादियां बढ़ गईं. भारी पैमाने पर बेरोजगारी है, लोगों का काम बंद हो गया है. परिवार बड़ी मुश्किल से अपना खर्च जुटा पा रहे हैं तो वो सोचते हैं कि ऐसे में यही अच्छा है कि बेटियों की शादी कर दी जाए."
वाराणसी की सड़कों की सफाई करने वाली 15 साल की मुस्कान की मां ने उसके पड़ोस में रहने वाले 21 साल के लड़के से उसकी शादी कर दी. उसकी मां पर छह बच्चों का पेट पालने की जिम्मेदारी है. मुस्कान ने रोते हुए बताया, "मेरे मां बाप गरीब हैं, वो और क्या कर सकते थे? मैं जितना कर सकती थी उतना विरोध किया लेकिन आखिर में हार मान गई."
सेव द चिल्ड्रेन पहले से ही चेतावनी दे रहा है कि लड़कियों के खिलाफ हिंसा और जबरन विवाह, "वायरस से ज्यादा बड़ा खतरा बन सकता है."
बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई में शिक्षा का प्रसार सबसे ज्यादा काम आता है लेकिन तालाबंदी के कारण करोड़ों बच्चे स्कूल से बाहर हैं. दुनिया के सबसे गरीब इलाकों में इसका लड़कियों पर बहुत बुरा असर होगा. अगस्त महीने की शुरुआत में 275 पूर्व वैश्विक नेताओं, शिक्षा विशेषज्ञों और अर्थशास्त्रियों ने सरकारों और विश्व बैंक जैसी संस्थाओं से आग्रह किया कि वो कोरोना वायरस के कारण,"कोविड जेनरेशन के बनने से रोके... जहां उनसे जीने का उचित मौका और शिक्षा छीन लिया जाए." इन लोगों में पूर्व संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून, यूनीसेफ की कैरोल बेलामी, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री शौकत अजीज, ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री गॉर्डन ब्राउन और टोनी ब्लेयर शामिल थे.
भारत में सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि जबरन विवाह के मामलों में तेजी आ गई है क्योंकि परिवार इसे कोविड19 के कारण पैदा हुई समस्या के समाधान के तौर पर देख रहे हैं. वो यह भूल जा रहे हैं कि इसका किशोरी लड़कियों पर क्या असर होगा. रोली सिंह कहती हैं, "हमने देखा है कि बहुत से बच्चों की इसलिए शादी हो रही है क्योंकि दूसरी पार्टी इसके बदले पैसा या फिर सहायता देती हैं. ये परिवार इसमें बच्चों के व्यापार को नहीं समझ पाते. यह चिंताजनक चलन है."
दिल्ली में रहने वाली शिप्रा झा का कहना है कि आर्थिक दबाव समस्या का एक पहलू है. उनके मुताबिक बाल विवाह एक जटिल मुद्दा है खासतौर से एशिया में. यहां स्कूलों के बंद होने के मतलब है खाली बैठे किशोर एक दूसरे की ओर आकर्षित होंगे और परिवारों के लिए इज्जत का मसला बन जाएगा. उन्होंने कहा,"परिवारों की सबसे बड़ी समस्या यह है कि वो (लड़कियां) लड़कों के करीब जाएंगी और सेक्शुएलिटी का अनुभव ढूंढेंगी, या फिर गर्भवती हो जाएंगी. ऐसी स्थिति में यह इज्जत का भी मसला बन जाता है. यह बड़ी बात है." उनका कहना है कि समस्या इसलिए ज्यादा बड़ी हो गई है क्योंकि सरकारों ने अपने संसाधन विकास के मुख्य क्षेत्र, शिक्षा, परिवार नियोजन और प्रजनन स्वास्थ्य की ओर से हटा कर वायरस से लड़ने में लगा दिया है.
इंडोनेशिया की परिवार नियोजन एजेंसी ने चेतावनी दी है कि स्कूलों के बंद होने और गर्भनिरोधकों तक पहुंच नहीं होने के कारण देश में अगले साल बड़ी संख्या में बच्चे पैदा होंगे. सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाले देश में पहले से ही 27 करोड़ लोग हैं.
18 साल की लिया (बदला हुआ नाम) अब भी नाबालिग है लेकिन उसकी दो बार शादी हो चुकी है. पहली बार उसका जबरन विवाह तब कराया गया जब उसे एक ऐसे आदमी के साथ देखा गया जो उसका रिश्तेदार नहीं था. वह वेस्ट सुलावेसी की रहने वाली है और यहां इस तरह की वर्जनाएं हैं. समुदाय के लोगों ने दबाव डाला कि वह उस इंसान से शादी कर ले जबकि उनकी उम्र में तीन दशक का फासला था. वह किसी तरह वहां से भाग आई और उसे एक लड़के से प्यार हो गया. हालांकि यहां भी समस्या हो गई. परिवार नियोजन से जुड़ी सलाह नहीं मिलने के कारण वह लॉकडाउन के दौरान गर्भवती हो गई. उसके परिवार ने फिर दबाव डाला कि वह अपने बच्चे के बाप से शादी कर ले. लिया कहती है, "मैं फ्लाइट अटेंडेंट बनने का सपना देखती थी." उसके नए पति रांदी ने उसे बीच में ही रोक कर कहा, "लेकिन यह नाकाम हो कर रसोई में पहुंच गई." इन्होंने अपनी शादी की बात अभी अधिकारियों को नहीं बताई है.
यूनिसेफ के मुताबिक इंडोनेशिया में बाल विवाह की दर बहुत ज्यादा है. समस्या से निबटने के लिए पिछले साल यहां शादी की वैध उम्र 16 से बढ़ा कर 19 कर दी गई. हालांकि कानून में कुछ कमियां हैं, यहां की धार्मिक अदालतें बाल विवाह को मंजूरी दे सकती हैं.
इस साल जनवरी से जून के बीच इंडोनेशिया के इस्लामी प्रशासन ने आधिकारिक रूप से 33,000 बाल विवाहों को मंजूरी दी. 2019 के इस कालखंड में यह संख्या 22,000 थी.
भारत में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ा कर 21 साल करने की बात कर रहे हैं. हालांकि सामाजिक संगठनों का कहना है कि इस तरह के कदमों को कड़ाई से लागू करना मुश्किल है और समस्या जड़ से खत्म नहीं होगी. अब वियतनाम को ही देखिए वहां वैध शादी की उम्र 18 साल है लेकिन यूनिसेफ का कहना है कि 10 में से एक लड़की की शादी 18 साल से पहले हो जाती है. कुछ जातियों और समुदायों में तो यह आंकड़ा दोगुना है. स्थानीय समाजसेवी संगठन ब्लू ड्रैगन का कहना है कि उन्होंने 14 साल की उम्र में लड़कियों की शादी देखी है और स्कूलों के बंद होने के बाद बच्चों की शादियां बढ़ गई हैं. 15 साल की मे लॉकडाउन के दौरान गर्भवती होने के बाद 25 साल के मजदूर से शादी कर ली. उसके मां बाप उसका और बच्चे का ख्याल नहीं रख सकते इसलिए वह अपने अपने पति के परिवार वाले फार्म पर चली गई है. मे ने बताया, "वो लोग किसान हैं और इतना नहीं कमा सकते कि हमारा ख्याल रख सकें." अब वो होमवर्क करने की बजाए घर का काम करती है और खेती में भी मदद करती है.
एनआर/आरपी (एएफपी)
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