कौन होते हैं सी-60 कमांडो जिन्हें नक्सलियों ने निशाना बनाया
समीरात्मज मिश्र
१ मई २०१९
महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में हुए नक्सली हमले में 16 जवानों के मारे जाने की खबर है. मारे गए सभी जवान महाराष्ट्र पुलिस के सी-60 कमांडो थे.
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ये कमांडो उस इलाके की तलाशी अभियान पर निकले थे जहां माओवादियों ने सुबह ही दर्जनों वाहनों को आग के हवाले कर दिया था. गढ़चिरौली महाराष्ट्र के सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित जिले में गिना जाता है. महाराष्ट्र में नक्सल खतरों को ध्यान में रखते हुए 1992 में सी-60 कमांडो की फोर्स तैयार की गई थी. इसमें राज्य पुलिस बल के साठ जवान शामिल होते हैं. इसमें स्थानीय जनजाति के लोगों को शामिल किया जाता है जो गुरिल्ला युद्ध में सिद्धहस्त होते हैं. इन जवानों की ट्रेनिंग हैदराबाद, बिहार और नागपुर में होती है.
सी-60 फोर्स को महाराष्ट्र की उत्कृष्ट फोर्स माना जाता है. ये कमांडो रोजाना सुबह खुफिया जानकारी के आधार पर आसपास के क्षेत्र में ऑपरेशन को अंजाम देती है. सी-60 के जवान अपने साथ करीब 15 किलो का भार लेकर चलते हैं, जिसमें हथियार के अलावा, खाना-पानी, फर्स्ट-एड और बाकी सामान शामिल होता है.
महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक सुबोध जायसवाल ने इस हमले के बारे में पत्रकारों को बताया, "नक्सलियों के हमले में 16 जवान मारे गए हैं एक ड्राइवर की भी मौत हो गई. इस घटना का मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी है और हमारे पास क्षमता भी है. प्रभावित इलाके में ऑपरेशन किया जा रहा है. नक्सलियों ने बेहद कायराना हमला किया." डीजीपी ने कहा कि इस घटना को खुफिया तंत्र की विफलता नहीं कहा जा सकता है, "लेकिन हमें अतिरिक्त सतर्कता बरतनी होगी ताकि आगे से ऐसे हमले न हो सकें."
एक स्थानीय पत्रकार के मुताबिक, "गढ़चिरौली जिले की कुरखेड़ा तहसील के दादापुरा गांव में नक्सलियों ने करीब तीन दर्जन वाहनों को आग लगा दी थी. उसके बाद क्विक रिस्पॉन्स टीम के कमांडो घटनास्थल के लिए रवाना हुए थे. ये कमांडो नक्सलियों का पीछा करते हुए जंबुखेड़ा गांव की एक पुलिया पर पहुंचे, जहां नक्सलियों ने विस्फोट के जरिए जवानों पर हमला कर दिया.”बताया जा रहा है कि गढ़चिरौली में यह धमाका घने जंगलों के बीच हुआ है. धमाके के बाद पुलिस और नक्सलियों के बीच फायरिंग भी हुई है. पूरे इलाके में तलाशी अभियान अभी भी जारी है. महाराष्ट्र दिवस के मौके पर गढ़चिरौली में ही नक्सलियों ने निजी ठेकेदारों के तीन दर्जन वाहनों को आग लगा दी थी. आज सुबह जिन वाहनों को नक्सलियों ने अपना निशाना बनाया, उनमें से ज्यादातर एक कंस्ट्रक्शन कंपनी के थे जो दादापुर गांव के पास एनएच 136 के पुरादा-येरकाड सेक्टर में सड़क बनाने के काम में लगे थे. घटनास्थल से भागने से पहले नक्सलियों ने पिछले साल अपने साथियों की हत्या की निंदा करते हुए पोस्टर और बैनर भी लगाए.
स्थानीय लोगों के मुताबिक, नक्सली पिछले साल 22 अप्रैल को सुरक्षाबलों के हमले में मारे गए अपने 40 साथियों की मौत की पहली बरसी मनाने के लिए एक सप्ताह से विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. करीब तीन हफ्ते पहले 11 अप्रैल को लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान से ठीक पहले गढ़चिरौली के ही एक मतदान केंद्र के पास नक्सलियों ने बम धमाका किया था. हालांकि इस हमले में कोई हताहत नहीं हुआ था.
पिछले दो वर्षों में महाराष्ट्र में नक्सलियों का यह सबसे बड़ा हमला माना जा रहा है. पुलिस के मुताबिक सर्च ऑपरेशन जारी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घटना की निंदा की है.
सेना और पुलिस से राजनीति में आने वाली हस्तियां
सेना और पुलिस से राजनीति में आए
चुनाव के समय नौकरशाहों का राजनीति में आना सामान्य है लेकिन सेना और पुलिस से राजनीति में आने वालों की संख्या भी कम नहीं है.
तस्वीर: UNI
वीके सिंह
भारतीय थल सेना के प्रमुख रहे विजय कुमार सिंह हाल के दिनों में सेना से राजनीति में आने वाले एक बड़े चेहरा हैं. वीके सिंह सेना से रिटायर होने के बाद पहले अन्ना आंदोलन से जुड़े. फिर भाजपा में शामिल होकर गाजियाबाद से चुनाव लड़ा. विदेश राज्यमंत्री बने. इस बार गाजियाबाद से फिर चुनावी मैदान में हैं.
