इस साल का अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव हाल की स्मृति का ऐसा चुनाव है जिसमें दो अत्यंत अलोकप्रिय उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. चुनाव में और किसी मुद्दे से ज्यादा ये आशंका है कि हैकर चुनाव के नतीजे को प्रभावित कर सकते हैं.
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दलील ये है कि यदि हैकर डेमोक्रैटिक पार्टी की नेशन कमिटी के सर्वर में सेंध लगा सकते हैं तो फिर वे वोटिंग सिस्टम के साथ भी ऐसा ही कर सकते हैं. आईटी सिक्योरिटी एक्सपर्टों और अमेरिकी अधिकारियों को भी अब हैकिंग में रूस सरकार का हाथ होने का संदेह है. इससे लोगों की चिंता कम नहीं हुई है. लेकिन निर्वाचन विशेषज्ञों का मानना है कि चुनाव में हैकिंग की चिंता जायज नहीं है और यह चुनाव प्रक्रिया को न जानने की वजह से पैदा हुई है. चुनाव प्रक्रिया विशेषज्ञ डेविड बेकर कहते हैं कि प्राइवेट ईमेल में या सोनी के सर्वर में हैक करना चुनाव सिस्टम में हैक करने से एकदम अलग है. अमेरिकी चुनाव सिस्टम संकेंद्रित और इंटरनेट से जुड़ा नहीं है.
डेविड बेकर के अनुसार अमेरिका में 50 अलग अलग प्रांत और 10,000 चुनाव अधिकार क्षेत्र हैं और आम तौर पर चुनाव करवाने की जिम्मेदारी शहरों और काउंटी की है. इतना ही नहीं देश के विभिन्न इलाकों में अलग अलग सिस्टम का इस्तेमाल होता है. अमेरिका के 80 प्रतिशत मतदाता इलेक्ट्रॉनिक बैलट पर वोट नहीं देते बल्कि पेपर बैलट का इस्तेमाल करते हैं. बेकर का कहना है कि अमेरिकी चुनाव सिस्टम को हैक करने के लिए साजिश में लाखों लोगों को शामिल करना होगा.
चिंताभरोसेकी
केनसॉव स्टेट यूनिवर्सिटी की मैर्ले किंग का कहना है कि वोटर रजिस्ट्रेशन सिस्टम जैसे इंटरनेट से जुड़े सिस्टम को हैक करना ज्यादा मुश्किल नहीं है, और ऐसा पहले भी हुआ है, लेकिन डेमोक्रैटिक पार्टी हैकिंग कांड के बाद उन सिस्टमों की सुरक्षा में सख्ती लाई गई है. लेकिन चिंता बनी हुई है. मैर्ले किंग कहती हैं, "पुराने वोटिंग सिस्टम की कहानी पढ़ने वालों की चुनौती यह समझना है कि वोटिंग सिस्टम की प्रक्रिया समय के साथ नहीं बदलती. हम अभी भी बी52 बमवर्षक उड़ा रहे हैं क्योंकि वह अपना मिशन पूरा कर रहे हैं और ऑपरेशन में किफायती हैं."
बेकर भी मानते हैं कि बहुत से वोटिंग मशीनों की तकनीक आधुनिक नहीं रह गई है और उन्हें बदला जा सकता है. "लेकिन वे सुरक्षित और प्रभावी चुनाव के लिए अभी भी अच्छे हैं." इसलिए दोनों चुनाव विशेषज्ञ चुनाव तकनीक में हैंकिंग से ज्यादा इस बात पर चिंतित हैं कि इस बहस का और डॉनल्ड ट्रंप की चुनावी धांधली की संभावना वाली टिप्पणी का चुनाव सिस्टम में लोगों के भरोसे पर नकारात्मक असर हो सकता है. किंग कहती हैं, "मेरे लिए मुख्य खतरा यह है कि चुनाव प्रक्रिया में भरोसे को नुकसान पहुंचा है."
मैर्ले किंग का कहना है कि यदि लोग मतदान की प्रक्रिया पर संदेह करने लगें को अगला कदम नतीजे की सत्यता पर संदेह होगा. बेकर का कहना है कि जो लोग संदेह व्यक्त कर रहे हैं वे भ्रम पैदा करना चाहते हैं ताकि लोग वोट देने न आएं. बेकर चाहते हैं कि लोग वोट देने जाएं, "अमेरिका के मतदाताओं को जानना चाहिए कि यदि वे 8 नवंबर को वोट देने जाते हैं तो उनके वोट की सही गिनती होगी."
