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कोरोना रिकवरी डील में नाकाम यूरोप

८ अप्रैल २०२०

कोरोना वायरस महामारी से तहस नहस हो चुकी अर्थव्यवस्थाओं को पटरी पर कैसे लाया जाएगा? यूरोपीय संघ में इस मुद्दे पर डील की कोशिश नाकाम हो गई है.

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तस्वीर: picture-alliance/ANP/B. Maat

यूरोपीय संघ के वित्त मंत्रियों की 16 घंटे लंबी बातचीत बेनतीजा खत्म हो गई है. पुर्तगाल के वित्त मंत्री और यूरोग्रुप के प्रेसिडेंट मारियो सेंटेनो ने एक ट्वीट कर इसकी जानकारी दी, "16 घंटे की बातचीत के बाद हम एक डील के करीब पहुंचे लेकिन यह अभी पक्की नहीं है. मैं यूरोग्रुप को निलंबित करता हूं और आगे की बातचीत कल, गुरुवार को होगी. मेरा लक्ष्य वही है: कोविड-19 के नतीजों के खिलाफ एक मजबूत ईयू सेफ्टी नेट (जो कर्मचारियों, कंपनियों और देशों की रक्षा करे) और मूल्यांकन योग्य रिकवरी प्लान के लिए वचनबद्धता.”

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वित्त मंत्रियों की बैठक के दौरान डील पर सहमति बनने ही वाली थी कि इटली और नीदरलैंड्स के बीच विवाद छिड़ गया. दोनों देश रिकवरी फंड से कर्ज पाने की शर्तों पर असहमत हैं.

सूत्रों के मुताबिक, इटली जिस तरह की कर्ज प्रक्रिया चाह रहा है, नीदरलैंड्स उससे साफ इनकार कर रहा है. यूरोजोन के देशों में इस मुद्दे पर साफ विभाजन दिखाई पड़ रहा है. कोरोना वायरस से बुरी तरह प्रभावित होने वाले इटली और स्पेन कोरोना बॉन्ड की शक्ल में सामूहिक गारंटी चाहते हैं. लेकिन यह प्रस्ताव सैकड़ों अरब यूरो का हो सकता है. जर्मनी और नीदरलैंड्स इसे खारिज कर रहे हैं.

इसके बदले यूरोप की सबसे ताकतवर अर्थव्यवस्था जर्मनी का प्रस्ताव है कि यूरोपीय स्टेबिलिटी मैकेनिज्म (ईएसएम) के जरिए मुश्किल में फंसे देशों की मदद की जाए. ईएसएम, कर्ज के बदल कड़े और व्यापक आर्थिक और वित्तीय सुधारों की मांग करता है.

जर्मन सरकार ईएसएम में कुछ लचीलेपन के संकेत दे रही है. लेकिन यह साफ नहीं हुआ है कि जर्मनी कितनी नरमी दिखाएगा. जर्मन वित्त मंत्री ओलाफ शोल्ज ने यूरोपीय देशों से आपसी मतभेद किनारे कर एक कॉम्प्रो्माइज डील स्वीकार करने की अपील की है. रिपोर्टोें के मुताबिक जर्मनी, फ्रांस और स्पेन इसके लिए तैयार हैं, लेकिन इटली और नीदरलैंड्स ने इसे खारिज कर दिया है.

यूरोपीय सेंट्रल बैंक के मुताबिक कोविड-19 महामारी के आर्थिक झटकों से निपटने के लिए यूरोपीय संघ को 1,500 अरब डॉलर की जरूरत पड़ सकती है.

यूरोजोन के सभी बड़े देश इस वक्त बुरी तरह कोरोना वायरस की चपेट में हैं. स्पेन, इटली, फ्रांस और जर्मनी, हर देश में कोरोना वायरस के मामले एक लाख से ज्यादा हैं और यह संख्या बढ़ रही है. चारों देशों में आर्थिक गतिविधियां ठप हैं.

विशेषज्ञ आगाह कर चुके हैं कि कोरोना वायरस के चलते दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं 2008 से भी बुरी मंदी का सामना करेंगी. ज्यादातर देशों में बेरोजगारी एक विकराल समस्या बनने जा रही है. जर्मनी जैसी अर्थव्यवस्था में भी भारी गिरावट का अनुमान है. कहा जा रहा है कि इस साल जर्मनी की जीडीपी 4 फीसदी गिरेगी और नौकरियों पर इसका सीधा असर पड़ेगा.

ओएसजे/आरपी (डीपीए, एएफपी)

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