कोरोना से कैसे प्रभावित हुई पाकिस्तानी समलैंगिकों की जिंदगी
मावरा बारी
२१ मई २०२१
कोरोना महामारी की वजह से एलजीबीटी समुदाय के लोगों के बीच घरेलू हिंसा और मानसिक तनाव के मामले बढ़ गए हैं. महामारी में लगी पाबंदियों की वजह से इस समुदाय के लोगों को अपना पार्टनर खोजने में काफी समस्या हो रही है.
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कोरोना महामारी ने पाकिस्तान में रह रहे एलजीबीटी समूह के लोगों की जिंदगी को और अधिक कठिन बना दिया है. पहले से ही ये लोग इस देश में काफी मुश्किलों का सामना कर रहे थे. मुस्लिम बहुल इस देश में एलजीबीटी समुदाय के लोगों को सामाजिक कलंक माना जाता है. सामाजिक तौर पर उनके साथ उत्पीड़न और भेदभाव होता है. समलैंगिक गतिविधियों पर कानूनी प्रतिबंध लागू है. कोरोना महामारी में यह उत्पीड़न और भेदभाव बढ़ गया है.
औपनिवेशिक ब्रिटिश सरकार ने 1860 में भारत में समलैंगिक गतिविधियों को अपराध घोषित कर दिया. इस अपराध के लिए सजा के तौर पर आजीवन कारावास या पत्थर से मार कर मौत भी दी जा सकती है. हालांकि, अधिकारी शायद ही कभी इन कानूनों को लागू करते हैं, क्योंकि समलैंगिक गतिविधियां काफी हद तक चोरी-छिपे होती हैं. ऐसा काफी कम होता है जब एलजीबीटी समुदाय के तौर पर पहचाने जाने वाले लोग खुलकर अपने परिवार के सामने आते हैं.
पहचान के लिए छोड़ना पड़ता है घर
जब कभी वे खुलकर सबके सामने आते हैं या समलैंगिक के तौर पर पहचाने जाते हैं, तो उन्हें हिंसा और अपमान की धमकियों का सामना करना पड़ता है. यही वजह है कि पाकिस्तान में एलजीबीटी समुदाय के लोग अपनी पहचान और सेक्सुअलिटी की आजादी के लिए घर छोड़ देते हैं. हालांकि, कोरोना महामारी के दौरान, इस समुदाय के कई लोगों के लिए आजादी से जीना और अपनी पहचान को व्यापक तौर पर उजागर करना खतरनाक हो गया है.
32 वर्षीय उस्मान राजधानी इस्लामाबाद से उत्तर में स्थित शहर, एबटाबाद में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में करते हैं. उन्होंने डॉयचे वेले को बताया कि महामारी के दौरान वह हर तीन महीने में केवल एक बार अपने बॉयफ्रेंड से मिल पाते हैं. वह कहते हैं, "मेरे बॉयफ्रेंड की उम्र 25 साल है. वह अपने परिवार के साथ गुजरांवाला में रहता है. उसके पास मेरे जैसी घर छोड़कर बाहर निकलने की आजादी नहीं है. लॉकडाउन में आने-जाने पर लगी पाबंदियों की वजह से हमारा मिलना काफी मुश्किल हो गया है.”
समलैंगिक होने पर ये देश देते हैं मौत
ब्रूनेई में समलैंगिकों को पत्थर मारकर मौत के घाट उतारने की इजाजत दी जाने पर दुनिया भर में आलोचना हुई. इसके बाद ब्रुनेई ने अपना फैसला टाल दिया. चलिए जानते हैं कि दुनिया में समलैंगिकों के लिए सबसे बुरे देश कौन से हैं.
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प्यार की सजा मौत
अंतरराष्ट्रीय लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांस एंड इंटरसेक्स एसोसिएशन का कहना है कि ब्रूनेई दुनिया का सातवां देश है जहां समलैंगिक संबंधों के लिए मौत की सजा का प्रावधान है. वहीं बहुत से ऐसे देश भी हैं जहां समलैंगिक संबंध अपराध की श्रेणी में आते हैं.
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यहां मिलती है मौत
जिन छह अन्य देशों में समलैंगिक सेक्स की सजा मौत है उनमें ईरान, सऊदी अरब, यमन, नाइजीरिया, सूडान और सोमालिया शामिल हैं. मॉरेटानिया का कानून समलैंगिकों को पत्थर मार कर मौत की सजा की अनुमति देता है, लेकिन वहां सजा ए मौत पर रोक है.
