सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राजनीति की सफाई की जिम्मेदारी संसद की है और इसके लिए उसे कानून बनाना चाहिए. लेकिन क्या राजनीतिक पार्टियों की इसमें कोई रुचि है?
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सुप्रीम कोर्ट ने राजनीति की सफाई की जिम्मेदारी संसद पर डाल दी है और कहा है कि न्यायपालिका अपने अधिकारक्षेत्र का अतिक्रमण करके कानून नहीं बना सकती क्योंकि यह काम संसद का है. उसी को इस बारे में कानून बनाना चाहिए कि जिन व्यक्तियों पर गंभीर अपराधों के मामलों में मुकदमा चल रहा है, उन्हें चुनाव प्रक्रिया में भाग लेने से कैसे रोका जाए ताकि वे चुने जा कर विधायक एवं सांसद यानी स्वयं कानून बनाने वाले न बन जाएं.
फिलहाल कानून व्यवस्था यह है कि हत्या एवं बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों में नामजद होने के बारे मुकदमों का सामना करने वाले व्यक्ति चुनाव में खड़े हो सकते हैं और जीत कर विधायक, सांसद और मंत्री भी बन सकते हैं. केवल अपराध सिद्ध होने की स्थिति में ही उनकी उम्मीदवारी या चुनाव को रद्द किया जा सकता है और उनके चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लग सकता है. लेकिन जैसा कि भारत की न्यायप्रक्रिया के बारे में सभी को पता है, यहां इंसाफ का पहिया बहुत धीमी रफ्तार से घूमता है और अधिकांशतः ऐसे मामले लंबे समय तक लटके रहते हैं.
विधायक या सांसद का कार्यकाल पूरा हो जाता है और तब तक भी अदालत का फैसला नहीं आ पाता. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने किसी व्यक्ति पर अपराध के मामले में आरोप तय होते ही उसे चुनाव लड़ने से रोकने की व्यवस्था देने से इंकार किया है और कहा है कि इस विषय में संसद को कानून बनाना चाहिए. पांच-सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने, जिसमें देश के प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्र भी शामिल थे, कुछ ऐसे निर्देश अवश्य जारी किए हैं जिनसे मतदाताओं को ऐसे उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि के बारे में जानकारी अधिक आसानी के साथ सुलभ होगी और वे उसे ध्यान में रखकर अपनी राय बना सकेंगे.
इन नेताओं को खानी पड़ी जेल की हवा
चारा घोटाले मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव को जेल की सजा हुई. पी. चिदंबरम आईएनएक्स मामले में तिहाड़ गए. एक नजर उन नेताओं पर जिन्हें जेल जाना पड़ा.
तस्वीर: imago/Hindustan Times
पी. चिदंबरम
कांग्रेस की सरकार में वित्त मंत्री रहे पी. चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया मामले में आरोपी हैं. उन्हें इस मामले में तिहाड़ भेजा गया.
तस्वीर: APImages
लालू यादव
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव को चारा घोटाले के तीन मामले में अब तक दोषी ठहराने के साथ ही सजा सुनाई जा चुकी है. फिलहाल वे झारखंड की जेल में बंद हैं.
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सुखराम
हाल के दशकों में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम पहले राजनेता थे जिनके खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला उछला और उन्हें जेल जाना पड़ा.
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जे जयललिता
रंगीन टेलिविजन खरीद घोटाले में आरोपी के तौर पर तमिलनाडु की मुख्यमंत्री रहीं जे जयललिता को गिरफ्तार किया गया.
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एम करुणानिधि
तमिलनाडु में ओवरब्रिज घोटाले में उनके शामिल होने के आरोप में उन्हें तब गिरफ्तार किया गया जब वो विपक्ष में थे.
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शिबू सोरेन
शिबू सोरेन को अपने सहयोगी शशिकांत झा की हत्या के सिलसिले में दोषी करार दिया गया. उनके खिलाफ नरसिम्हा राव की सरकार को बचाने के लिए घूस लेकर वोट देने का मामले में भी उन्हें कोर्ट ने दोषी करार दिया.
