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कौन मांगे ड्रोन हमलों पर जवाब?

२२ अक्टूबर २०१३

एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि पाकिस्तान में ड्रोन हमले के दौरान ''गैरकानूनी तरीके'' से लोगों की हत्याओं के लिए अमेरिका से जवाब मांगा जाना चाहिए.

तस्वीर: picture-alliance/dpa

मानवाधिकारों से जुड़े संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की बुधवार को हो रही मुलाकात के मद्देनजर एक रिपोर्ट जारी की है. दोनों नेताओ के बीच हो रही बातचीत के एजेंडे में ड्रोन का ज्यादा इस्तेमाल भी शामिल है. रिपोर्ट में पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिम कबायली इलाकों में हुई हत्याओं के दस्तावेज हैं. एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक इनमें से कुछ हत्याएं युद्ध अपराधों की श्रेणी में आ सकती हैं.

ड्रोन का खौफ

एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट ''क्या अगला नंबर मेरा है? पाकिस्तान में अमेरिकी ड्रोन हमले'' के मुताबिक कबायली इलाकों में रहने वाले लोगों में हमेशा ड्रोन हमले का डर बना रहता है. मानवाधिकारों से जुड़े इस संगठन ने अमेरिका की ड्रोन को लेकर पारदर्शिता की कमी की कड़ी आलोचना की है. पाकिस्तान में एमनेस्टी इंटरनेशनल के शोधकर्ता मुस्तफा कादरी के मुताबिक, "ड्रोन कार्यक्रम को लेकर गोपनीयता के कारण अमेरिकी सरकार को हत्या करने का लाइसेंस मिल जाता है. इन हत्याओं का मुकदमा ना तो कोर्ट में चल सकता है और ना ही ये अंतरराष्ट्रीय कानून के दायरे में आते हैं."

ड्रोन हमलों के खिलाफ प्रदर्शनतस्वीर: dapd

कादरी का कहना है कि अब समय आ गया है कि अमेरिका को ड्रोन कार्यक्रम के मामले में पाक साफ होकर सामने आना होगा. कादरी ने कहा, ''ड्रोन हमले में शिकार लोगों के पास क्या उम्मीद रह जाती है जब अमेरिका अपने ड्रोन हमलों की जिम्मेदारी नहीं लेता.''

कबायली इलाके निशाने पर

जनवरी 2012 से लेकर अगस्त 2013 तक उत्तरी वजीरिस्तान में हुए 45 ड्रोन हमलों की समीक्षा इस रिपोर्ट में की गई है. पाकिस्तान के इस हिस्से में सबसे ज्यादा ड्रोन हमले हुए हैं. संगठन ने 45 में से 9 हमलों की विस्तार से रिपोर्ट तैयार की है. रिपोर्ट कहती है कि अक्टूबर 2012 में 68 साल की मामना बीबी उस वक्त दोहरे ड्रोन हमले में मारी गई जब वो अपने खेत से सब्जियों से तोड़ रही थी. हमले के दौरान खेत में मामना बीबी के पोते-पोती भी मौजूद थे. जुलाई 2012 में अफगानिस्तान की सीमा से सटे इलाके में एक साथ हुए कई ड्रोन हमले में 18 से ज्यादा मजदूर मारे गए, इनमें एक 14 साल का बच्चा भी शामिल था. ये लोग शाम को काम के बाद खाने की तैयारी कर रहे थे. इन हमलों में पीड़ित की पहचान नहीं होती, लेकिन उनकी उम्र, लिंग और व्यवहार संदिग्ध मालूम पड़ते हैं. इस तरह के हमले ओबामा प्रशासन के दौरान तेज हुए हैं.

अमेरिकी झंडा जलाते पाकिस्तानीतस्वीर: AP

अल कायदा के बाद आम लोग?

संगठन का कहना है कि अमेरिका ने अल कायदा, तालिबान और उसके समर्थकों के खिलाफ सैद्धांतिक जंग छेड़ रखी है. एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक ड्रोन कार्यक्रम को लेकर गोपनीयता ने अमेरिका को दंड मुक्त बना दिया है. साथ ही पीड़ितों तक न्याय और मुआवजा मिलने में रुकावट बना हुआ है. कादरी का कहना है, "जहां तक एमनेस्टी इंटरनेशनल को जानकारी है किसी भी अमेरिकी अधिकारी को पाकिस्तान में गैरकानूनी हत्याओं के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है. दुखद ये है कि पाकिस्तान के कबायली इलाकों में एक जमाने में अमेरिकी ड्रोन को लेकर जितना खौफ तालिबान और अल कायदा में होता था अब वो आम लोगों में है."

संगठन ने अमेरिका से मांग की है कि ड्रोन हमलों को लेकर कानूनी नींव से जुड़े तथ्यों का खुलासा करे. संगठन की रिपोर्ट में कहा गया है, "अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अमेरिकी ड्रोन हमले और हत्याओं का विरोध करना चाहिए जो अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करते हैं. साथ ही खुफिया जानकारी साझा करने से भी बचना चाहिए.'' जर्मनी और बाकी यूरोपीय देशों ने ड्रोन अभियान में अमेरिका का साथ दिया. इतना ही नहीं जर्मनी ने सीआईए को उन लोगों के मोबाइल नंबर भी दिए, जिन पर बाद में ड्रोन हमले किए गए. इसी साल मई में बराक ओबामा ने ड्रोन कार्यक्रम की आधिकारिक पुष्टि की थी. साथ ही नीति को कानूनी बताया और कार्यक्रम को पारदर्शी बनाने के नए कदम भी उठाए.

ड्रोन हमलों में अब तक कई मासूम मारे गएतस्वीर: AP

एए/एनआर (डीपीए)

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