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सत्यपाल सिंह
मोदी सरकार में मंत्री रहे सत्यपाल सिंह राजनीति में आने से पहले पुलिस में थे. सत्यपाल मुंबई के पुलिस कमिश्नर थे. 2014 में नौकरी से इस्तीफा देकर उन्होंने भाजपा की सदस्यता ली. बागपत से चुनाव लड़े और जीते. इस बार फिर चुनावी मैदान में हैं.
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सुशील कुमार शिंदे
भारत के पूर्व गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे राजनीति में आने से पहले पुलिस में थे. वो एक कॉन्स्टेबल की पोस्ट पर भर्ती हुए थे. छह साल तक वो सीआईडी में भी रहे. फिर नौकरी छोड़कर 1971 में कांग्रेस में आ गए. बड़ी बात ये है कि पुलिस में सबसे जूनियर पद कॉन्स्टेबल से कैरियर की शुरूआत कर देश की आंतरिक सुरक्षा मंत्रालय के मुखिया बने.
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अमरिंदर सिंह
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह थल सेना में कैप्टन की रैंक से रिटायर हुए थे. अमरिंदर सिंह ने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भी हिस्सा लिया था. वो युद्ध से पहले सेना से रिटायर हो गए थे लेकिन युद्ध के समय सेना में वापस शामिल हो गए थे.
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एन बीरेन सिंह
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह पहले सीमा सुरक्षा बल बीएसएफ में कॉन्स्टेबल थे. 1991 में नौकरी छोड़कर वो पत्रकारिता में आ गए. 2001 में राजनीति में आकर कांग्रेस में शामिल हुए. 2016 में कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थामा. 2017 में मणिपुर के मुख्यमंत्री बने.
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बीसी खंडूरी
उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूरी थल सेना में मेजर जनरल के पद से रिटायर हुए. सेना से रिटायर होने के बाद वो भाजपा में शामिल हो गए थे. 2019 के चुनाव में उनके पुत्र मनीष खंडूरी कांग्रेस में आ गए और चुनाव लड़ रहे हैं.
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राज्यवर्धन राठौर
ओलंपियन और मोदी सरकार के मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर सेना में कर्नल रहे हैं. सेना से रिटायरमेंट लेकर वे भाजपा में शामिल हुए. इस बार वो फिर भाजपा के टिकट पर जयपुर ग्रामीण सीट से मैदान में हैं.
तस्वीर: IANS
अजय कुमार
झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार राजनीति में आने से पहले आईपीएस थे. पहले वो पटना और झारखंड बनने के बाद जमशेदपुर के एसपी रहे थे. उन्हें एनकाउंटर स्पेशलिस्ट माना जाता था. 2011 में वो राजनीति में आ गए. झारखंड विकास मोर्चा पार्टी में शामिल हुए. 2014 में कांग्रेस में आ गए. वो राज्यसभा सांसद भी हैं. (तस्वीर में सबसे बाएं)
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जेजे सिंह
जोगिंदर जसवंत सिंह भारतीय थल सेना के जनरल के पद से रिटायर हैं. वो सेनाध्यक्ष बनने वाले पहले सिख थे. 2017 में अकाली दल में शामिल होने के बाद वो अमरिंदर सिंह के खिलाफ चुनाव भी लड़े थे. हार गए. अब 2019 में लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं. (तस्वीर में सबसे दाएं)
तस्वीर: IANS
नमोनारायण मीणा
मनमोहन सिंह की दोनों सरकारों में मंत्री रहे नमोनारायण मीणा राजनीति में आने से पहले भारतीय पुलिस सेवा में थे. रिटायर होने के बाद वे राजनीति में आ गए. 2019 के चुनाव में राजस्थान की टोंक-सवाई माधोपुर सीट से मैदान में हैं. उनके छोटे भाई हरीश मीणा राजस्थान पुलिस के डीजी रहे थे और फिलहाल कांग्रेस से विधायक हैं. (तस्वीर में सबसे बाएं)
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किरण बेदी
भारत की पहली महिला आईपीएस रहीं किरण बेदी भी राजनीति में सक्रिय हैं. 2007 में नौकरी छोड़ने के बाद वो सामाजिक कामों में सक्रिय रहीं. 2015 में भाजपा में शामिल हो गईं. भाजपा ने उन्हें दिल्ली में मुख्यमंत्री पद का प्रत्याशी भी बनाया. लेकिन भाजपा दिल्ली में बुरी तरह हार गई. फिलहाल वो पांडिचेरी की उपराज्यपाल हैं.
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अभिमन्यु सिंह संधु
हरियाणा सरकार में मंत्री अभिमन्यु राजनीति में आने से पहले सेना में रहे हैं. वो कैप्टन के पद से रिटायर होकर 1997 में भाजपा में शामिल हो गए थे.
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शंकर रॉयचौधुरी
1994 से 1997 तक थलसेना के अध्यक्ष रहे शंकर रॉयचौधुरी भी राजनीति का रुख कर चुके हैं. वो राज्यसभा सांसद रहे थे.
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सचिन पायलट
राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट भारत की प्रादेशिक सेना (टेरिटोरियल आर्मी) से जुड़े हुए हैं. वो साल 2012 में सेना में कमीशन हुए थे. वो केंद्रीय मंत्री रहते सेना में भर्ती होने वाले पहले शख्स हैं.
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अनुराग ठाकुर
हिमाचल के हमीरपुर से बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर भी प्रादेशिक सेना से जुड़े हैं. वो 2016 में कमीशन हुए थे.