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कौन बचाएगा यूरो को-अब डेनमार्क की बारी

१ जनवरी २०१२

यूरो संकट से घिरे यूरोपीय संघ के देश अब 1 जनवरी का इंतजार कर रहे हैं जब डेनमार्क ईयू की अध्यक्षता संभालेगा. लेकिन खुद यूरो को नकारने वाला देश आर्थिक संकट को कैसे खत्म कर सकता है?

तस्वीर: picture-alliance/Arco

डेनमार्क 1973 से ईयू का सदस्य है लेकिन वह यूरो जोन में नहीं है और उसके 55 लाख नागरिक आज तक डैनिश क्रोन का इस्तेमाल कर रहे हैं और यूरो देशों की चिंताओं से कुछ हद तक मुक्त भी हैं. डेनमार्क के अलावा ब्रिटेन ही एकमात्र ऐसा देश है जो ईयू में होने के बावजूद यूरो मुद्रा नहीं अपना रहा है. देश के डान्स्के बैंक के एक जनमत सर्वेक्षण के मुताबिक, 71 प्रतिशत नागरिक अब भी यूरो मुद्रा के खिलाफ हैं. बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री स्टीन बोसियान ने कहा, "यह यूरोजोन संकट की वजह से है. इस वक्त डेनमार्क में ब्याज दर जर्मनी से भी कम हैं."

तस्वीर: picture-alliance/ Photoshot

सदस्यता और स्वतंत्रता

लेकिन आने वाले छह महीनों में अपनी अध्यक्षता के दौरान डेनमार्क ईयू सदस्यों को एक दूसरे के करीब लाने में मदद करना चाहता है. वर्तमान हालात में डेनमार्क इस मुद्दे पर कितना प्रभाव डाल सकता है, इस पर सवाल उठ रहे हैं. डेनमार्क के संविधान के मुताबिक अगर देश अपनी स्वायत्तता का कोई भी हिस्सा यूरोपीय संघ को सौंप रही हो, तो उसे जनमत संग्रह करवाना पड़ेगा. लेकिन डेनमार्क की ईयू सदस्यता अपने आप में विचित्र है. वह ईयू और शेंगन क्षेत्र में भी आता है, लेकिन मुद्रा, सुरक्षा और आंतरिक मामलों में वह यूरोपीय संघ से बिलकुल आजाद हो कर काम करता है.

तस्वीर: AP

डेनमार्क की अध्यक्षता के दौरान उसके यूरो अपनाने से ज्यादा ध्यान यूरो मुद्रा के अपने संकट पर रहेगा. साथ ही यूरो देशों के सर पर 2014 से लेकर 2020 की बजट योजना भी मंडरा रही है. हालांकि राजनीतिज्ञ पेटेर नेडरगार्ड कहते हैं कि डेनमार्क के कार्यकाल के दौरान यूरोपीय संघ का बजट पास होना किसी करिश्मे से कम नहीं होगा और फिर फ्रांस में भी राष्ट्रपति चुनाव होने हैं.

सहयोग बढ़ाने पर जोर

अब तक डेनमार्क छह बार यूरो देशों का अध्यक्ष बना है. 2002 में उसके पिछले कार्यकाल से अब तक ईयू में बड़े बदलाव आए हैं. तब 10 नए देशों के ईयू में शामिल होने की बात हो रही थी जबकि अब इसमें 27 देश शामिल हैं. विश्लेषक कहते हैं कि पिछली अध्यक्षता के मुकाबले इस बार डेनमार्क पर दबाव कम रहेगा. देश की प्रधानमंत्री हेले थोर्निंग श्मिट ने अध्यक्षता पर कहा है कि ईयू के सदस्य देशों को साथ काम करने की जरूरत है और उनमें आत्मविश्वास, सुरक्षा और सकारात्मक सोच बढ़ाने पर जोर देना है. एक ऐसा काम जो जुलाई से अब तक का अध्यक्ष पोलैंड बहुत सीमित हद तक कर पाया है.

तस्वीर: AP

सबसे बड़ी समस्या पोलैंड की भी वही थी जो इस वक्त डेनमार्क की है. यूरो मुद्रा का इस्तेमाल न करने की स्थिति में होने के बावजूद पोलैंड के नेताओं ने यूरोजोन की बैठकों में शामिल होने की मांग की. यूरोपीय आयोग के प्रमुख जोसे मानुएल बारोसो ने कहा है कि पोलैंड ने ईयू को उसके "सबसे मुश्किल वक्त" में संभाला है. क्रोएशिया को ईयू में शामिल करने के लिए संधि तैयार करने में तो पोलौंड सफल रहा, लेकिन यूक्रेन में पूर्व प्रधानमंत्री यूलिया टीमोशेंको को पद के दुरुपयोग के आरोप में कैद की सजा दिए जाने के बाद उसके साथ समझौता मुश्किल हो गया. बल्गारिया और रोमानिया को भी अब तक शेंगेन इलाके में आने की अनुमति नहीं दी गई है. लेकिन पोलैंड में खुद नागरिकों का मत ईयू को लेकर अनिश्चित है. बहुत से लोगों को लगता है कि पोलैंड को पहले अपने राष्ट्रीय लक्ष्यों पर ध्यान देना चाहिए, न कि ईयू पर.

रिपोर्टः डीपीए, एएफपी/एमजी

संपादनः महेश झा

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