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मलेशिया
मलेशिया में गुदा मैथुन और समलैंगिक संबंधों पर प्रतिबंध है. पिछले साल वहां दो महिलाओं को समलैंगिक संबंध कायम करने का दोषी पाया गया और उन्हें बेंत मारने की सजा दी गई. दुनिया भर में इस सजा की आलोचना हुई.
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रूस
रूस में 2013 में एक व्यापक कानून बना जिसके तहत नाबालिगों में समलैंगिक 'दुष्प्रचार फैलाने' को प्रतिबंधित किया गया. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस कानून के बाद वहां समलैंगिकों पर हमले बढ़े हैं.
तस्वीर: Reuters/A. Vaganov
नाइजीरिया
अफ्रीकी देश नाइजीरिया में गुदा मैथुन के लिए कैद का प्रावधान है, लेकिन 2014 में पारित एक कानून ने समलैंगिक शादियों और संबंधों पर भी प्रतिबंध लगा गया. समलैंगिक अधिकारों की बात करने वाले संगठनों की सदस्यता लेने पर भी रोक लगा दी गई.
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जापान
बेहद आधुनिक समझे जाने वाले जापान में भी ट्रांसजेंडरों के लिए हालात अच्छे नहीं हैं. वहां सेक्स चेंज कराने वाले लोगों को उनकी नई लैंगिक पहचान को कानूनी मान्यता मिलने से पहले नसबंदी कराने के लिए मजबूर किया जाता है.
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अजरबैजान
अजरबैजान में समलैंगिक शादियां और समलैंगिकों जोड़ों से बच्चे गोद लेने पर प्रतिबंध है. 2017 में वहां एलजीबीटी समुदाय के लोगों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई की गई, जिसमें मानवाधिकार समूहों के मुताबिक पुरुष समलैंगिकों को पीटा गया और उनका शोषण हुआ.
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तंजानिया
अफ्रीकी देश तंजानिया में भी समलैंगिक शारीरिक संबंधों को अपराध की श्रेणी में रखा गया है. इसका दोषी करार दिए जाने पर 30 साल तक की सजा हो सकती है.
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अमेरिका
अमेरिका में हाल के सालों में एलजीबीटी समुदाय के अधिकारों को लेकर जितनी प्रगति हुई, राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप उस सब पर पानी फेर देना चाहते हैं. उनकी सरकार ट्रांसजेंडर लोगों की अमेरिकी सेना में भर्ती पर भी रोक लगाना चाहती है.
हालांकि उस्मान को मोनोगैमी पसंद है, लेकिन पार्टनर के साथ ये समझौता हुआ है कि अलग-अलग शहरों में रहने की वजह से वे दूसरे पुरुषों के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए स्वतंत्र हैं. इस तरह की मीटिंग बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया, ऑनलाइन ग्रुप और डेटिंग एप्लिकेशन की मदद से होती है.
उस्मान का कहना है कि महामारी की वजह से डेटिंग एप्लिकेशन का इस्तेमाल और वास्तविक मुलाकातों की संभावना काफी कम हो गई है. वह कहते हैं, "कोविड की शुरुआत में, लोग आज की तुलना में उस समय काफी डरे हुए थे. डेटिंग ऐप पर कई लोग मुझसे कोविड की नेगेटिव जांच रिपोर्ट मांग रहे थे. मेरे पास उस समय रिपोर्ट नहीं था, इसलिए मैं उन लोगों के साथ आगे नहीं बढ़ पाया.”
उस्मान कहते हैं, "रमजान के महीने में कई पुरुष कैजुअल सेक्स और हुकअप से भी परहेज कर रहे हैं, क्योंकि कई समलैंगिक पुरुषों को अपनी सेक्सुअलिटी को लेकर शर्म आती है और वे इसे गलत मानते हैं. परिवार के लोग भी इस बात को स्वीकार नहीं करना चाहते हैं कि उनका बेटा समलैंगिक हो सकता है. अगर आप हमेशा किसी आदमी के साथ होते हैं, तो उसे सिर्फ एक दोस्त माना जाता है.”
उस्मान की योजना है कि वह यूरोप जाकर अपने पार्टनर के साथ नई जिंदगी की शुरुआत करे. पाकिस्तान में समलैंगिक पुरुषों को अपना प्यार पाने में काफी ज्यादा चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. उन्हें लगता है कि कैजुअल सेक्स और डेटिंग के लिए समझौता करना होगा.
