सिगरेट की लत के शिकार लोगों से ई-सिगरेट आजमाने को कहा जाता है. लेकिन भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने ई-सिगरेट की बिक्री और आयात पर रोक लगाने को कहा है. आखिर क्यों?
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फिलिप मॉरिस इंटरनेशनल इंक जैसी बड़ी कंपनियां भारत में ई-सिगरेट बेचने की तैयारी कर रही हैं. लेकिन भारत के केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने ई-सिगरेट और इस तरह के उत्पादों को सेहत के लिए खतरनाक बता कर इन पर रोक लगाने को कहा है.
भारत सरकार के आंकड़े बताते हैं कि देश में तंबाकू के सेवन से हर साल लगभग नौ लाख लोग मारे जाते हैं. तंबाकू के इस्तेमाल को रोकने के लिए कड़े कानून भी बनाए गए हैं. लेकिन उन्हें सख्ती से अमल में नहीं लाया जाता. यही वजह है कि भारत में धूम्रपान करने वाले 10.6 करोड़ व्यस्क लोग हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक धूम्रपान करने वाले लोगों की संख्या के मामले में भारत सिर्फ चीन से पीछे है.
भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्य सरकारों को भेजी एक एडवायजरी में कहा है कि ई-सिगरेट जैसे उत्पाद स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा हैं और यह भी संभव है कि बच्चे और धूम्रपान ना करने वाले लोगों को अगर एक बार निकोटिन का चस्का लग गया तो वे फिर सिगरेट भी पीने लग जाएं.
ई सिगरेटः 9 जरूरी बातें
ई सिगरेटः 9 जरूरी बातें
धुआं तो है लेकिन आग नहीं. यह कैसी सिगरेट. अरे इससे दुर्गंध भी नहीं आती. लेकिन सेहत पर इससे क्या असर पड़ता है. चलिए ई सिगरेट को समझते हैं.
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नई नवेली
सेहत और ई सिगरेट को लेकर कई बार बहस हो चुकी है. क्या यह सिगरेट का सेहतमंद विकल्प है. और खास तौर पर इन पर किस तरह का कानून लागू किया जाना चाहिए.
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कैसे काम करती है
ई सिगरेट में भाप बनाने वाला एक यंत्र और एक कंटेनर होता है, जिसमें निकोटीन फ्लेवर वाला द्रव भरा जाता है. जब इसे एक सिरे से खींचा जाता है, तो द्रव भाप बनता है. इस भाप को सांस के साथ अंदर खींचा जा सकता है. ई सिगरेट बैट्री से चलती है और बैट्री यूएसबी ड्राइव से चार्ज की जा सकती है.
जीवन में मसाला
सबसे ज्यादा लोकप्रिय तंबाकू और तंबाकू मेंथॉल फ्लेवर हैं. इसके अलावा सेब और स्ट्रॉबेरी जैसे फलों के फ्लेवर हैं. अलग अलग द्रव में अलग अलग मात्रा में निकोटीन होता है.
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सिर्फ सिगरेट ही नहीं
अब तो इलेक्ट्रॉनिक सिगार और पाइप भी आने लगे हैं. सिगरेट का मिनी वर्जन भी बाजार में आ चुका है. एक सिगरेट की कीमत 10 यूरो (करीब 800 रुपये) के आस पास होती है.
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तंबाकू नहीं
स्मोकिंग की परिभाषा "जलते हुए पौधे या तंबाकू के साथ सांस खींचना" होता है. लेकिन ई सिगरेट में कुछ जलता नहीं है. इसलिए कहा जाता है कि यह कम नुकसानदेह होती है. लेकिन चूंकि द्रव में निकोटीन होता है, इसलिए ई सिगरेट की भी लत लग सकती है.
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कानून पर बहस
जर्मनी और यूरोप के दूसरे देशों में इस मुद्दे पर गंभीर बहस चल रही है कि क्या ई सिगरेट को स्मोकिंग वाले कानून में रखा जाए. अगर उन्हें दूसरे सिगरेटों की तरह ही देखा जाए, तो सार्वजनिक जगहों पर उन पर भी पाबंदी लगनी चाहिए. लेकिन तकनीकी तौर पर ऐसा नहीं है.
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अंदर में क्या है
ई सिगरेट के द्रव यानि लिक्विड में बहुत से केमिकल होते हैं. इनमें प्रोपेलीन ग्लाइकोल भी है, जो रंगहीन और लगभग गंधहीन यौगिक पदार्थ है. इसका इस्तेमाल दवा कारोबार और टूथपेस्ट में भी होता है.
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असर का पता नहीं
इससे सेहत पर होने वाले असर का पता नहीं. पता नहीं कि यह ज्यादा नुकसान करती है या सामान्य सिगरेट. हां, यह पता है कि सिगरेट छोड़ देना सेहत के लिए अच्छा है.
