डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एधानोम घेब्रेयसस ने कहा है कि यूएन एजेंसी ने 30 जनवरी को कोरोना वायरस को लेकर वैश्विक इमरजेंसी की घोषणा की थी जिससे देश सचेत और इससे निपटने को लेकर तैयारी कर सकें.
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कोरोना वायरस महामारी के कारण दुनियाभर में 1,83,424 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 26,28,550 लोग इससे संक्रमित हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक टेड्रोस एधानोम घेब्रेयसस ने चेतावनी भरे लहजे में कहा है कि दुनिया इस वायरस के चपेट में लंबे समय के लिए रहेगी और हमें एक लंबा रास्ता तय करना है. उन्होंने चेतावनी दी है कि अधिकांश देश इस महामारी के शुरुआती चरण में हैं. डब्ल्यूएचओ महानिदेशक ने कहा कि जिन देशों को लगा कि उन्होंने कोरोना वायरस को काबू में कर लिया है वहां मामलों में बढ़ोतरी हुई है.
उन्होंने कहा कि अफ्रीका और लातिन अमेरिका में कोरोना वायरस के मामलों का बढ़ना चिंता का कारण बन रहा है. घेब्रेयसस ने जोर देकर कहा कि यूएन एजेंसी ने 30 जनवरी को वैश्विक आपातकाल की घोषणा की थी, जिससे कि सभी देश कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ योजना बना सकें और तैयारी करें. पिछले दिनों अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा था कि डब्ल्यूएचओ ने कोरोना वायरस को वक्त रहते समझने में चूक कर दी.
ट्रंप ने डब्ल्यूएचओ पर चीन का पक्ष लेने और महामारी को "बेहद बुरी तरह से संभालने" का आरोप भी लगाया. घेब्रेयसस पर इस्तीफा देने का भी दबाव बना लेकिन उन्होंने झुकने से इनकार कर दिया. घेब्रेयसस ने जिनेवा में वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पत्रकारों से कहा, "पश्चिमी यूरोप में महामारी के मामलों में या तो कमी देखी गई है या फिर उसके फैलाव की दर स्थिर हुई है. लेकिन अफ्रीका, मध्य और दक्षिण अमेरिका और पूर्वी यूरोप में संक्रमितों की संख्या कम होने के बावजूद चिंता व्याप्त है."
घेब्रेयसस ने कहा, "कई देश महामारी के शुरुआती चरणों में हैं. और कुछ देश जो महामारी से पहले प्रभावित थे वहां अब मामले दोबारा सामने आ रहे हैं." घेब्रेयसस ने चेतावनी देते हुए कहा, "कोई गलती न करें: हमें एक लंबा रास्ता तय करना है. यह वायरस लंबे समय तक हमारे साथ रहेगा." घेब्रेयसस से जब यह पूछा गया कि क्या डब्ल्यूएचओ ने कोरोना वायरस को लेकर त्वरित कार्रवाई की है तो उन्होंने कहा, "पीछे मुड़कर देखें तो मुझे लगता है कि हमने सही समय पर इमरजेंसी की घोषणा की थी."
साथ ही उन्होंने कहा, "घर में रहने और शारीरिक दूरी बरते जाने के उपायों से कई देशों में संक्रमण के फैलाव को दबाने में मदद मिली है. लेकिन यह वायरस अब भी बेहद खतरनाक है." डब्ल्यूएचओ ने पिछले दिनों कहा था कि लॉकडाउन और अन्य सख्त पाबंदियों को चरणबद्ध तरीके से उठाए जाने की जरूरत होगी और अगर ऐसा नहीं किया गया तो वायरस के नए सिरे से फैलने का खतरा है.
डॉनल्ड ट्रंप डब्ल्यूएचओ को मिलने वाली राशि रोक रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र की इस एजेंसी के लिए यह बहुत बड़ा झटका होगा क्योंकि सबसे ज्यादा धन उसे अमेरिका से ही मिलता है. जानिए अमेरिका के बाद किस किस का नंबर आता है.
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असेस्ड कॉन्ट्रीब्यूशन
डब्यलूएचओ को दो तरह से धन मिलता है. पहला, एजेंसी का हिस्सा बनने के लिए हर सदस्य को एक रकम चुकानी पड़ती है. इसे "असेस्ड कॉन्ट्रीब्यूशन" कहते हैं. यह रकम सदस्य देश की आबादी और उसकी विकास दर पर निर्भर करती है.
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वॉलंटरी कॉन्ट्रीब्यूशन
दूसरा है "वॉलंटरी कॉन्ट्रीब्यूशन" यानी चंदे की राशि. यह धन सरकारें भी देती हैं और चैरिटी संस्थान भी. अमूमन यह राशि किसी ना किसी प्रोजेक्ट के लिए दी जाती है. लेकिन अगर कोई देश या संस्था चाहे तो बिना प्रोजेक्ट के भी धन दे सकता है.
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दो साल का बजट
डब्यलूएचओ का बजट दो साल के लिए निर्धारित किया जाता है. 2018-19 का कुल बजट 5.6 अरब डॉलर था. 2020-21 के लिए इसे 4.8 अरब डॉलर बताया गया है. आगे दी गई सूची 2018-19 के आंकड़ों पर आधारित है.
असेस्ड कॉन्ट्रीब्यूशन - 81 लाख डॉलर; वॉलंटरी कॉन्ट्रीब्यूशन - 7.8 करोड़ डॉलर; कुल - 8.6 करोड़ डॉलर
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15. चीन
असेस्ड कॉन्ट्रीब्यूशन - 7.6 करोड़ डॉलर; वॉलंटरी कॉन्ट्रीब्यूशन - 1 करोड़ डॉलर; कुल - 8.6 करोड़ डॉलर. अमेरिका और जापान के बाद सबसे बड़ा असेस्ड कॉन्ट्रीब्यूशन चीन का ही है. (स्रोत: डब्ल्यूएचओ)