कोविड के बीच संयुक्त राष्ट्र की बैठक को लेकर चिंता
१९ अगस्त २०२१
अगले महीने न्यू यॉर्क में होने वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में 150 से ज्यादा देशों के नेता हिस्सा लेंगे. अमेरिका ने अधिकतर देशों से कहा है कि वो बैठक में ऑनलाइन ही शामिल होने के बारे में विचार करें.
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संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के मिशन ने 192 दूसरे सदस्य देशों को भेजे गए एक नोट में यह भी कहा है कि महासभा के अलावा बाकी बैठकों और मुलाकातों को भी वर्चुअल तौर पर किया जाए. मिशन का कहना है कि इन मुलाकातों की वजह से भी लोग न्यू यॉर्क आना पसंद करेंगे और वो "हमारे समुदाय, न्यू यॉर्क के लोगों और दूसरे यात्रियों को अनावश्यक रूप से जोखिम में डालेंगे."
नोट में यह भी लिखा है कि बाइडेन प्रशासन विशेष रूप से उन उच्च-स्तरीय आयोजनों को लेकर चिंतित है जिनकी मेजबानी संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटोनियो गुटेरेश और महासभा के अगले अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद करेंगे. ये आयोजन जलवायु परिवर्तन, वैक्सीन, नस्लवाद के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के वैश्विक सम्मलेन की 20वी वर्षगांठ, खाद्य प्रणालियां और ऊर्जा जैसे विषयों पर होने हैं.
शामिल हो सकते हैं 127 नेता
महासभा में भाषण देने वालों की एक तात्कालिक सूची में अलग अलग देशों के 127 राष्ट्रपतियों और प्रधान मंत्रियों के नाम हैं जो व्यक्तिगत रूप से शामिल होने की तैयारी कर रहे हैं. इनमें खुद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत कई और बड़े नेता शामिल हैं.
ईरान, मिस्र और इंडोनेशिया समेत 38 नेता पहले से रिकॉर्ड किए संदेश भेजने की तैयारी कर रहे हैं. नोट में लिखा है, "अगर प्रतिनिधि मंडल न्यू यॉर्क आना चाह रहे हैं तो अमेरिका उनसे गुजारिश करता है कि वो कम से कम सदस्यों को साथ लाएं." संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय आने वाले लोगों के लिए कई दिशा निर्देश लागू किए जाएंगे.
चिंताजनक हालात
उन्हें हमेशा मास्क पहने रहना होगा, छह फीट की दूरी बनाए रखनी होगी, तय सीटों पर ही बैठना होगा, बिल्डिंग के अंदर घुसने के लिए कोविड-19 नेगेटिव रिपोर्ट आवश्यक होगी और "संभव हो तो टीका भी ले लेना" बेहतर रहेगा. बैठकों के लिए कांटेक्ट ट्रेसिंग भी की जाएगी.
अमेरिका में करीब 50 प्रतिशत आबादी को टीका लग चुका है, लेकिन इसके बावजूद संक्रमण के नए मामले और संक्रमण से होने वाली मौतें चिंताजनक स्तर पर हैं. अभी भी दुनिया में सबसे ज्यादा नए मामले अमेरिका में ही सामने आ रहे हैं. रोजाना करीब 500 अमेरिकी मारे भी जा रहे हैं. देश में जहां जुलाई में 10,000 से भी कम मामले सामने आए थे, वहीं अगस्त में 1,50,000 से भी ज्यादा मामले सामने आए हैं.
सीके/एए (एएफपी)
कोविड के खिलाफ कुछ कामयाबियां
कोविड के खिलाफ वैज्ञानिकों का संघर्ष जारी है. दुनिया भर के वैज्ञानिक अलग-अलग दिशाओं में शोध कर रहे हैं ताकि वायरस को बेहतर समझा जा सके और उससे लड़ा जा सके. जानिए, हाल की कुछ सफलताओं के बारे में.
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स्मेल से कोविड टेस्ट
कोरोनावायरस से संक्रमित होने पर अक्सर मरीज की सूंघने की शक्ति चली जाती है. अब वैज्ञानिक इसे कोविड का पता लगाने की युक्ति बनाने पर काम कर रहे हैं. एक स्क्रैच-ऐंड-स्निफ कार्ड के जरिए कोविड का टेस्ट किया गया और शोध में सकारात्मक नतीजे मिले. शोधकर्ताओं का कहना है कि यह नाक से स्वॉब लेकर टेस्ट करने से बेहतर तरीका हो सकता है.
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मां के दूध में वैक्सीन नहीं
कोविड वैक्सीन के अंश मां के दूध में नहीं पाए गए हैं. टीका लगवा चुकीं सात महिलाओं से लिए गए दूध के 13 नमूनों की जांच के बाद वैज्ञानिकों ने पाया है कि यह वैक्सीन किसी भी रूप में दूध के जरिए बच्चे तक नहीं पहुंचती.
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/A. Cubillos
नाक से दी जाने वाली वैक्सीन
कोविड-19 की एक ऐसी वैक्सीन का परीक्षण हो रहा है, जिसे नाक से दिया जा सकता है. इसे बूंदों या स्प्रे के जरिए दिया जा सकता है. बंदरों पर इस वैक्सीन के सकारात्मक नतीजे मिले हैं.
तस्वीर: Punit Paranjpe/AFP/Getty Images
लक्षणों से पहले कोविड का पता चलेगा
वैज्ञानिकों ने एक ऐसे जीन का पता लगाया है जो कोविड के साथ ही मनुष्य के शरीर में सक्रिय हो जाता है. कोविड के लक्षण सामने आने से पहले ही यह जीन सक्रिय हो जाता है. यानी इसके जरिए गंभीर लक्षणों के उबरने से पहले भी कोविड का पता लगाया जा सकता है. छह महीने चले अध्ययन के बाद IF127 नामक इस जीन का पता चला है.
तस्वीर: Chadi/Xhinua/picture alliance
कैंसर मरीजों पर वैक्सीन का असर
एक शोध में पता चला है कि कैंसर का इलाज करवा रहे मरीजों पर वैक्सीन का अच्छा असर हो रहा है. हालांकि एंटिबॉडी के बनने में वक्त ज्यादा लग रहा था लेकिन दूसरी खुराक मिलने के बाद ज्यादातर कैंसर मरीजों में एंटिबॉडी वैसे ही बनने लगीं, जैसे सामान्य लोगों में.
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कोविड के बाद की मुश्किलें
वैज्ञानिकों ने एक शोध में पाया है कि जिन लोगों को कोविड के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ा, उनमें से लगभग आधे ऐसे थे जिन्हें ठीक होने के बाद भी किसी न किसी तरह की सेहत संबंधी दिक्कत का सामना करना पड़ा. इनमें स्वस्थ और युवा लोग भी शामिल थे. 24 प्रतिशत को किडनी संबंधी समस्याएं हुईं जबकि 12 प्रतिशत को हृदय संबंधी.