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बंगारु लक्ष्मण
बीजेपी के अध्यक्ष रहे बंगारु लक्ष्मण को तहलका स्टिंग ऑपरेशन में पैसे लेते हुए दिखाने के बाद ना सिर्फ पार्टी प्रमुख का पद छोड़ना पड़ा बल्कि उन्हें सीबीआई की विशेष अदालत ने चार साल के सश्रम कारावास की सजा भी सुनाई.
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अमर मणि त्रिपाठी
उत्तर प्रदेश के नौतनवा से चार बार विधायक रहे अमर मणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी को कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या के लिए दोषी करार दिया गया.
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मोहम्मद शहाबुद्दीन
आपराधिक पृष्ठभूमि वाले मोहम्मद शहाबुद्दीन पर हत्या और जबरन वसूली के दर्जनों मामले चल रहे हैं. राष्ट्रीय जनता दल के नेता और सांसद रहे शहाबुद्दीन को जमानत पर रिहाई मिली थी लेकिन जल्दी ही सुप्रीम कोर्ट ने जमानत रद्द कर दी.
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अमित शाह
सोहराबुद्दीन शेख और उनकी पत्नी के एनकाउंटर मामले में अमित शाह को ना सिर्फ गिरफ्तार किया गया बल्कि उन्हें गुजरात से तड़ीपार भी कर दिया गया. दो साल तक बाहर रहने के बाद उन्हें अदालत से राहत मिली.
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ए राजा
यूपीए की सरकार में मंत्री रहे ए राजा को भी टेलिकॉम घोटाले में ही जेल जाना पड़ा था लेकिन फिलहाल उन्हें भी अदालत ने बरी कर दिया है.
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माया कोडनानी
2002 में गुजरात के दंगों के दौरान लोगों को भड़काने और उन्हें हिंसा के लिए उकसाने का दोषी करार दिया गया. गुजरात सरकार में मंत्री और पेशे से डॉक्टर रहीं कोडनानी को आखिरकार जेल जाना पड़ा.
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कनीमोझी
करुणानिधि की बेटी कनीमोझी को 2जी घोटाले में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. हाल ही में अदालत ने उन्हें सबूतों के अभाव में बरी कर दिया.
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ओमप्रकाश चौटाला
हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे ओमप्रकाश चौटाला को टीचर भर्ती घोटाला में दोषी करार दिया गया. जिसके कारण उन्हें जेल में रहना पड़ा.
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सुरेश कलमाड़ी
दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान हुए भ्रष्टाचार के मामलों में कांग्रेस नेता सुरेश कलमाड़ी जेल गए.
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मधु कोड़ा
मधु कोड़ा पर झारखंड के मुख्यमंत्री रहते हुए आय से अधिक संपत्ति जुटाने का केस चला. इनमें से एक मामले में उन्हें दोषी करार दिया गया और तीन साल की सजा दी गई.
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मंगलवार के अपने फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि निर्वाचन आयोग द्वारा दिए गए फॉर्म में मांगी हर जानकारी उम्मीदवार को उसमें सही-सही भरनी होगी और बड़े-बड़े अक्षरों में अपने ऊपर चल रहे आपराधिक मामलों की जानकारी देनी होगी. राजनीतिक दलों को भी ऐसे उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि के बारे में सारी जानकारी अपनी वेबसाइट पर मुहैया करानी होगी.
सुप्रीम कोर्ट का सबसे महत्वपूर्ण निर्देश यह है कि नामांकन पत्र भरने के बाद तीन बार निर्वाचन क्षेत्र में सर्वाधिक प्रसारित होने वाले अखबार और टीवी चैनलों द्वारा उम्मीदवारों और राजनीतिक पार्टियों को इस जानकारी को मतदाताओं तक पहुंचाना होगा. यानी अब ऐसा नहीं हो सकेगा कि राजनीतिक दल बराये नाम आखिरी दिन रस्मी तौर पर इस जानकारी को अपनी वेबसाइट पर डाल दें और किसी को इसका पता भी न चल सके.
सुप्रीम कोर्ट ने संविधान की दृष्टि से सही निर्णय लिया है और अपनी ओर से कानूनी व्यवस्था नहीं दी है. लेकिन इससे समस्या का समाधान नहीं हो सकता. यूं भी यह स्पष्ट है कि केवल कानून बनाने से समस्याएं खत्म नहीं होतीं. उन्हें खत्म करने की राह अवश्य खुल जाती है. संविधान ने छुआछूत और जाति-आधारित भेदभाव को 1950 में ही समाप्त कर दिया था लेकिन दलितों का उत्पीड़न आज भी जारी है और अनेक मंदिरों में उन्हें आज भी प्रवेश पाने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है.
