दुनियाभर में कोरोना वायरस से अब तक 19,20,708 लोग संक्रमित हो चुके हैं. जबकि 1,19,706 लोगों की मौत इस महामारी के कारण हो चुकी है. मौत हो या संक्रमितों की संख्या, हर लिहाज से अमेरिका सभी देशों से आगे है.
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जॉन्स हॉप्किंस यूनिवर्सिटी की तालिका के मुताबिक अमेरिका में कोरोना वायरस से अब तक 23,628 लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें केवल न्यू यॉर्क में ही 10 हजार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. वहीं, पूरे देश में संक्रमण के मामले 5,82,607 हो गए हैं. अमेरिका के न्यू यॉर्क राज्य का सबसे बुरा हाल है, वहां इस महामारी के कारण 10,000 लोगों की मौत हो चुकी है और 1,95,000 लोग संक्रमित हैं. अमेरिका में पिछले 24 घंटों के दौरान 1,535 लोगों की मौत हुई है.
देश में संक्रमण के 26,641 नए मामले सामने आए हैं. न्यू यॉर्क के गवर्नर एंड्रयू कुओमो ने कहा है कि महामारी चरम को पार कर गई है. कुओमो ने पत्रकारों से कहा कि वह धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था को फिर से खोलने की योजना पर काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "मेरा मानना है कि अब हम सामान्य स्थिति की ओर बढ़ने की शुरुआत कर सकते हैं."अमेरिका में महामारी के कारण 23,628 मौतें हुई हैं तो वहीं न्यू यॉर्क में 10,000 से अधिक मौतें दर्ज की जा चुकी है.
अमेरिका में जितनी मौतें हुईं हैं वह दुनिया में सर्वाधिक है और संक्रमितों की संख्या के मामले में भी वह पहले नंबर पर है. अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने सोमवार को व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए कोरोना वायरस महामारी से निपटने को लेकर प्रशासन की प्रशंसा की. उन्होंने अपने आलोचकों और प्रेस पर भड़ास निकाली. पत्रकार सम्मेलन में ट्रंप ने तीन मिनट से अधिक का वीडियो चलवाया, जिसमें ट्रंप और अधिकारियों के बीच महामारी को रोकने के लिए तरह-तरह की टिप्पणी का मोंटाज शामिल था.
ट्रंप ने कहा, "हमने जो भी कदम उठाए वे सही थे." उन्होंने नकारात्मक प्रेस कवरेज को लेकर अपनी शिकायत दर्ज कराते हुए कहा, "मुझे लगता है कि मैंने प्रेस के साथ-साथ कई लोगों को शिक्षित किया है." दरअसल कई बार ट्रंप की आलोचना हो चुकी है कि वे महामारी को संभाल पाने में नाकाम साबित हुए हैं और उन्होंने कोरोना वायरस पर दी गई सलाह को मानने से इनकार कर दिया था. हालांकि ट्रंप इन सभी आरोपों से इनकार करते आए हैं और वे बार बार कहते आए हैं कि उन्होंने वक्त रहते कदम उठाए हैं.
स्पैनिश फ्लू से क्यों हो रही है कोरोना महामारी की तुलना
एक सदी पहले की बात है जब स्पैनिश फ्लू नाम की महामारी ने दुनिया की करीब एक तिहाई आबादी को अपनी चपेट में ले लिया और कोई पांच करोड़ इंसानों की जान ले ली. क्या कोरोना वायरस इस जानलेवा इतिहास को दोहरा सकता है?
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महामारी बना 1918 में शुरु हुआ इन्फ्लुएंजा
सन 1918 से 1920 के बीच दुनिया भर के 2.5 से 5 करोड़ लोगों को लील लेने वाली महामारी स्पैनिश फ्लू कहलाई. इस महामारी में पहले विश्वयुद्ध से भी ज्यादा लोगों की जान गई जो कि इसके ठीक पहले ही थमा था.
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रहस्य बनी रही शुरुआत की कहानी
एक दशक से भी ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी संक्रमण की शुरुआत के कारणों की पुष्टि नहीं हो पाई थी. 1930 के दशक में आते आते कुछ लोगों ने यह कहा कि इस पैथोजन को असल में जर्मन सेना ने एक हथियार के रूप में विकसित किया था और वह लीक हो गया. कोरोना के मामले में भी ऐसी एक थ्योरी निकली और खुद अमेरिकी राष्ट्रपति इसे "चीनी वायरस" कह चुके हैं.
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क्या कोरोना काल में फिर दोहराएगा इतिहास
अमेरिकी सेनाकर्मियों में 1918 में इसकी पुष्टि हुई. आगे चल कर दुनिया की करीब एक तिहाई आबादी स्पैनिश फ्लू से संक्रमित हुई. मरने वालों में 5 साल से कम उम्र वालों और 65 से ऊपर की उम्र वाले लोगों की तादात अधिक थी जैसा कि कोरोना में भी है. लेकिन 20 से 40 साल की उम्र वालों का मरना स्पैनिश फ्लू् की खास बात रही.
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क्वॉरंटीन, हाइजीन, डिसइन्फेक्टेंट और भीड़भाड़ पर रोक
यही सारी चीजें स्पैनिश फ्लू के समय भी काम आई थीं और कोरोना काल में भी इन्हीं सब कदमों से संक्रमण को रोकने में मदद मिल रही है. स्पैनिश फ्लू का कोई टीका नहीं बन पाया था और ना ही एंटीबायोटिक दवाएं काम आईं. हालांकि कोरोना वायरस का टीका बनाने में फिलहाल विश्व भर के रिसर्चर लगे हुए हैं.
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स्पैनिश फ्लू वायरस की टाइमलाइन
102 साल पहले शुरु हुआ संक्रमण. 1930 में जाकर पता चला कि इसका कारण कोई बैक्टीरिया नहीं बल्कि वायरस है. 1960 में अमेरिका में इसके लिए ऐसी वैक्सीन उपलब्ध हुई जिसे फ्लू शॉट के रूप में हर साल फ्लू सीजन में लिया जा सकता है. सन 2005 में जाकर स्पैनिश फ्लू के वायरस की पूरी सीक्वेंसिंग हो पाई.
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सारे फ्लू से बचाने वाली वैक्सीन का रास्ता खुला
स्पैनिश फ्लू का वैक्सीन ही आज तक लोगों को सभी तरह के सीजनल फ्लू से बचाता आया है. 2009 में आए स्वाइन फ्लू फैलाने वाले एच1एन1 वायरस और बर्ड फ्लू फैलाने वाले एच5एन1 जैसे रोगों से भी इसी की वैक्सीन बचाती है.