मुश्किल हुआ मिलना जुलना
30 साल के साद ने डॉयचे वेले को बताया कि एक अकेले व्यक्ति के तौर पर उन्हें खासकर महामारी के इस दौर में समान विचारधारा वाले लोगों और पार्टनर से मिलना मुश्किल हो गया है. वह कहते हैं, "कई लोग वापस अपने-अपने शहरों में चले गए. पाबंदियों की वजह से ज्यादातर जगहें बंद रहती हैं या वहां काफी ज्यादा संख्या में पुलिस के जवान मौजूद होते हैं. ऐसे में मिलना-जुलना भी कम हो गया है. पकड़े जाने का खतरा भी काफी ज्यादा बढ़ गया है.”
ऑनलाइन डेटिंग करने वालों को भी झटका लगा है. प्रधानमंत्री इमरान खान ने "गैर-इस्लामी व्यवहार" को रोकने के लिए पिछले साल की शुरुआत में टिंडर और ग्रिंडर जैसे डेटिंग ऐप्स के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी. हालांकि, साद कहते हैं कि अभी भी कुछ ऐसे ऐप्लिकेशन और वीपीएन हैं जिनके जरिए लोग एक-दूसरे से मिल सकते हैं पर इनके बारे में जानकारी बहुत कम लोगों को है.
डेटिंग ऐप का इस्तेमाल करने वाले लोगों ने अपने स्वास्थ्य के बारे में अधिक जानकारी देकर महामारी में भी रास्ता तलाश लिया है. साद बताते हैं कि कुछ ऐप मेंबर्स ने अपने ऑनलाइन स्टेटस को "कोविड से रिकवर" या "वैक्सीन ले चुके" में अपडेट कर लिया, ताकि वे सुरक्षित और तनाव-मुक्त तरीके से ज्यादा संभावित साथियों से जुड़ सकें. साद बताते हैं, "मैंने भी वैक्सीन लगवा लिया है, इसलिए मैं भी अब अपना स्टेटस बदलूंगा.”
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बढ़ती जा रही घरेलू हिंसा
कार्यकर्ता इस बात को लेकर चिंतित हैं कि लोगों से बढ़ती दूरी और साथियों से मिलने में उत्पन्न हो रही बाधाओं की वजह से एलजीबीटी समुदाय के लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ रहा है. 36 साल के मणि की पहचान ट्रांसजेंडर व्यक्ति के तौर पर है. वह मानवाधिकार के लिए काम करते हैं. उनकी संस्था ‘होप' ने कोविड की वजह से उनके समुदाय पर पड़ने वाले असर को लेकर कई अध्ययन किए हैं.
उन्होंने डॉयचे वेले को बताया कि लॉकडाउन के दौरान समलैंगिक और ट्रांसजेंडर पार्टनर के बीच घरेलू हिंसा के कई मामले सामने आए. आर्थिक और भावनात्मक तनाव के कारण काफी ज्यादा झगड़े हुए, खासकर ट्रांसजेंडर महिलाओं के साथ. वह कहते हैं, "कुछ ट्रांसजेंडर महिलाएं पुरुष प्रेमी के साथ रहना पसंद करती हैं, क्योंकि उनका पार्टनर उसके स्त्री होने और प्यार का एहसास करा सकता है. हालांकि, कोविड के दौरान, कई महिलाओं ने अधिक घरेलू हिंसा की शिकायत की.”
एलजीबीटी समुदायों के बीच पाकिस्तान में आत्महत्या की दर सबसे अधिक है. मणि का कहना है कि समुदायों ने छेड़छाड़ के तौर पर सेक्सुअल आइडेंटिटी को मजबूत करके कुछ तरीकों से खुद को कलंकित किया था. वह कहते हैं, "सेक्स एक स्वाभाविक आवश्यकता है. हमारा समुदाय इतना हाशिए पर है, इसलिए हम आपस में अधिक खुलकर सेक्स के बारे में बात करते हैं. इस वजह से लोगों को लगा कि हम काफी ज्यादा सेक्सुअल हैं.” मणि ने जोर देते हुए कहा कि काफी ज्यादा सेक्सुअल होने का यह स्टीरियोटाइप रोमांटिक पार्टनर खोजने में भी परेशानी उत्पन्न कर सकता है.
समलैंगिकों के अधिकार छीन रहे हैं ये देश
युगांडा समलैंगिंकों को मौत की सजा देने का कानून बनाने जा रहा है. ब्रूनेई पहले ही ऐसा कर चुका है. दुनिया के 68 देशों में समलैंगिक संबंध अवैध हैं. लेकिन अब कई देश एलजीबीटी समुदाय को अधिकार देने के बाद उन्हें छीन रहे हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/V. Simicek
अमेरिका
अमेरिका ने इस साल से सेना में ट्रांसजेंडरों की भर्ती पर रोक को लागू करना शुरू कर दिया है. 2016 में राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ट्रांसजेंडरों को सेना में काम करने की अनुमति दी थी. लेकिन 2017 में राष्ट्रपति पद संभालने वाले डॉनल्ड ट्रंप ने इसे बदलने की घोषणा की. ट्रंप ने इस फैसले की एक बड़ी वजह दवाओं पर आने वाले खर्च को बताया.
