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कोरोना संकट के बीच जर्मनी ने मंगाया इटली से 200 टन पास्ता

२ अप्रैल २०२०

जर्मनी की सबसे बड़ी सुपरमार्केट चेन में से एक आल्डी ने इटली से 200 टन पास्ता मंगाया है और इसके लिए खास रेलगाड़ियां भी चलाई जा रही हैं.

Symbolbild | Nudeln
तस्वीर: Colourbox

जर्मनी में कोरोना के शुरुआती मामलों के बाद ही देश भर में लोगों ने "पैनिक बाइंग" यानी घबराहट में बड़ी मात्रा में सामान खरीदना शुरू कर दिया था. टॉयलेट पेपर, सैनिटाइजर और साबुन के बाद जिस एक चीज की यहां सबसे ज्यादा मांग देखी जा रही है, वह है पास्ता. खाने के सामान में सबसे ज्यादा कमी पास्ता की ही देखी जा रही है. इसकी वजह आसान है. पास्ता को कई कई महीनों तक संभाल कर रखा जा सकता है और यह खराब नहीं होता. इसके साथ ही पास्ता सॉस की बोतलों की मांग भी पिछले कुछ हफ्तों में काफी बढ़ गई है.

इस मांग को ध्यान में रखते हुए जर्मनी की सुपरमार्केट चेन आल्डी ने इटली से पास्ता मांगने का फैसला किया. इसके लिए खास रेलगाड़ियां भी चलाई गई हैं. अपने बयान में आल्डी ने कहा, "पहली डिलीवरी के तहत कई खास रेलगाड़ियां पहले ही फ्यूसीली के 60,000 से ज्यादा पैकेट, पेने के 75,000 से ज्यादा पैकेट और स्पगेटी के 25,000 से ज्यादा पैकेट इटली से (जर्मनी के) न्यूरेम्बर्ग में पहुंचा चुकी हैं." न्यूरेम्बर्ग से इन्हें दक्षिणी जर्मनी में मौजूद आल्डी के स्टोरों में पहुंचाया जाएगा. फ्यूसीली, पेने और स्पगेटी पास्ता की अलग अलग किस्में हैं.

अलग अलग तरह के पास्तातस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Hitij

बयान में कहा गया कि जर्मन रेलवे अब तक कुल मिला कर 300 पैलेट पास्ता इटली से जर्मनी ला चुकी है जिनमें कुल 200 टन पास्ता था. ऐसे ही 250 और पैलेट लाने पर काम चल रहा है. रेलवे के प्रवक्ता का कहना है कि भविष्य में जरूरत पड़ने पर इस तरह की डिलीवरी के लिए नियमित रूप से रेल चलाई जा सकती है.

आल्डी के अनुसार कोरोना संकट के बीच इटली से सामान मंगाना काफी मुश्किल हो गया है क्योंकि ना ट्रक ड्राइवर मिल रहे हैं और ना ही ट्रांसपोर्ट के दूसरे माध्यम नियमित रूप से काम कर रहे हैं. इसी कारण स्पेशल ट्रेन चलाने का विचार आया.

चांसलर मैर्केल ने देशवासियों को वादा किया है कि कोरोना संकट के बीच देश में खाने पीने के सामान की कमी नहीं होगी. देश में लगभग लॉकडाउन जैसी स्थिति है लेकिन सभी सुपरमार्केट खुले हैं. लोगों की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए हफ्ते के सातों दिन इन्हें खोलने का प्रस्ताव भी दिया गया था लेकिन अधिकतर दुकानों ने रविवार को छुट्टी का फैसला लिया.

तस्वीर: picture-alliance/R. Kerpa

खाने पीने के सामान के अलावा जर्मनी साबुन और सैनिटाइजर की किल्लत का भी सामना कर रहा है. जर्मनी की केमिकल कंपनी बीएएसएफ इस किल्लत को पूरा करने की कोशिशों में लगी है. कंपनी हर हफ्ते 35 टन सैनिटाइजर बना कर अस्पतालों तक इसे निःशुल्क पहुंचा रही है. अब तक 1000 अस्पतालों को इससे फायदा पहुंचा है. अमेरिका की डाउडूपॉन्ट के बाद बीएएसएफ दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी केमिकल कंपनी है.

ईशा भाटिया (डीपीए)

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