दरअसल राजनीति में अपराध और अपराधियों की भूमिका केवल तभी समाप्त हो सकती है जब राजनीतिक वर्ग में इसके लिए अपेक्षित इच्छाशक्ति हो. यदि राजनीतिक दल ऐसे व्यक्तियों को टिकट ही न दें तो यह समस्या बिना कानून बनाए ही समाप्त हो जाए. उसी तरह जिस तरह यदि वे अधिक संख्या में महिला उम्मीदवारों को खड़ा करें तो महिला आरक्षण के लिए मांग उठाने की जरूरत ही न पड़े. लेकिन कम्युनिस्ट पार्टियों और आम आदमी पार्टी को छोड़कर किसी भी अन्य पार्टी ने राजनीति के अपराधीकरण को समाप्त करने में विशेष दिलचस्पी नहीं दिखाई है. यदि मरीज ही ठीक न होना चाहे, तो दुनिया का कोई डॉक्टर उसके मर्ज का इलाज नहीं कर सकता.
दुनिया की कुछ प्रमुख संसदें
जन प्रतिनिधि सभाओं का आजकल के शासन में अहम स्थान है. कहीं इन्हें लोकतंत्र के मंदिर कहा जाता है तो कहीं इनके अधिकार खतरे में हैं.
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चीन
चीन की राष्ट्रीय पीपुल्स कांग्रेस दुनिया की सबसे बड़ी और सबसे कमजोर संसद है. इसके करीब 3000 सदस्य हैं. हर पांच साल पर इसका चुनाव होता है. एक सदन वाली चीनी संसद को कानून बनाने, सरकार की गतिविधियों की निगरानी और प्रमुख अधिकारियों के चुनाव का अधिकार है. लेकिन असल में सारे फैसले देश कम्युनिस्ट पार्टी लेती है, जिसका चीन में एकछत्र राज है.
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जर्मनी
जर्मन संसद बुंडेसटाग की 598 सीटों में आधे का चुनाव देश भर में बंटे चुनाव क्षेत्रों में होता है जबकि बाकी को पार्टियों को मिले मतों के अनुपात में बांटा जाता है ताकि उनकी सीटें वोट के अनुपात में हों. संसद में प्रतिनिधित्व पाने के लिए वोटों की न्यूनतम सीमा 5 प्रतिशत है. सरकार के मुकाबले संसद की ताकत में लगातार इजाफा हो रहा है.
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ब्रिटेन
ब्रिटेन की संसद दो सदनों वाली है. हाउस ऑफ लॉर्ड्स और हाउस ऑफ कॉमंस. 650 सदस्यों वाले हाउस ऑफ कॉमंस का चुनाव हर पांच साल पर होता है. संसद के दूसरे सदन हाउस ऑफ लॉर्ड्स में 804 सदस्य हैं जो लॉर्ड टेम्पोरल और लॉर्ड स्पीरिचुअल में बंटे हैं.
तस्वीर: picture alliance/dpa/PA Wire
अमेरिका
कांग्रेस के नाम से जानी जाने वाली अमेरिकी संसद के भी दो सदन हैं. उपरी सदन सीनेट के 100 सदस्य हैं, जिनका कार्यकाल छह साल का होता है. हर राज्य से दो सदस्य चुने जाते हैं. निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के 435 सदस्यों का चुनाव दो साल पर होता है.