तस्वीर: picture-alliance/AP/LM Otero
रूस
रूस में पिछले साल पहली बार तथाकथित "गे प्रोपेगैंडा" कानून के तहत एक नाबालिग पर जुर्माना किया गया. इस कानून का इस्तेमाल वहां एलजीबीटी समुदाय को दबाने के लिए किया जाता है. 2013 में बने इस कानून के तहत नाबालिगों में समलैंगिकता को बढ़ावा देने की कोशिश या फिर ऐसा कोई भी आयोजन गैरकानूनी है. इसे तहत वहां गे परेड रोकी गईं और समलैंगिक अधिकार कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/D. Lovetsky
पोलैंड
पोलैंड की सत्ताधारी पार्टी के नेता यारोस्लाव काचिंस्की ने इस साल गे प्राइड मार्चों की आलोचना की और कहा कि इसे रोकने के लिए कानून लाया जाना चाहिए. कट्टरंपंथी लॉ एंड जस्टिस पार्टी ने एलजीबीटी समुदाय विरोधी अपने रुख को चुनाव का बड़ा मुद्दा बनाया है. आलोचकों का कहना है कि इस वजह से समलैंगिकों के खिलाफ हिंसा के मामलों में इजाफा देखने को मिला है.
तस्वीर: picture-alliance/zumapress/W. Dabkowsk
इंडोनेशिया
इंडोनेशिया में समलैंगिक पुरुषों के बीच शारीरिक संबंधों पर प्रतिबंध लगाने वाले एक कानून का मसौदा तैयार किया गया है, जिस पर पिछले महीने संसद में विरोध के चलते मतदान नहीं हो पाया. इसके तहत विवाहेत्तर शारीरिक संबंध भी गैरकानूनी होंगे. गर्भपात कराने पर भी चार साल की सजा होगी. सिर्फ मेडिकल इमरजेंसी, बलात्कार या काले जादू के लिए जेल की सजा मिलने पर ही गर्भपात कराने की छूट होगी.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/H. Juanda
नाइजीरिया
नाइजीरिया ने 2014 में एक बिल पास किया, जिसमें समलैंगिक सेक्स के लिए 14 साल की सजा का प्रावधान किया गया. अधिकारियों ने 2017 में समलैंगिक गतिविधियों के मामले में 43 लोगों के खिलाफ आरोप तय किए. इनमें से ज्यादातर को निगरानी में रखा गया और उनका "यौन पुर्नवास" किया गया.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/K. Ludbrook
मलेशिया
मलेशिया में एलजीबीटी समुदाय के लोगों को प्रताड़ित करने के मामले बढ़ रहे हैं. पिछले साल तेरेंगगानु राज्य में दो महिलाओं को आपस में शारीरिक संबंध कायम करने के लिए सार्वजनिक तौर पर बेंतों से पीटा गया. प्रधानमंत्री महाथिर मोहम्मद का कहना है कि उनका देश समलैंगिक शादियों और एलजीबीटी समुदाय के अधिकारों को स्वीकार नहीं कर सकता.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/R. B. Tongo
चाड
अफ्रीकी देश चाड ने 2017 में नई दंड संहिता पर अमल करना शुरू किया, जिसमें समलैंगिक संबंधों के लिए छोटी कैद की सजाओं और जुर्माने का प्रावधान किया गया. इससे पहले वहां स्पष्ट तौर पर समलैंगिक संबंध गैरकानूनी नहीं थे. हालांकि अप्राकृतिक कृत्यों की निंदा करने वाला एक कानून जरूर था.
तस्वीर: UNICEF/NYHQ2012-0881/Sokol
स्लोवाकिया
स्लोवाकिया ने 2014 में अपने संविधान में पारंपरिक शादी की परिभाषा को जगह दी. 2015 में वहां पर एक जनमत संग्रह हुआ जिससे समलैंगिक शादियों और उनके द्वारा बच्चे गोद लेने पर रोक को और मजबूती मिलने की उम्मीद थी. लेकिन जनमत संग्रह में बहुत कम लोगों ने हिस्सा लिया जिसके कारण उसे मंजूरी नहीं मिल सकी. (थॉमसन रॉयटर्स फाउंडेशन/एके)