कौन बनेगा फुटबॉल वर्ल्ड कप चैम्पियन?
२१ जून २०१०
आजकल डॉयचे वेले की वेबसाईट में वर्ल्ड कप फुटबॉल के मैचों और खिलाड़ियों के बारे में ताज़ा जानकारी पढ़कर बड़ा मजा आ रहा है. ऐसा लग रहा है कि मैं दक्षिण अफ्रीका में जाकर खुद अपनी आंखों से इन रोमांचक मैचों को देख रहा हूं. इसके लिए डॉयचे वेले की पूरी टीम को बहुत बहुत धन्यवाद.
चुन्नीलाल कैवर्त,ग्रीन पीस डी एक्स क्लब सोनपुरी,जिला बिलासपुर, छत्तीसगढ़
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डॉयचे वेले की हिंदी वेब साईट पर हिंदी विभाग द्वारा दी गई रिपोर्टें फुटबॉल वर्ल्ड कप-2010 पढ़ा. विश्वकप ओलंपिक के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा खेल आयोजन है ऐसे में इसका जुनून देखने लायक़ है. फ़ुटबॉल पूरी दुनिया में खेला जाता है और सारी दुनिया इसे देखने के लिए चार साल तक इंतज़ार करती है. इस खेल के महाआयोजन में दुनिया में फुटबॉल खेलने वाली सबसे आला 32 टीमें शिरकत कर रही हैं. इसका पैमाना यह नहीं है कि कौन मुल्क अमीर है या कौन गरीब है, बस यहां खेल ही सब कुछ है. फुटबॉल कौशल का आर्थिक ताकत से कोई लेना-देना नहीं है. बस प्रतिभा ही मायने रखती है. भारत में इस खेल के प्रति जुनून टेलीविज़न ने पैदा किया है और यहां भी इसका दायरा बढ़ रहा है, लेकिन आज भी जिस तेज़ी के साथ इसे बढ़ना चाहिए वो नहीं हो सका है. भारत में फ़ुटबॉल बहुत ही लोकप्रिय है और गांव के स्तर पर खेला जाता है लेकिन जब भी विश्वकप शुरू होता है तो भारतीयों को मायूसी हाथ लगती है, क्योंकि हमारी टीम विश्वकप का हिस्सा नहीं होती है.
रवि शंकर तिवारी, पीतमपुरा, नई दिल्ली
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वेस्टवॉच में जर्मन राष्ट्रीय चेनल प्रसारण संस्था एआरडी के विकास तथा 6 दशकों के अनुभवों पर काफी विस्तृत और समीक्षात्मक जानकारी पाई. आप प्रतिदिन फीफा वर्ल्ड पर जो जानकारी दे रहे हैं वह संक्षिप्त किंतु विशेष होती है.
उमेश कुमार शर्मा, स्टार लिस्नर्स क्लब, नारनौल, हरियाणा
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आज डॉयचे वेले की साईट पर भारतीय रेल परीक्षा घोटाले की जानकारी पढ़ने को मिली. इस घोटाले का हमें सालों से इंतज़ार था क्योंकि हर रेलवे स्टेशन पर हम सिर्फ आंध्र, कर्नाटक और बिहार के ही काम कर रहे लोगों को दिखाते थे और बहुत से लोग भी इसी विषय पर शक जताते थे और बहुत बार मुंबई में शिव सेना भी इसी विषय को उठाती थी और परीक्षा में पारदर्शकता की मांग होती थी जो आज की खबर पढ़कर सही लग रहा है.
संदीप जावले , मारकोनी डीएक्स क्लब, पारली वैजनाथ, (महाराष्ट्र)
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अवैध 'राजनीति' देखकर फंसी बीजेपी नामक विशेष समाचार न केवल रोचक था बल्कि बहुत कुछ सोचने-विचारने पर मजबूर भी करने वाला था, हम प्रकाश झा के इस मत से सहमत हैं कि पांच सितारा होटल उस डीवीडी के जरिए 'राजनीति' देखना जो अभी डीवीडी पर रीलिज नहीं है, एक गम्भीर अपराध है और वो भी ऐसे लोगों द्वारा किया गया जो कानून के रखवाले समझे जाते हैं. ये जरूरी है कि कापीराईट नियमों का उल्लंघन करने वाले इन तथाकथित सफ़ेदपोशों को बेनकाब किया जाए. प्रकाश झा को चाहिए कि तत्काल कानूनी कार्रवाही शुरू कर दें अन्यथा बन्द कमरे में यूं ही "राजनीति" न केवल देखी जाएगी बल्कि की भी जाएगी.
रवि श्रीवास्तव, इन्टरनेशनल फ़्रेन्ड्स क्लब-इलाहाबाद
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रिपोर्टः विनोद चढ्डा
संपादनः आभा एम