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कोरोना वायरस की नई किस्म लाभकारी भी हो सकती है

१८ अगस्त २०२०

कोरोना वायरस की एक नई किस्म जो शायद कई गुना घातक है चर्चा में है. लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि इसे फरवरी में ही खोज लिया गया था और सभी अलग अलग किस्में लगभग एक जैसी ही हैं.

Kenia Corona Graffiti
तस्वीर: Getty Images/AFP/T. Karumba

संक्रामक बीमारियों के एक प्रतिष्ठित डॉक्टर ने कहा है कि यूरोप, उत्तरी अमेरिका और एशिया के कुछ हिस्सों में अब काफी सामान्य रूप से पाए जाने वाली कोरोना वायरस की एक नई किस्म हो सकता है और ज्यादा संक्रामक हो, लेकिन ये कम घातक लगती है. सिंगापुर के राष्ट्रीय विश्वविद्यालय में वरिष्ठ सलाहकार पॉल ताम्ब्याह का कहना है कि दुनिया के कुछ हिस्सों में डी614जी म्युटेशन के प्रसार के साथ साथ मृत्यु दर में गिरावट होने के प्रमाण मिले हैं. उनके अनुसार इससे यह संकेत मिलता है कि यह म्युटेशन कम जानलेवा है.

ताम्ब्याह ने रॉयटर्स से कहा, "एक ऐसे वायरस का होना जो ज्यादा संक्रामक है लेकिन कम घातक है शायद एक अच्छी ही बात है." उन्होंने यह भी बताया कि अधिकतर वायरसों का जैसे जैसे स्वरूप परिवर्तन होता जाता है वो कम संक्रामक होते चले जाते हैं. उन्होंने कहा, "ये वायरस के अपने हित में होता है कि वो और ज्यादा लोगों को संक्रमित करे लेकिन उन्हें मारे नहीं क्योंकि एक वायरस भोजन और आश्रय के लिए अपने मेजबान पर निर्भर होता है."

विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि वैज्ञानिकों ने इस म्युटेशन की खोज फरवरी में ही कर ली थी और इसका यूरोप, अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका में प्रसार हुआ है. संगठन ने यह भी कहा कि इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि इस म्युटेशन से और गंभीर बीमारी हो रही हो.

मलेशिया में तीन महीनों की तालाबंदी के खुलने के बाद एक ग्राहक के बाल संवारता हुआ एक हेयर-स्टाइलिस्ट.तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/V. Thian

मलेशिया में अधिकारियों ने दावा किया कि उन्हें हाल ही के दो क्लस्टरों में कोरोना वायरस का डी614जी म्युटेशन मिला है. रविवार को मलेशिया के स्वास्थ्य महानिदेशक नूर हिशाम अब्दुल्लाह ने जनता को और सतर्क रहने के लिए कहा. 

सिंगापुर की विज्ञान, प्रौद्योगिकी और शोध की एजेंसी में कार्यरत सेबेस्टियन मॉरर-स्ट्रोह ने कहा कि ये नई किस्मे सिंगापुर में भी पाई गई है लेकिन रोकथाम के कदमों की वजह से बड़े स्तर पर इसका प्रसार रुक गया है. मलेशिया के नूर हिशाम ने कहा कि नई किस्म 10 गुना ज्यादा संक्रामक है और अभी जो टीके बन रहे हैं वो शायद इसके खिलाफ असरदार ना हों.

लेकिन ताम्ब्याह और मॉरर-स्ट्रोह के अनुसार ऐसे म्युटेशन वायरस को इतना बदल दें कि वो भावी टीकों को कम असरदार बना दे, इसकी संभावना कम ही है. मॉरर-स्ट्रोह ने कहा, "अलग किस्में लगभग एक जैसी ही हैं और उन चीजों में बदलाव नहीं ला पाई हैं जिन्हें हमारा इम्यून सिस्टम पहचानता है. इसीलिए जो टीके बन रहे हैं उनके लिए कोई बदलाव नहीं होना चाहिए."

सीके/एए (रॉयटर्स)

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