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सरकार की यह एडवायजरी ऐसे समय में सामने आई है जब दिग्गज तंबाकू कंपनी फिलिप मॉरिस भारत में अपने स्मोकिंग डिवाइस आईक्यूओएस को उतारने की तैयारी कर रही है. फिलिप मॉरिस का कहना है कि उसका आईक्यूओएस तंबाकू को जलाता नहीं, बल्कि सिर्फ गर्म करता है और उससे निकोटिन वाली भाप निकलती है, ना कि धुआं. कंपनी के मुताबिक, इस तरह आईक्यूओएस सिगरेट के मुकाबले कम नुकसानदायक है. कंपनी का कहना है कि वह एक दिन खुद सिगरेट बेचना पूरी तरह बंद करना चाहती है.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि ई-सिगरेट और निकोटिन को गर्म करने वाले इलेक्ट्रोनिक उत्पाद ना तो बेचे जाएं, ना तैयार किए जाएं और न ही उनका आयात किया जाए. इनके विज्ञापन पर भी रोक की बात एडवायजरी में कही गई है.
मंत्रालय का कहना है कि इस तरह के उत्पादन आम लोगों, खास तौर से बच्चों, किशोरों और गर्भवती महिलाओं की सेहत के लिए खतरा हैं. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने जब इस बारे में फिलिप मॉरिस से बात करने की कोशिश की, तो कोई जवाब नहीं मिला. भारत में ई-सिगरेट बेचने वाली आईटीसी ने भी इस बारे में कुछ जवाब नहीं दिया.
पहला तंबाकू मुक्त देश कौन?
कौन बनेगा दुनिया का पहला तंबाकू मुक्त देश
फिनलैंड दुनिया का पहला तंबाकू फ्री देश बनाना चाहता है. देखिये तंबाकू के खिलाफ कैसे अभूतपूर्व कदम उठा रहा है फिनलैंड.
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बालकनी में बैन
सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान पर रोक लगाने के बाद फिनलैंड ने घर की निजी बालकनी में सिगरेट, सिगार या इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट पर पीने पर आंशिक रोक लगा दी है. बालकनी में सिगरेट पी जा सकती है, लेकिन धुआं किसी और की बालकनी या किसी व्यक्ति की तरफ नहीं जाना चाहिए.
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कार में भी रोक
अगर कार में 15 साल की उम्र से छोटा बच्चा बैठा है तो भी धूम्रपान करना गैरकानूनी होगा. वाहन में बैठा कोई दूसरा व्यक्ति अगर आपत्ति जताए तो भी तंबाकू फूंकना बंद करना होगा.
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24 घंटे का नियम
फिनलैंड में सिगरेट बहुत महंगी है. देश में रहने वाला व्यक्ति एक बार में दूसरे यूरोपीय देश से एक किलोग्राम तंबाकू ही खरीद सकता है. लेकिन तंबाकू खरीदने के लिए उसे कम से कम 24 घंटे फिनलैंड से बाहर रहना होगा.
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ई-सिगरेट पर भी सख्ती
वनीला या मैन्थॉल फ्लेवर वाली इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट पर भी सामान्य सिगेरट, सिगार, चबाने वाले तंबाकू और स्प्रे टोबैको जैसी ही पाबंदियां लगाई गई हैं. बिना निकोटिन वाली इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट भी इस श्रेणी में रखी गई हैं.
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कोई विज्ञापन नहीं
टीवी, अखबार, पत्रिकाओं में तंबाकू उत्पादों का कोई विज्ञापन नहीं दिखाया जाएगा. पोस्टर भी नहीं लगाए जाएंगे.
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भूटान की भी ऐसी ही कोशिश
भारत के पड़ोसी देश भूटान ने भी 2005 में तंबाकू की बिक्री पर पूरी तरह रोक लगा दी. लेकिन तस्करी के चलते ये रोक कामयाब नहीं रही. इसी वजह से 2011 में कड़ा तंबाकू कंट्रोल एक्ट पास किया गया. धूम्रपान करने वाले नागरिकों को भारत से एक महीने में 200 सिगरेट लाने की छूट है.
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तंबाकू मुक्त देश का मतलब
ऐसा देश जहां की 98 फीसदी से ज्यादा आबादी तंबाकू का सेवन न करती हो, उसे तंबाकू मुक्त देश कहा जाता है.
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स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकार इस बारे में एक सख्त संदेश देने की कोशिश कर रही है कि इस तरह के उत्पाद आम जनता के लिए कितने नुकसानदेह हो सकते हैं. पिछले साल दिल्ली के एक निवासी ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर ई-सिगरेट पर नियम बनाने की मांग की. पिछले हफ्ते अदालत ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से पूछा कि वह ई-सिगरेट को लेकर नियम बनाने से जुड़े कदमों का एलान कब करेगा.
हाल के सालों में भारत सरकार ने तंबाकू के इस्तेमाल को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं. इसके तहत सिगरेट पर लगने वाला टैक्स बढ़ाया गया है. कंपनियों से सिगरेट पर पैकेट पर चेतावनी बड़े शब्दों में लिखने को कहा गया. साथ ही स्मोकिंग छोड़ने के लिए हेल्पलाइन भी बनाई गई हैं.