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कोली की मौत की सज़ा पर रोक

७ जनवरी २०१०

भारत की सुप्रीम कोर्ट ने निठारी कांड में सुरेन्दर कोली की मौत की सज़ा पर रोक लगा दी है. कोली नोएडा के कुख्यात निठारी कांड का सह अभियुक्त है और उसे मृत्युदंड दिया गया है. दूसरा आरोपी मोनिन्दर सिंह पंढेर पहले ही बरी.

पंढेर पहले ही बरी हैतस्वीर: AP

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकृष्णन और बीएस चौहान की बेंच ने मौत की सज़ा पर रोक लगाते हुए केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई और उत्तर प्रदेश सरकार से इस मामले में जवाब मांगा. कोली ने अपनी मौत की सज़ा को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.

सीबीआई की एक अदालत ने 13 फ़रवरी, 2009 को रिम्पा हलदर के बलात्कार और हत्या के मामले में कोली को मौत की सज़ा सुनाई थी. कोली और पंढेर पर निठारी में 14 साल की रिम्पा सहित कई बच्चियों की हत्या और बलात्कार का आरोप है. सीबीआई अदालत ने कोली के अलावा पंढेर को भी मौत की सज़ा सुनाई थी.

इसके बाद मामला इलाहाबाद हाई कोर्ट में गया. अदालत ने कोली की मौत की सज़ा बरक़रार रखी लेकिन 11 सितंबर, 2009 को पंढेर को बरी कर दिया. इसके बाद कोली ने मौत की सज़ा के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया.

तीन साल पहले निठारी कांड जब दुनिया के सामने आया, तो सबके होश उड़ गए थे. पंढेर के बंगले के पीछे नाले में कई बच्चियों के अंग मिले. इसके बाद पंढेर और कोली को गिरफ़्तार किया गया. उन पर कई बच्चियों की हत्या और बलात्कार के आरोप लगे.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः ए कुमार

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