तस्वीर: Getty Images/C. Somodevilla
फ्रांस
फ्रांस की संसद के दो सदनों का नाम सीनेट और नेशनल एसेंबली है. सीनेट की 348 और नेशनल एसेंबली की 577 सीटें हैं. फ्रांस में राष्ट्रपति प्रधानमंत्री और मंत्रियों को नियुक्त करता है और उस पर कोई दबाव नहीं है कि ये अधिकारी संसद में बहुमत की पार्टी के हों. नेशनल एसेंबली अविश्वस प्रस्ताव पास कर सरकार को गिरा जरूर सकती है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Kovarik
भारत
ब्रिटेन की गुलामी में रहे भारत की संसद भी ब्रिटेन की संसद के नमूने पर बनी है, लेकिन यहां सम्राट के बदले राष्ट्रपति राज्य प्रमुख हैं. निचले सदन लोक सभा के 542 सदस्यों का चुनाव पांच साल के लिए सीधे निर्वाचन से होता है, जबकि उपरी सदन राज्य सभा के सदस्यों का चुनाव प्रांतीय विधान सभाओं के द्वारा छह साल के लिए होता है.
तस्वीर: AP
पाकिस्तान
दो सदनों वाली पाकिस्तान संसद में ऊपरी सदन का नाम सीनेट और निचले सदन क नाम नेशनल एसेंबली है. नेशनल एसेंबली के 342 सदस्यों का चुनाव पांच साल के लिए वयस्क मतदान के आधार पर होता है. 60 सीटें महिलाओं के लिए और 10 सीटें धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए सुरक्षित हैं. सीनेट के सदस्य छह साल के लिए चुने जाते हैं.
तस्वीर: AAMIR QURESHI/AFP/Getty Images
बांग्लादेश
बांग्लादेश की संसद का नाम जातीयो संसद है. 350 सदस्यों वाली संसद का कार्यकाल 5 वर्षों का है और 50 सीटें महिलाओं के लिए सुरक्षित हैं, जिनकी नियुक्ति पार्टी द्वारा जीती गई सीटों पर होती है. बांग्लादेश में संसद में बहुमत दल का नेता प्रधानमंत्री बनता है और संसद ही राष्ट्रपति का चुनाव करती है.
नेपाल की वर्तमान संसद देश की दूसरी संविधान सभा है. देश के 2015 के संविधान के अनुसार नेपाली संसद के दो सदन हैं, निचला सदन प्रतिनिधि सभा है जिसके 275 सदस्यों का चुनाव सीधे मतदान से होता है. ऊपरी सदन राष्ट्रीय सभा के 59 सदस्य छह साल के लिए चुने जाते हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Mathema
कनाडा
उत्तरी अमेरिका में बसे कनाडा की संसद के भी दो सदन हैं. निचले सदन के 338 सदस्य चुनाव क्षेत्रों में सीधे मतदान से चुने जाते हैं. उपरी सदन सीनेट के 105 सदस्यों की नियुक्ति प्रधानमंत्री की सलाह पर देश के गवर्नर जनरल एक एक को बुलाकर करते हैं. संसदीय कार्रवाई लगभग ब्रिटेन जैसी है.
तस्वीर: dapd
रूस
रूस की 616 सदस्यों वाली संसद के दो सदन हैं. निचले सदन का नाम स्टेट डूमा है और उसके 450 सदस्यों में आधा निर्वाचन क्षेत्रों से चुना जाता है और आधा पार्टी को मिले वोटों के आधार पर. संसद के ऊपरी सदन संघीय परिषद के लिए रूस की सभी 85 संघीय इकाईयां दो दो सदस्य भेजती हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/N. Kolesnikova
तुर्की
तुर्की की संसद का नाम 'ग्रैंड नेशनल एसेंबली ऑफ टर्की' है, लेकिन उसे मजलिस के नाम से पुकारा जाता है. 550 सदस्यों वाली संसद का चुनाव पार्टी सूची के आधार पर आनुपातिक पद्धति से होता है. संसद में पहुंचने के लिए पार्टियों को कम से कम 10 प्रतिशत मत पाना जरूरी है. संविधान में संशोधन के जरिये संसद के अधिकारों में भारी कटौती का प्रस्ताव है.
तस्वीर: picture-alliance/AP/dpa/B. Ozbilici
यूरोपीय संसद
751 सदस्यों वाली यूरोपीय संसद यूरोपीय संघ की सीधे निर्वाचित संस्था है. यूरोपीय आयोग और यूरोपीय संघ की परिषद के साथ मिलकर वह यूरोपीय संघ की विधायिका वाली जिम्मेदारी को पूरा करती है. भारत के बाद यह दूसरी सबसे ज्यादा लोकतांत्रिक मतदाताओं की प्रतिनिधि सभा है.