हिलेरी की जिंदगी के 15 तूफान
हिलेरी क्लिंटन ने एक इतिहास और रच दिया है. किसी बड़ी पार्टी ने पहली बार किसी महिला को अमेरिकी राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है. लेकिन हिलेरी की जिंदगी ऐसे पलों से भरी हुई है जब उनकी पूरी दुनिया बदल गई.
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निक्सन पर महाभियोग
1974 में हिलेरी क्लिंटन (तब रोडहैम) उस रोडिनो कमिटी की वकील थीं जिसकी कार्रवाई के बाद तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन पर महाभियोग चलाया गया.
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शादी और गवर्नरी
1975 में हिलेरी रोडहैम ने बिल क्लिंटन से शादी की और 1978 में क्लिंटन आर्कन्सॉ प्रांत के गवर्नर बन गए. वह आर्कन्सॉ की फर्स्ट लेडी बन गईं.
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फर्स्ट लेडी ऑफ अमेरिका
1992 में हिलेरी क्लिंटन अमेरिका की फर्स्ट लेडी बनीं. उनके पति बिल क्लिंटन मानते हैं कि उन्हें राष्ट्रपति बनाने में हिलेरी की भूमिका सबसे ज्यादा अहम रही.
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भ्रष्टाचार के आरोप
1996 में क्लिंटन दम्पत्ति पर गवर्नर रहते हुए भ्रष्टाचार के आरोप लगे. संसद की ग्रैंड जूरी के सामने हिलेरी क्लिंटन की पेशी हुई. हालांकि बाद में सारे आरोप निराधार पाए गए.
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दूसरी बार प्रथम महिला
1996 में हिलेरी क्लिंटन की जिंदगी में फिर एक ऐतिहासिक मोड़ आया. उनके पति बिल क्लिंटन दूसरी बार राष्ट्रपति बने. दशकों बाद कोई डेमोक्रैट लगातार दूसरा चुनाव जीता.
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ग्रैमी अवॉर्ड
1997 में हिलेरी को उनकी ऑडियो बुक 'इट टेक्स अ विलेज' के लिए ग्रैमी अवॉर्ड मिला.
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मोनिका लेविंस्की
1998 में हिलेरी की जिंदगी में फिर एक तूफान आया. उनके पति और देश के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन पर उनकी एक जूनियर स्टाफ मोनिका लेविंस्की से सेक्स संबंध बनाने का आरोप लगा.
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पहली बार चुनाव
सन 2000 में हिलेरी क्लिंटन ने पहली बार न्यू यॉर्क सीट से सीनेट का चुनाव लड़ा और सीनेटर बन गईँ.
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खुली किताब
2003 में हिलेरी क्लिंटन ने अपनी पूरी जिंदगी एक किताब में लिखकर सबके सामने रख दी. उन्होंने मोनिका लेविंस्की विवाद के बाद पति के साथ संबंधों समेत हर बात पर बेबाकी से लिखा.
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राष्ट्रपति बनने की कोशिश
2008 में हिलेरी क्लिंटन ने डेमोक्रैट उम्मीदवार बनने की पहली कोशिश की. वह बराक ओबामा के सामने नाकाम रहीं.
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विदेश मंत्रालय
बराक ओबामा ने राष्ट्रपति बनकर हिलेरी क्लिंटन को अपना विदेश मंत्री नियुक्त किया.
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जूता पड़ा
2014 में लास वेगस में एक कॉन्फ्रेंस के दौरान हिलेरी क्लिंटन पर एक महिला ने जूता फेंका. ओबामा के बाद हिलेरी के राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी के लिए फिर से लड़ने की चर्चा थी.
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उम्मीदवारी का अभियान
2016 में क्लिंटन ने पूरे जोर शोर से उम्मीदवारी पाने का अभइियान शुरू किया. उन्हें अपनी ही पार्टी के बर्नी सैंडर्स से कड़ी टक्कर मिल रही थी.
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ईमेल विवाद
क्लिंटन का चुनाव प्रचार खासा विवादास्पद रहा. विदेश मंत्री रहते हुए उनके लिखे कुछ ईमेल्स ने हंगामा खड़ा कर दिया.
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उम्मीदवारी
तमाम मुश्किलों और विवादों से पार पाते हुए हिलेरी क्लिंटन अमेरिका की पहली महिला राष्ट्रपति बनने के सबसे करीब पहुंच गई हैं. यह वही हिलेरी रोडहैम हैं जिन्होंने 1970 के दशक में एक घूरते लड़के बिल को सीधा जाकर पूछा लिया था, क्या नाम है तुम्हारा. और बिल क्लिंटन घबरा गए थे.